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क्या तुलसी माला से जादू टोना का प्रभाव होता है नष्ट? जानिए इसे धारण करने की धार्मिक रीतियां

03:35 PM Jun 11, 2024 IST
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भारतीय शास्त्रों में बहुत से पौधों को धार्मिक महत्व प्राप्त है। जिनमें आंवला, केला और तुलसी सबसे महत्वपूर्ण है। हालांकि इसके अलावा पीपल, बरगद और बील आदि को भी धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है लेकिन आमतौर पर ये बड़े वृक्ष हैं इसलिए नीजि आवास आदि पर आप इनका उपयोग नहीं कर सकते हैं। आंवला, तुलसी और केले का पौधा छोटा होने से उसे हम अपने घर, ऑफिस, दुकान या फैक्टरी में लगा सकते हैं। इन तीनों पौधों के अलग-अलग गुण धर्म है। तुलसी का पौधा घर में शांति और सौहार्द का वातावरण बना कर रखता है। केले का पौधा घर में धन की बरकत करता है। और आंवला स्वास्थ्य को फिट रखता है। इसलिए सभी घरों में इन तीन पौधों का होना जरूरी है। इनमें आंवले का पौधा कुछ समय के बाद एक छोटे पेड़ का आकार ले लेता है।

तुलसी माला से होता है जादू टोना का प्रभाव खत्म

भारतीय आचार्यों ने तुलसी के पौधे के साथ ही तुलसी की माला का भी बहुत महत्व बताया है। लेकिन यह तभी प्रभावी होती है जब कि इसे पूरी तरह से शास्त्रोक्त पद्धति से धारण किया जाए। पहली बात सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि आप तुलसी की माला को क्यों धारण कर रहे हैं, यह सर्वप्रथम विचारणीय है। यदि आप शौकिया तौर पर या धार्मिक रीति-रिवाजों के पालन के लिए तुलसी की माला धारण करते हैं तो आप किसी भी तुलसी की माला को पहन सकते हैं। लेकिन यदि आप एक विशेष उद्देश्य को लेकर तुलसी की माला धारण करते हैं तो यह जरूरी है कि पूरे विधि-विधान से उसको पहना जाए। उदाहरण के लिए आपको यह शंका है कि आप पर किसी ने जादू-टोना करवा दिया है। और इस दोष निवारण के लिए आपको किसी ने तुलसी की माला पहनने की सलाह दी है तो आपको बहुत सी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अन्यथा इस माला का कोई प्रभाव आपको देखने में नहीं आयेगा। इस संबंध में मैं आपको विस्तार से बताने की कोशिश करूंगा। यह अनुभव सिद्ध बात है कि तुलसी की माला सभी प्रकार के साधारण दुष्प्रभावों को नष्ट करने में रामबाण है। बहुत से मित्र मुझे जादू टोना और किए-कराए पर अनेक प्रकार के सवाल करते हैं। कुछ वास्तव में ही इस प्रकार के दुष्प्रभाव से पीड़ित होते हैं तो कुछ केवल वहम के मारे होते हैं। इसलिए जब यह कंफर्म हो जाए कि वास्तव में आप पर किसी ने काले जादू का प्रयोग किया है तो ही आपको उपाय करने चाहिए। हालांकि किसी भी स्थिति में तुलसी की माला धारण करने या किसी धार्मिक अनुष्ठान करने से कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। तथापि लाभ तभी होगा जब कि कोई प्रयोग किया गया है। अन्यथा आपको लगेगा कि इस अनुष्ठान का या तुलसी की माला को धारण करने का कोई प्रभाव नहीं हुआ है। क्योंकि सभी अनुष्ठान अपना प्रभाव दिखाते हैं लेकिन जिस दोष मुक्ति के लिए अनुष्ठान किया गया है और वास्तव में ऐसा कोई दोष है ही नहीं तो आपको कैसे उसके प्रभाव दिखाई देंगे। इसलिए बहुत सी बातों को ध्यान में रखते हुए तुलसी की माला को गले में पहना जाना चाहिए।

दोष निवारण के लिए कैसे करें तुलसी की माला का प्रयोग

जब आपको यह कंफर्म हो जाए कि कोई दोष है तो आप उपाय करें। इसके लिए तुलसी की माला को गले में धारण करना भी एक सशक्त उपाय है। लेकिन इस कार्य में वही माला प्रभावी होगी जो कि निम्नलिखित शास्त्रीय विधान के अनुसार बनाई गई हो या प्राप्त की गई हो:-
तुलसी की वही माला प्रभावी होती है जो कि उस पौधे से तैयार की गई हो जिसकी कि धार्मिक विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती रही हो। और जो एक निश्चित समय के साथ स्वतः ही सूख गई हो। प्रायः आप देखते हैं कि प्रत्येक मंदिर में तुलसी के बहुत से पौधे होते हैं। उन पौधों में जो तुलसी का पौधा समय के साथ स्वतः ही सूख जाता है उसके तने से माला बनाएँ। यदि स्वयं नहीं बना सकते हैं तो किसी कारपेन्टर से बनवा लें। इस बात को सरल भाषा में कहा जाए तो आप कह सकते हैं कि जो तुलसी की माला बाजार में बिक रहीं हैं, उन मालाओं को धारण करने का कोई मतलब नहीं है। विशेष रूप से तब, जब कि आप किसी विशेष उद्देश्य को लेकर तुलसी की माला धारण करना चाहते हैं। यदि हमारे घर में कोई तुलसी का पौधा है और उस पौधे की हमने साल भर से ज्यादा समय पूजा की है। यदि ऐसी तुलसी स्वतः ही प्राकृतिक कारणों से सूख गई है तो उसकी माला भी बनाई जा सकती है। यदि माला जितनी लकड़ी उपलब्ध नहीं हो रही हो तो आप कुछ मनकों का कंठा बना कर भी धारण कर सकते हैं। तुलसी की माला के लिए जब आप तुलसी की लकड़ी लाएं तो रविवार को नहीं लानी चाहिए। दूसरे किसी भी वार का ला सकते हैं। जब माला उपरोक्त सिद्धांतों के अनुसार तैयार हो जाती है तो उसे धारण करने से पूर्व उसकी पूजा करनी चाहिए और किसी शुभ मुहूर्त में उसे गले में धारण करनी चाहिए।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

तुलसी की माला को गले में पहनने का सबसे महत्वपूर्ण नियम तो यही है कि तुलसी की माला कभी भी गले में लटकनी नहीं चाहिए। वह हमेशा गले से चिपकी हुई होनी चाहिए। यदि माला लम्बी है तो उसे दोहरी करके धारण कर सकते हैं। दूसरी बात यह कि तुलसी की माला बहुत ही सात्विक होती है अतः तामसिक भोजन करने वाले, मदिरा का सेवन करने वाले या बात-बात पर गालियां बकने वाले लोगों को कभी भी तुलसी की माला धारण नहीं करनी चाहिए। तुलसी की माला को धारण करने वाले को हमेशा न केवल शारीरिक तौर पर बल्कि मन, कर्म और वचन तीनों से शुद्ध होना चाहिए। यह बात ध्यान में रखें कि तुलसी की माला को धारण करने के नियम दूसरी मालाओं की तुलना में कुछ कठोर है। इसलिए किसी के कहने भर से तुलसी की माला को कभी भी धारण नहीं करें। पहले अपने गत जीवन पर एक दृष्टि डालें कि वास्तव में आपके दैनिक क्रियाकलाप तुलसी की माला को धारण करने के लिए सैद्धांतिक तौर पर उचित है या नहीं है। यदि आप समझते हैं कि नहीं है तो कुछ महीनों तक अपनी दिनचर्या को पूरी तरह से धार्मिक और सात्विक बनाने की कोशिश करें उसके बाद ही तुलसी की माला को धारण करें। क्योंकि यह मान्यता है कि तुलसी की माला को धारण करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। और भगवान श्रीहरि उसे अपनी शरण में ले लेते हैं। यदि आप तुलसी की माला को धारण करने के लिए योग्य नहीं हैं और इसके बावजूद आप तुलसी की माला धारण करते हैं तो उसके साइड इफेक्ट्स को झेलने के लिए आपको तैयार रहना चाहिए। क्योंकि तुलसी नितान्त ही धर्म और आस्था से संबंधित चीज है। उसको आप उपहास नहीं कर सकते हैं। तुलसी की माला को प्रातः भगवान श्री हरि की पूजा के बाद ही धारण करनी चाहिए।

Astrologer Satyanarayan Jangid
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