Kashmir में बदलाव का दौर, अलगाववादी संगठनों का मुख्यधारा में स्वागत
अमित शाह ने हुर्रियत संगठनों के फैसले को बताया महत्वपूर्ण जीत
जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों के अलगाववाद से अलग होने के फैसले का भाजपा विधायक विक्रम रंधावा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वागत किया। शाह ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकीकृत भारत के दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण जीत बताया। यह कदम कश्मीर में बदलाव के दौर का प्रतीक है और आने वाले दिनों में देश में बड़े बदलावों का संकेत देता है।
भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने मंगलवार को जम्मू और कश्मीर में हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों के अलगाववाद से अलग होने के बाद इस कदम का स्वागत किया और इसे बदलाव का दौर बताया। “यह एक स्वागत योग्य कदम है। यह बदलाव का दौर है। 2014 के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर भारतीय नागरिक समझता है कि उसका कर्तव्य क्या है। जो लोग अलगाववाद की बात करते थे, वे अब मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं…आप आने वाले दिनों में देश में बड़े बदलाव देखेंगे।
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद से अलग होने के दो हुर्रियत से जुड़े संगठनों के फैसले की सराहना की और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और एकजुट भारत के दृष्टिकोण के लिए एक “महत्वपूर्ण जीत” बताया। शाह की यह प्रतिक्रिया हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े दो संगठनों द्वारा जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद से नाता तोड़ने के अपने फैसले की घोषणा के तुरंत बाद आई।
शाह ने अपने ‘एक्स’ हैंडल के जरिए अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन गया है। मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने अलगाववाद को जम्मू-कश्मीर से बाहर कर दिया है। हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है।” शाह ने कहा, “मैं भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में इस कदम का स्वागत करता हूं और ऐसे सभी समूहों से आगे आने और अलगाववाद को हमेशा के लिए खत्म करने का आग्रह करता हूं। यह पीएम श्री @narendramodi जी के विकसित, शांतिपूर्ण और एकीकृत भारत के निर्माण के दृष्टिकोण की एक बड़ी जीत है।”
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हुर्रियत से जुड़े दो समूहों द्वारा लिए गए इस फैसले को केंद्र शासित प्रदेश में बदलते राजनीतिक परिदृश्य का प्रतिबिंब माना जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई उपाय लागू किए हैं, जिनमें आतंकवाद विरोधी कानूनों का सख्त पालन और सामाजिक-आर्थिक सुधार शामिल हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह घटनाक्रम जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है, जो आगे एकीकरण और शांति का मार्ग प्रशस्त करता है।