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क्या होती है Money Laundering, जिसके चलते CM केजरीवाल को हुई जेल

01:08 PM Mar 22, 2024 IST
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Arvind kejriwal Arrested: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह मामला दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़ा है जिसे दिल्ली सरकार 2021 में लाई और 2022 में इसे वापस ले लिया था। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिर क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग। और इसकी शुरुआत कब हुई।

Highlights

क्या होती है मनी लॉन्ड्रिंग

मनी लॉन्ड्रिंग से तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाने से होता है. मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका है। मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से धन ऐसे कामों या निवेश में लगाया जाता है कि जाँच करने वाली एजेंसियां भी धन के मुख्य सोर्स का पता नही लगा पातीं है, जो व्यक्ति धन की हेरा फेरी करता है उसको “लाउन्डरर” (The launderer) कहा जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग में अवैध माध्यम से कमाया गया काला धन सफ़ेद होकर अपने असली मालिक के पास वैध मुद्रा के रूप में लौट आता है।

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में ED ने गिरफ्तार कर लिया है। ED ने उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। अरविंद केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी नीति बनाते समय गलत तरीके ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया। केजरीवाल से पहल उनकी सरकार के 2 अन्य बड़े मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है। आ

कहा से मिला ये शब्द

मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) यानी पैसों की सफाई या धुलाई। यह शब्द US की देन है। कहा जाता है कि यहां के माफिया गलत तरीकों से जो धन कमाया था उसे कई तरीकों से लीगल मनी बनाते थे। यहीं से मनी लॉन्ड्रिंग शब्द आया। काले धन को सफेद करने के लिए इसका सहारा लिया जाता है। माफियाओं से शुरू हुआ ये तरीका आज बिजनेसमैन, राजनेता और नौकरशाह भी इस्तेमाल करते हैं, जो आदमी धन की हेराफेरी करता है उसे लॉन्डरर कहा जाता है। इस कारनामे को कई तरीकों से अंजाम दिया जाता है। अंत में काला धन सफेद होकर कुछ परसेंट के कट के साथ दोबारा अपने मूल मालिक के पास लौट आता है। आप ये तो जान गए कि मनी लॉन्ड्रिंग काले धन को सफेद यानी लीगल करने का प्रोसेस है। लेकिन इसे किया कैसे जाता है? ऐसे कई तरीके हैं जिनके माध्यम से ब्लैक मनी को वाइट किया जाता है।

लॉन्डरिंग पैसे की प्रक्रिया में तीन चरण शामिल होते हैं

प्लेसमेंट (Placement)

पहला चरण के अंतर्गत नकदी के बाजार में आने से है। इसमें लाउन्डरर (The launderer) अवैध तरीके से कमाए गए धन को वित्तीय संस्थानों जैसे बैंकों या अन्य प्रकार के औपचारिक या अनौपचारिक वित्तीय संस्थानों में नकद जमा करता है।

लेयरिंग (Layering)

“मनी लॉन्ड्रिंग” में दूसरा चरण ‘लेयरिंग’ धन छुपाने से सम्बंधित है। इसमें लाउन्डरर लेखा किताब (Book of accounting) में गड़बड़ी करके और अन्य संदिग्ध लेनदेन करके अपनी असली आय को छुपा लेता है। लाउन्डरर, धनराशि को निवेश के साधनों जैसे कि बांड, स्टॉक, और ट्रैवेलर्स चेक या विदेशों में अपने बैंक खातों में जमा करा देता है। यह खाता अक्सर ऐसे देशों की बैंकों में खोला जाता है, जो कि मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी अभियानों में सहयोग नही करते हैं।

एकीकरण (Integration)

यह मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया का अंतिम चरण है। इस प्रकिया के माध्यम से बाहर भेजा पैसा या देश में खपाया गया पैसा वापस लाउन्डरर के पास वैध धन के रूप में आ जाता है। ऐसा धन अक्सर किसी कंपनी में निवेश,अचल संपत्ति खरीदने, लक्जरी सामान खरीदने आदि के माध्यम से वापस आता है।

प्रॉपर्टी में निवेश

ऐसा कई बार सुनने में आता है कि उस सरकार इस शख्स को सस्ते में जमीन मुहैया कराई गई थी। इस पर काफी सवाल खड़े होते हैं कि ऐसा क्यों किया गया। दरअसल, मनी लॉन्डरिंग में भी ऐसा किया जाता है, जहां महंगी जमीन, घर, दुकान को कागजों में सस्ते दाम पर खरीदता है, ताकि उस पर टैक्स कम देना पड़े।

फर्जी कंपनियां

आपने शैल कंपनियों के बारे में सुना होगा. अगर नहीं तो हम बताते हैं। ये फर्जी कंपनियां होती हैं। इनमें कोई पूंजी नहीं लगी होती। दरअसल, कई बार तो जमीन पर कोई ढांचा भी नहीं होता है। बस कागजों में एक कंपनी होती है, जिसके जरिए काले धन के मूल मालिक को पैसा मिल रहा होता है। ये काले धन को वैध बनाने के सबसे चर्चित तरीकों में से एक है।

बैंक में जमा करना

कई बार मनी लॉन्डरर ऐसा भी करते हैं कि वह पैसों को उठाकर ऐसे देश के बैंक में जमा कर देते हैं, जहां उसके देश की सरकार का कोई जांच करने का अधिकार न हो। इन जगहों को सेफ हैवन कहा जाता है। कुछ समय पहले पनामा इसलिए चर्चा में आया था क्योंकि वहां बैंकों में बड़ी-बड़ी हस्तियों का काला धन होने की खबर सामने आई थी। स्विस बैंक इस मामले में सबसे चर्चित बैंक है।

भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग के लिए कानून

भारत में मनी-लॉन्ड्रिंग कानून, 2002 में अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसमें 3 बार संशोधन (2005, 2009 और 2012) किया जा चुका है। 2012 के आखिरी संशोधन को जनवरी 3, 2013 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली थी और यह कानून 15 फरवरी से लागू हो गया है।

PML (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की सूची में धन को छुपाना (concealment), अधिग्रहण (acquisition) कब्ज़ा (possession) और धन का क्रिमिनल कामों में उपयोग (use of proceeds of crime) इत्यादि को शामिल किया है।

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