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Explainer: PM मोदी की पांच देशों की ऐतिहासिक यात्रा, जानें इससे भारत को क्या हुआ लाभ?

04:28 PM Jul 10, 2025 IST | Amit Kumar
Explainer: PM मोदी की पांच देशों की ऐतिहासिक यात्रा, जानें इससे भारत को क्या हुआ लाभ?

Explainer: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 जुलाई से 9 जुलाई, 2025 तक अपने पांच देशों के दौरे के बाद गुरुवार सुबह नई दिल्ली लौट आए. इस यात्रा में उन्होंने घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित 17वें ब्रिक्स सम्मेलन में भी हिस्सा लिया. यह दौरा भारत की वैश्विक रणनीति और ग्लोबल साउथ के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम साबित हुआ.

इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, और नामीबिया की संसदों को संबोधित किया. अब तक उन्होंने 17 विदेशी संसदों में भाषण दिए हैं. यह आंकड़ा इसलिए भी खास है क्योंकि आज तक के सभी कांग्रेस प्रधानमंत्रियों ने मिलाकर विदेशी संसद में 17 भाषण दिए हैं. यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व स्तर पर सबसे सक्रिय भारतीय नेताओं में से एक हैं. उनका यह दौरा यह साबित करता है कि भारत अब सिर्फ क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज करवा रहा है.

देश-दर-देश यात्रा की झलक

घाना:

मोदी वहां 30 वर्षों बाद जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने. उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान "ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना" से नवाजा गया.

त्रिनिदाद और टोबैगो:

वहां उन्होंने भारतीय प्रवासियों के 180 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद को संबोधित किया. उन्होंने भारत की ओर से विकासशील देशों के लिए समर्थन दोहराया.

नामीबिया:

पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया. संसद में उनके भाषण के दौरान "मोदी, मोदी" के नारे लगे. यह भारत की प्रतिष्ठा में आई बढ़ोतरी का प्रतीक है.

मोदी के भाषण: वैश्विक जुड़ाव का प्रतीक

2014 से अब तक पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया, फिजी, नेपाल, भूटान, यूएस, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मॉरीशस, युगांडा, मालदीव, गुयाना जैसे देशों की संसदों को भी संबोधित किया है. उनके भाषणों में आमतौर पर लोकतंत्र, सतत विकास, तकनीकी सहयोग, जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधार जैसे अहम मुद्दे शामिल होते हैं.

दिखावे से ज्यादा संदेश

पीएम मोदी की यात्रा केवल भाषणों या सम्मानों तक सीमित नहीं रही. त्रिनिदाद और टोबैगो में उन्होंने उस स्पीकर की कुर्सी को याद किया जो भारत ने 1968 में उपहार में दी थी. यह दिखाता है कि भारत अपने पुराने संबंधों को भी सम्मान देता है.

भारत की बढ़ती भूमिका

2026 में भारत ब्रिक्स सम्मेलन की मेज़बानी करेगा. यह दौरा उसी दिशा में एक मजबूत तैयारी मानी जा सकती है. आज भारत का संदेश साफ है. भारत अब पीछे नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व की दौड़ में आगे है. यह दौरा भारत की कूटनीतिक मजबूती और वैश्विक साझेदारी को नई ऊंचाई देने की दिशा में मील का पत्थर बन गया है.

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