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आर्थिक विकास दर 6.5 फीसदी के अनुमान से विकास केंद्रित बजट की उम्मीद

देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों के साथ आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में आगामी वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 6 से 6.5 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आगामी आम बजट विकास केंद्रित रह सकता है।

08:16 PM Jan 31, 2020 IST | Shera Rajput

देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों के साथ आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में आगामी वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 6 से 6.5 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आगामी आम बजट विकास केंद्रित रह सकता है।

देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीदों के साथ आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में आगामी वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 6 से 6.5 फीसदी रहने की संभावना जताई गई है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आगामी आम बजट विकास केंद्रित रह सकता है। 
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लोकसभा में आम बजट 2020-21 पेश करेंगी। उम्मीद की जा रही है कि वित्तमंत्री देश की आर्थिक विकास को रफ्तार देने और निवेश बढ़ाने को लेकर वित्तीय प्रोत्साहन संबंधी घोषणाएं कर सकती हैं। 
आर्थिक सर्वेक्षण से देश में आर्थिक सुस्ती का दौर समाप्त होने का संकेत मिलता है। आगामी तिमाहियों में आर्थिक विकास दर में तेजी देखने को मिल सकती है। 
आगामी वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी विकास दर में तेजी का अनुमान ऐसे समय में आया है जब केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी विकास दर पांच फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। चालू वित्त वर्ष में जुलाई से सितंबर के दौरान जीडीपी विकास दर 4.5 फीसदी पर आ गई जोकि बीते छह साल का निचला स्तर था। आर्थिक विकास दर में आई इस गिरावट से सरकार पर सुधार के उपाय करने का दबाव बढ़ गया है। 
सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन द्वारा तैयार किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य में ढील देने का सुझाव दिया गया है। 
निर्मला सीतारमण ने पिछले साल जुलाई में बतौर वित्तमंत्री पहला बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटा लक्ष्य को 3.4 फीसदी से घटाकर 3.3 फीसदी कर दिया था। 
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के एन. आर. भानुमूर्ति ने कहा, ‘आर्थिक विकास दर अनुमान आकांक्षापूर्ण है। भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती का दौर समाप्त हो चुका है और हम बीती तिमाही में ही सुधार देख चुके हैं, लेकिन सुधार उतना मजबूत नहीं हुआ है।’ 
कुछ वैश्विक एजेंसियों ने भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर आगामी वित्त वर्ष में छह फीसदी से कम रहने का अनुमान जताया है। विश्व बैंक ने जनवरी में अपने पूर्वानुमान में भारत की आर्थिक विकास दर छह फीसदी से कम रहने का अनुमान लगाया था। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने जनवरी में अपने वर्ल्ड इकॉनोमिक आउटलुक अपडेट में भारत की जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2020-21 में 5.8 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है। 
आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार को सुधार के कार्यक्रमों में तेजी लाने का सुझाव दिया गया है। 
डेलायट इंडिया की अर्थशास्त्री रूक्मी मजूमदार ने कहा, ‘सरकार ने आर्थिक विकास को प्राथमिकता दी है। एक बार विकास रफ्तार पकड़ने के बाद सरकार अपने खर्च को समेकित करने की दिशा में कदम उठा सकती है। कई अर्थव्यवस्थाओं ने अतीत में ऐसे कदम उठाए हैं।’
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