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संस्थान की स्थापना करना और उसे संचालित करना दो अलग-अलग बातें: Allahabad High Court

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग के किसी व्यक्ति द्वारा किसी संस्थान का प्रबंधन करने का मतलब यह नहीं है कि उसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा मिल जाएगा।

05:48 AM Sep 14, 2022 IST | Desk Team

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग के किसी व्यक्ति द्वारा किसी संस्थान का प्रबंधन करने का मतलब यह नहीं है कि उसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा मिल जाएगा।

संस्थान की स्थापना करना और उसे संचालित करना दो अलग अलग बातें  allahabad high court
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग के किसी व्यक्ति द्वारा किसी संस्थान का प्रबंधन करने का मतलब यह नहीं है कि उसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा मिल जाएगा।
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न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने ‘एमटीवी बुद्धिस्ट रिलीजियस एंड चैरिटेबल ट्रस्ट’ द्वारा दाखिल याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया।
पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश निजी पेशेवर शिक्षा संस्थान अधिनियम 2006 के अनुसार किसी संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि न सिर्फ उसका प्रबंधन अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा हो बल्कि उस संस्थान की स्थापना भी अल्पसंख्यक वर्ग के ही द्वारा की गई हो और सरकार इसकी अधिसूचना भी जारी करे।याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी और बाद में वर्ष 2015 में उस ट्रस्ट के सदस्यों ने बौद्ध धर्म अपना लिया था और संस्थान का संचालन जारी रखा था।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार इस ट्रस्ट द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान को अल्पसंख्यक संस्थान के तौर पर नहीं ले रही है, तो उसके इस फैसले को अवैध घोषित नहीं किया जा सकता। पीठ ने यह भी कहा, संस्थान की स्थापना करना और उसे संचालित करना दो अलग-अलग बातें हैं। अगर कोई सोसाइटी या ट्रस्ट जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य शामिल नहीं हैं और उस वक्त वह कोई शिक्षण संस्थान स्थापित करता है और उसके बाद अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा हासिल करके ऐसे संस्थान का प्रबंधन शुरू करता है तो हमारी राय में ऐसे हालात में संबंधित शिक्षण संस्थान को ना तो वर्ष 2006 के अधिनियम के तहत अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा और ना ही वर्ष 2004 के अधिनियम के अंतर्गत अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान के तौर पर मान्यता दी जाएगी।
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