क्या नीलम बना देता है रंक से राजा? जानिए किन लोगों के लिए नीलम होता है खतरनाक
नीलम एक चमत्कारी पत्थर है जो बहुत जल्दी परिणाम देने में सक्षम है। लेकिन इतना जल्दी भी परिणाम नहीं मिलता है जितना कि लोगों में भय व्याप्त है। लोग सोचते हैं कि नीलम को धारण करते ही अचानक कुछ अच्छा या बुरा हो जायेगा। इसलिए लोगों के मध्य यह धारणा फैली हुई है कि नीलम को अंगूठी में पहनने से पहले उसे टेस्ट कर लेना चाहिए। कहीं ऐसा नहीं हो कि नीलम हमारे लिए अनुकूल नहीं हो और जीवन में कोई बड़ा और नकारात्मक परिणाम देखने को मिल जाए। इसलिए नीलम को चैक करने के लिए बहुत से तरीके अपनाए जाते हैं जैसे उसे नीले रंग के कपड़े में लपेटकर बाजु में बांधा जाता है। रात को सोते समय तकिये के नीचे रखा जाता है। जिससे रात्रि में जो शुभ या अशुभ स्वप्न आते हैं उनके आधार पर यह निर्णय किया जा सके कि आपके लिए नीलम अनुकूल है या नहीं है। खैर! आज नीलम के बारे में बहुत सी बातों के बारे में आप अन्तिम निर्णय पर पहुंच जायेंगे। बहुत सी गलत धारणाओं से मुक्ति मिल जायेगी।
क्या है नीलम
नीलम वास्तव में एक पत्थर है जिसकी कठोरता लगभग 9 पॉइंट है। अंग्रेजी में इसे सैफायर कहते हैं। माना जाता है कि वैदिक काल में नीलम को शनिप्रिया कहा जाता था। और बौद्ध भिक्षुओं ने अपने बोलने की स्पष्टता के लिए इसे शनिप्रिया के स्थान पर शैपायर कहने लगे जो बाद में अंग्रेजी में सैफायर बन गया। वर्तमान में नीलम और पुखराज दोनों को सैफायर कहा जाता है। यह सैफायर पत्थर बहुत से रंगों में खान से प्राप्त होता है। वस्तुतः दो रंग विशेष पाए जाते हैं। एक है पीला और दूसरा है नीला। जब कोई सैफायर पीला हो तो वह पुखराज कहलाता है और जब नीला हो तो नीलम कहलाता है। दोनों एक ही पत्थर है। केवल रंग का अंतर है। इसके अलावा सैफायर गुलाबी, पीताम्बरी, सफेद आदि रंगों में भी प्राप्त होता है। लेकिन जब कोई सैफायर नीला या पीला नहीं हो तो वह किसी ग्रह के रंग से सामंजस्य नहीं बैठ पाता है, लिहाजा वह बेशकीमती नहीं होता है।
कहां पाया जाता है नीलम
सबसे अच्छे सफायर सिलोन यानी श्रीलंका की खानों से निकलते हैं। इसलिए सिलोनी नीलम को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। भारत के कश्मीर का नीलम भी प्रसिद्ध है लेकिन उसकी उपलब्धता बहुत कम है। श्रीलंका और कश्मीर के अलावा म्यांमार, आस्ट्रेलिया, चीन, थाईलैंड और अमेरिका के कुछ हिस्सों में भी नीलम पाया जाता है। हालांकि इनमें श्रीलंका और कश्मीर की नीलम ही श्रेष्ठ मानी जाती है।
क्यों पहनी जाती है नीलम
नीलम दरअसल उस स्थिति में पहनी जाती है जब कि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि कारक हो अर्थात् शुभ घरों का स्वामी हो लेकिन किन्हीं ग्रह दोषों के कारण कमजोर या बलहीन हो गया हो। बलहीन होने के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे शनि अंश बलहीन हो यानि या तो बाल्यावस्था में हो या फिर वृद्धावस्था में हो। इसके अलावा शनि कारक होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में चला गया हो। शनि पाप ग्रहों से दृष्ट हो लेकिन शुभ ग्रहों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं बन रहा हो। इस प्रकार से शनि के कमजोर होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। इस स्थिति में शनि को बल देने के लिए नीलम को धारण किया जाता है। इसलिए यदि एक बार यह तय हो जाए कि शनि आपकी कुंडली से कारक ग्रह है तो उसके बाद नीलम को धारण करने के लिए किसी टेस्ट आदि की आवश्यकता नहीं है। लेकिन दूसरी परिस्थिति तब बनती है जब कि आप नीलम को अपनी नाम राशि के आधार पर धारण करते हैं या चन्द्र राशि के आधार पर धारण करते हैं तो उस स्थिति में नीलम को अवश्य टेस्ट कर लेना चाहिए। अन्यथा हो सकता है कि आपको उसका कोई नुकसान उठाना पड़ जाए। लेकिन किसी भी स्थिति में ऐसा कोई नीलम नहीं आता है जो कि धारण करते ही आपको कोई नुकसान या फिर लाभ देने लगे।
किन लोगों को नीलम धारण करनी चाहिए
नीलम के बारे में प्रसिद्ध है कि यदि नीलम किसी व्यक्ति को सकारात्मक फल देने लगे तो उसे कुछ ही दिनों या महीनों में करोड़पति बना देती है। इसी प्रकार से यदि यह नकारात्मक फल दे तो तुरन्त बिजनेस में कोई बड़ा नुकसान करवा देती है और उसे धारण करने वाला भिखारी बन जाता है। या फिर दुर्घटना करवा देती है। आमतौर पर जिन लोगों का लग्न वृषभ, तुला, मकर या कुंभ हो। या जिनकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा वृषभ, तुला, मकर या कुंभ राशि में हो। इन दोनों स्थितियों के अलावा यदि कोई स्थिति बन रही हो या आपको नीलम धारण करनी हो तो आपको ज्योतिषी से परामर्श करना ही चाहिए। क्योंकि इन चार लग्नों के अलावा दूसरे सभी लग्नों में शनि की शुभ अशुभ स्थिति को देखा जाना आवश्यक है। उदाहरण के लिए मेष लग्न में शनि दशमेश और एकादशेश होता है। इसलिए शनि मेष लग्न में कारक हो जाता है। वैसे भी जब केन्द्र के स्वामी पाप ग्रह हो तो वे शुभ फल देते हैं। फिर भी मेष लग्न के जातकों को नीलम धारण करने से पूर्व कुंडली का परीक्षण बहुत आवश्यक है।
नीलम की क्वालिटी कैसी होनी चाहिए
आमतौर पर हल्के नीले रंग की नीलम श्रेष्ठ समझी जाती है। नीलम गोलाकार या समचौरस जैसे किसी भी आकार में हो सकती है। लेकिन वह दूषित नहीं होनी चाहिए। वास्तव में आप जिस नीलम को खरीद रहें हैं वह ओरिजनल नीलम है या फिर कोई और पत्थर, इसकी वास्तविकता तो प्रयोगशाला में जांच के उपरान्त ही पता चल सकती है। लेकिन अनुभवी लोग आंखों से देख कर भी नीलम के असली या नकली होने के बारे में बता सकते हैं। यदि नीलम असली नहीं हो तो उसको धारण करने से कोई लाभ नहीं मिलता है। आमतौर पर अनुभव में आता है कि लोग नीलम के स्थान पर कांच का पीस दे देते हैं। इसलिए केवल भरोसे की संस्था या व्यक्ति से ही नीलम खरीदनी चाहिए। जिस नीलम में नीला रंग छितरा हुआ हो, ऐसी नीलम नकली होती है। इसे नहीं पहनना चाहिए। ऐसी नीलम लाभ की तुलना में हानि कर सकती है।
सामान्य परीक्षण के तौर पर आप देख सकते हैं कि जिस नीलम में काले या लाल धब्बे हों, ऐसी नीलम भी हानिकारक होती है।
नीलम के संबंध में जानने योग्य कुछ जरूरी बातें
- नीलम को धारण करने से पूर्व उसे शनि के मंत्रों से अभिमंत्रित करना चाहिए।
- नीलम को मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए।
- नीलम को शनिवार को या फिर जिस दिन शनि का नक्षत्र हो उस दिन धारण करना चाहिए।
- नीलम हमेशा संध्या बेला में या फिर किसी उचित मुहूर्त में ही धारण किया जाता है।
- लगभग 3 से 5 कैरेट वजन की नीलम अच्छा फल दे सकती है।
- यदि आपकी कुंडली के आधार पर आप नीलम धारण करते हैं तो किसी प्रकार से पूर्व परीक्षण की आवश्यकता नहीं है।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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