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किशोर साइबर अपराधों पर CJI चंद्रचूड़ का एक्शन, अंतरराष्ट्रीय सहयोग का किया आह्वान

07:55 PM May 04, 2024 IST
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CJI Chandrachud Action On Cyber Crimes: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि प्रौद्योगिकी के त्वरित विकास की पृष्ठभूमि में नाबालिगों से संबंधित अंतरराष्ट्रीय डिजिटल अपराधों से निपटने के लिए किशोर न्याय प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाकर एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके सामंजस्य स्थापित करना होगा। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नेपाल के प्रधान न्यायाधीश (सीजेएन) बिश्वम्भर प्रसाद श्रेष्ठ के निमंत्रण पर नेपाल की तीन-दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर यहां आए हैं।

Highlights:

किशोर साइबर अपराधों पर CJI चंद्रचूड़ का बड़ा कदम

किशोर न्याय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘किशोर न्याय पर चर्चा करते समय, हमें कानूनी विवादों में उलझे बच्चों की कमजोरियों और उनकी अनूठी जरूरतों को पहचानना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्याय प्रणालियां समाज में सहानुभूति, पुनर्वास को बढ़ावा दे और पुन: एकीकरण के अवसरों को अनुकूल हों।’’ उन्होंने कहा कि किशोर न्याय की बहुमुखी प्रकृति और समाज के विभिन्न आयामों के साथ इसके अंतर्संबंधों को समझना महत्वपूर्ण है।

साइबर अपराधों को केंद्रित करना जरूरी- CJI चंद्रचूड़

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी का विकास तेजी से हो रहा है और किशोर हैकिंग, साइबर क्षेत्र में किसी पर दबाव डालना, ऑनलाइन धोखाधड़ी और डिजिटल उत्पीड़न जैसे साइबर अपराधों में शामिल हो रहे हैं। डिजिटल प्लेटफार्म की गुमनामी और पहुंच प्रवेश की बाधाओं को कम करती है, जिससे युवा व्यक्ति अवैध गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘इसका तेजी से प्रसार किशोरों की ऑनलाइन खतरों के प्रति संवेदनशीलता को उजागर करता है। डिजिटल युग में युवाओं को शिक्षित और सुरक्षित करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है और डिजिटल साक्षरता, जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार तथा प्रभावी अभिभावक मार्गदर्शन पर जोर देना साइबर से संबंधित जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण घटक साबित होगा।’’

'बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं'

उन्होंने कहा कि किशोर न्याय प्रणालियों को अंतरराष्ट्रीय सहयोग तंत्र को बढ़ाकर और किशोरों से जुड़े डिजिटल अपराधों की अंतरराष्ट्रीय प्रकृति से निपटने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। सीजेआई ने कहा, ‘‘इसमें प्रत्यर्पण और स्वदेश वापसी के लिए प्रोटोकॉल स्थापित करना, साथ ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सूचना साझा करना और सहयोग को सुविधाजनक बनाना शामिल है। उन्होंने कहा कि घरेलू स्तर पर, बाल संरक्षण नियमों में विशिष्ट प्रशिक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि किशोर न्याय प्रणाली में शामिल सभी हितधारकों के पास बच्चों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल हैं।

'व्यवहार में योगदान देने वाले अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक कारकों से निपटता हो'

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘अक्सर, हम किशोरों के सुधार पर विचार करने के बजाय उनके द्वारा किए गए अपराधों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं। इस प्रकार किशोर अपराध की जटिल प्रकृति को स्वीकार करना और एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो जाता है, जो इस तरह के व्यवहार में योगदान देने वाले अंतर्निहित सामाजिक-आर्थिक कारकों से निपटता हो।’’ सीजेआई ने भारत और नेपाल की किशोर न्याय प्रणालियों का विश्लेषण करते हुए कहा, रोकथाम, हस्तक्षेप और पुनर्वास की रणनीतियों को अमल में लाकर हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जो अधिक समावेशी हो और प्रत्येक बच्चे को अपनी क्षमता पूरी करने का अवसर प्रदान करे।

'किशोर न्याय सुधारात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करके एक निष्पक्ष भूमिका निभाता है'

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किशोर न्याय सुधारात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करके एक निष्पक्ष और न्यायसंगत समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि बच्चों की भलाई को सबसे आगे रखकर और पुनर्वास एवं सहायता सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके, किशोर न्याय प्रणाली युवा अपराधियों के समग्र विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में मदद करती है।

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