क्या पुखराज बदल सकता है आपकी किस्मत? जानिए किसे करना चाहिए धारण
नव ग्रहों की फेहरिस्त में बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह समझा गया है। इसलिए ज्यादातर लोगों का यह समझना है कि बृहस्पति के रत्न पुखराज को धारण करने से कोई नुकसान नहीं होता है। जबकि यह बात पूरी तरह ठीक नहीं है। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि किसी भी रत्न को कुंडली के अवलोकन के उपरान्त ही धारण करना चाहिए। यहां तक कि मोती भी कुंडली के आधार पर ही पहना जाए तो ज्यादा अच्छा फल मिल सकता है। वैसे आम जन में यह मान्यता लोकप्रिय है कि यदि आपकी उम्र 45-50 से अधिक है तो आप बिना किसी सलाह के पुखराज पहन सकते हैं। आमतौर पर इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता है लेकिन कम उम्र होने पर कुंडली के आधार पर ही पुखराज को धारण करना अधिक उचित कहा जायेगा।
क्या होता है पुखराज
पुखराज मूलतः एक पत्थर है जिसकी कठोरता लगभग 9 पॉइंट है। अंग्रेजी में इसे सैफायर कहते हैं। यह वैदिक काल से प्रचलन में है। वर्तमान में नीलम और पुखराज दोनों को सफायर कहा जाता है। यह सैफायर पत्थर बहुत से रंगों में खान से प्राप्त होता है। वस्तुतः दो रंग विशेष पाए जाते हैं। एक है पीला और दूसरा है नीला। जब कोई सैफायर पीला हो तो वह पुखराज कहलाता है और जब नीला हो तो नीलम कहलाता है। दोनों एक ही पत्थर है। केवल रंग का अंतर है। इसके अलावा सैफायर गुलाबी, पीताम्बरी, सफेद आदि रंगों में भी प्राप्त होता है। लेकिन जब कोई सैफायर नीला या पीला नहीं हो तो वह किसी ग्रह के रंग से सामंजस्य नहीं बैठा पाता है, लिहाजा वह बेशकीमती नहीं होता है। सबसे अच्छे सफायर सिलोन यानी श्रीलंका की खानों से निकलते हैं। इसलिए सिलोनी पुखराज को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। भारत के कश्मीर का पुखराज प्रसिद्ध है लेकिन उसकी उपलब्धता बहुत कम है। श्रीलंका और कश्मीर के अलावा म्यांमार, उड़ीसा, आस्ट्रेलिया, चीन, थाइलैण्ड और अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी पुखराज पाया जाता है। हालांकि इनमें सिलोन या श्रीलंका का पुखराज ही श्रेष्ठ होता है।
क्या पुखराज है चमत्कारी रत्न
यह बात पूरी तरह से सत्य है कि पुखराज चमत्कारी रत्न है। मेरा अनुभव है कि पुखराज किसी भी व्यक्ति की किस्मत बदल सकता है। हालांकि यह बात सभी पर समान रूप से लागू नहीं होती है। क्योंकि दुनिया में अरबों मनुष्य है और उनकी सभी की प्रकृति बिल्कुल समान नहीं है। इसलिए यह दावा किया जाना कि पुखराज सभी पर समान रूप से प्रभावी होता है, केवल भ्रम फैलाने के अतिरिक्त कुछ नहीं है। हालांकि यह भी एक सत्य है कि यदि पुखराज आपके अनुकूल है तो वह आपको उस जैसी किसी फैक्टरी का मालिक बना सकता है जिसमें कि आप नौकरी कर रहे होते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से तभी लागू होता है जब कि आपकी जन्म कुंडली में बृहस्पति कारक ग्रह हो।
पुखराज कौन कर सकता है धारण
सर्वप्रथम तो यह देखें कि आपकी जन्म कुंडली या हाथों की रेखाओं में बृहस्पति की क्या स्थिति है। क्यों कि किसी भी रत्न का सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए कुंडली या हाथों की रेखाओं को देखना जरूरी है। जिन लोगों के लिए पुखराज कुंडली के आधार पर शुभ होता है। उन्हें यह धारण करते ही एक-दो महीनों में ही शुभ परिणाम देना आरम्भ कर देता है। बिजनेस में आ रही बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। स्वास्थ्य में सुधार होता है। जो लोग नौकरी पेशा हैं, उनकी पदोन्नति होती है। स्वयं से अधिक धनी, क्षमतावान, पॉवरफुल और ऊंची पहुंच रखने वाले लोगों से मेलजोल बढ़ता है। हाथ में धन आता है। मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। जब हम जन्म कुंडली की बात करें तो मेष, धनु और मीन लग्न में पुखराज अधिक काम करता है। दूसरे लग्नों में भी पुखराज को धारण करने का लाभ मिल सकता है लेकिन इसका निर्णय जन्म कुंडली को देख कर ही करें। चूंकि देव गुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। इस आधार पर आप कह सकते हैं कि जिन लोगों की चन्द्र राशि या लग्न धनु या मीन है उन्हें तो निश्चित तौर पर पुखराज धारण कर ही लेना चाहिए। जो लोग शौकीन मिजाज होते हैं और पुखराज को केवल सजावट के लिए ही धारण करना चाहते हैं उन्हें चाहिए कि वे पीले रंग के कांच को धारण करें। यह देखने में तो पुखराज की तरह ही दिखाई देगा लेकिन इसका कोई अच्छा या बुरा प्रभाव नहीं होगा। कुछ मामलों में देखा जाता है कि जन्म कुंडली या जन्म संबंधी दिनांक आदि की जानकारी नहीं होती है। ऐसी स्थिति में शुभ और फलदायी रत्न का निर्धारण दो तरह से किया जाना चाहिए। पहला तो यह कि हथेली की रेखाओं को देखें। यदि दोनों हाथों में बृहस्पति की स्थिति अच्छी है तो आप निःसंकोच पुखराज पहन सकते हैं। दूसरा तरीका यह है कि चूंकि बृहस्पति शिक्षण, धर्म और सलाह जैसे क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करता है अतः इन क्षेत्रों से जुड़ी सभी तरह की नौकरी और बिजनेस पर बृहस्पति का अधिकार है। इन लोगों को अवश्य ही पुखराज धारण करके लाभ उठाना चाहिए। इसके अलावा और भी बहुत से बिजनेस या सर्विस पर बृहस्पति का अधिकार सिद्ध है। उदाहरण के लिए अध्यापन, पूजा-पाठ करना, ज्योतिष या वास्तु सलाहकार, सलाह देना जैसे वकील, सी. ए. या कोई भी कंसल्टेंसी का काम, फाईनेन्स का काम, बैंकिंग, शेयर आदि की खरीद और बिक्री, उपदेश देने का कार्य, दर्शन शास्त्र का अध्यापन, ट्रस्ट आदि का संचालन, छोटी-छोटी रकम ब्याज पर देने का काम, खाने की ठोस वस्तुओं का व्यापार, लेखन और प्रकाशन का काम, एन.जी.ओ. का संचालन आदि क्षेत्रों से आप संबंधित हैं तो भी पुखराज धारण कर सकते हैं।
मैरिड लाईफ को सुखद बनाता है पुखराज
यदि किसी का दांपत्य जीवन सुखद नहीं है। मन मुटाव या लड़ाई-झगड़े चलते रहते हैं उन्हें एक बार पुखराज जरूर ट्राई करना चाहिए। ज्यादातर मामलों में जिनमें सामान्य मतभेद या विचार भिन्नता होती है उनमें पुखराज बहुत अच्छा काम करता है। इसके पीछे का सिद्धांत यह है कि बृहस्पति, विवाह और दांपत्य सुख का कारक है। इसी प्रकार से यदि कोई महिला पुखराज धारण करती है तो उसके पति को बिजनेस या सर्विस में तरक्की निश्चित तौर पर मिलेगी इसमें कोई शंका नहीं है। क्योंकि किसी भद्र महिला के लिए बृहस्पति उसके पति का प्रतिनिधित्व करता है। और मूलतः बृहस्पति सुख, समृद्धि और स्थाई प्रसिद्धि का कारक है। इसके अलावा जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है उन्हें भी पुखराज धारण कर लेना चाहिए।
कैसा पुखराज होता है शुभ
रत्न यदि अच्छा और निर्दोष हो तो उसके वजन का कोई खास महत्व नहीं है। यह अलग बात है कि यदि आपके पास बजट की कोई समस्या नहीं है तो आप 6 से 11 कैरेट तक का पुखराज पहन सकते हैं लेकिन आमतौर पर जनसाधारण के लिए लगभग 3 से 5 कैरेट वजन का पुखराज पर्याप्त होता है। इससे अधिक वजन का पुखराज बहुत महंगा आता है। पुखराज को हमेशा सोने या चांदी में ही धारण करना ठीक रहता है।
पुखराज भले ही वजन में कम हो लेकिन वह टूटा हुआ या काले धब्बों से दूषित नहीं होना चाहिए। ऐसा पुखराज फायदा करने की बजाए नुकसान कर सकता है। ज्यादातर पुखराज अंडाकार या गोलाकार प्राप्त होता है। हालांकि यह आकार भी शुभ है लेकिन चौरस आकार का पुखराज विशेष प्रभावी देखा जाता है।
कब और कैसे धारण करें
- पुखराज को धारण करने से पूर्व बृहस्पति के 11000 बीज मंत्रों से अभिमंत्रित करना चाहिए।
- पुखराज का हमेशा शुक्ल पक्ष के किसी गुरूवार को धारण करना चाहिए। यदि ऐसा करना संभव नहीं हो तो रविवार, सोमवार या मंगलवार को भी पुखराज पहना जा सकता है। लेकिन किसी भी स्थिति में पुखराज को बुधवार, शुक्रवार या शनिवार को नहीं पहनना चाहिए।
- पुखराज को हमेशा प्रातः काल धारण करना चाहिए। अर्थात सूर्योदय होने के लगभग 2 घंटे तक समय सबसे उचित होता है।
- पुखराज को सोने में पहना जाना उचित है। यदि यह संभव नहीं हो तो चांदी में भी पुखराज पहन सकते हैं।
- अंगूठी को धारण करने से पूर्व कच्चे दूध या गंगा जल से शुद्ध करना चाहिए।
- पुखराज को हमेशा दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली में पहना जाता है।
- यदि संभव हो तो पुखराज की मुद्रिका को किसी योग्य और विद्वान ब्राह्मण के हाथों से धारण करना चाहिए। ध्यान रखना चाहिए कि जिस ब्राह्मण के हाथ से आप धारण कर रहे हैं वह शिक्षित, सफल और 50 वर्ष से अधिक आयु का हो।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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