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इन फूड़ आइटम्स में इस्तेमाल होने वाला इमल्सीफायर से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा, रिसर्च ने चौंकाया

02:34 PM May 08, 2024 IST
इन फूड़ आइटम्स में इस्तेमाल होने वाला इमल्सीफायर से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा  रिसर्च ने चौंकाया

क्या आप केक, बिस्कुट, ब्रेड, दही और आइसक्रीम जैसे अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन करना पसंद करते हैं? तो सावधान हो जाएं। एक अध्ययन खुलासा हुआ है कि जैंथम और ग्वार गम जैसे इमल्सीफायर्स से भरपूर ये खाद्य पदार्थ आपके डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इमल्सीफायर, सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला योजक, अक्सर प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है, ताकि वे अधिक आकर्षक दिखें, उनके स्वाद और बनावट को बढ़ावा दें और साथ ही शेल्फ लाइफ को भी बढ़ाएं। द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में छपे अध्ययन में फैटी एसिड, कैरेजेनन, संशोधित स्टार्च, लेसिथिन, फॉस्फेट, सेल्युलोज, मसूड़ों और पेक्टिन के मोनो- और डाइग्लिसराइड्स समेत इमल्सीफायर्स को टाइप 2 डायबिटीज के विकास के जोखिम से जोड़ा गया है। पहले इमल्सीफायर्स को स्तन और प्रोस्टेट के कैंसर से जोड़ा गया है। फ्रांस के INRAE- नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर, फूड एंड एनवायरनमेंट के शोधकर्ताओं ने इमल्सीफायर के आहार सेवन के बीच संबंधों का अध्ययन किया, जिसका मूल्यांकन 14 वर्षों की फॉलो-अप अवधि में किया गया।

  • केक, बिस्कुट, ब्रेड, दही और आइसक्रीम जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें
  • इमल्सीफायर्स खाद्य पदार्थों का सेवन करने से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है
  • इमल्सीफायर अक्सर प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है
  • इमल्सीफायर स्वाद, शेल्फ लाइफ और बनावट को बढ़ाता है

2009 और 2023 के बीच 104,139 वयस्कों समेत एक बड़े अध्ययन में टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने का जोखिम बताया गया। उन्होंने कुछ इमल्सीफायरों के लगातार संपर्क के परिणामस्वरूप डायबिटीज के लगभग 1,056 मामलों का निदान किया। ये कररागीनन थे (प्रति दिन 100 मिलीग्राम की वृद्धि पर 3 प्रतिशत जोखिम बढ़ा), ट्रिपोटेशियम फॉस्फेट (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 15 प्रतिशत जोखिम बढ़ा), मोनो और डायएसिटाइल टार्टरिक एसिड एस्टर मोनो और फैटी एसिड के डाइग्लिसराइड्स (प्रति दिन 100 मिलीग्राम की वृद्धि पर 4 प्रतिशत जोखिम बढ़ा), सोडियम साइट्रेट (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 4 प्रतिशत जोखिम बढ़ा), ग्वार गम (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 11 प्रतिशत जोखिम बढ़ा), अरबी गम (प्रति दिन 1,000 मिलीग्राम की वृद्धि पर 3 प्रतिशत जोखिम बढ़ा) और जैंथन गम (प्रति दिन 500 मिलीग्राम की वृद्धि पर 8 प्रतिशत जोखिम बढ़ा) शामिल है।

विशेषज्ञों ने चेताया

 

विशेषज्ञों के मुताबिक यह फूड़ आइटम्स एडिटिव आंत के माइक्रोबायोटा में बदलाव करते हैं, जिस वजह से स्वीलिंग और डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। सर गंगा राम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ सलाहकार एम वली ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, ''अध्ययन बताते हैं कि इन इमल्सीफायरों के लंबे समय तक उपयोग से आंत के माइक्रोबायोटा में गड़बड़ी जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जब ऐसा होता है तो इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि होती है।” इस बारे में सीके बिड़ला अस्पताल गुरुग्राम के कंसल्टेंट्स इंटरनल मेडिसिन तुषार तायल ने बताया कि, ”इमल्सीफायर्स को आम तौर पर सुरक्षित माना जाता है और कुछ इमल्सीफायर्स जैसे जैंथम गम को कुछ परीक्षण विषयों में कोलेस्ट्रॉल के साथ-साथ फास्टिंग और पोस्ट-मील रक्त शर्करा को कम करने के लिए भी पाया गया।” वे आगे बताते हैं कि, ''हालांकि, डायबिटीज और अन्य बीमारियों के साथ उनका संबंध आंत माइक्रोफ्लोरा में परिवर्तन के कारण होता है, यह ध्यान में रखते हुए कि बीमारी से बचने का सबसे सरल तरीका पैकेज्ड खाद्य उत्पादों के सेवन से बचना है।” इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के कंसल्टेंट डायबेटोलॉजी एंड एंडोक्राइनोलॉजी राकेश कुमार प्रसाद ने भी जानकारी दी है उन्होने बताया कि, ”इमल्सीफायर सीधे आंतों के माइक्रोबायोटा की संरचना और कार्य को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे माइक्रोबायोटा अतिक्रमण और आंतों की सूजन हो सकती है, जिससे चयापचय संबंधी विकार बढ़ सकते हैं और उच्च रक्तचाप, मोटापा, डायबिटीज और अन्य कार्डियोमेटाबोलिक विकारों जैसी कई बीमारियों का भी खतरा हो सकता है।”

सिंगल ऑब्जर्वेशनल अध्ययन से जारी किए गए निष्कर्ष

इंसर्म में मैथिल्डे टौवियर अनुसंधान निदेशक और INRAE में जूनियर प्रोफेसर बर्नार्ड सॉउर ने अध्ययन के प्रमुख लेखकों को समझाया, ये निष्कर्ष फिलहाल सिंगल ऑब्जर्वेशनल अध्ययन से जारी किए गए हैं और इनका उपयोग किसी कारणात्मक संबंध स्थापित करने के लिए नहीं किया जा सकता है। उन्हें दुनिया भर में अन्य महामारी विज्ञान अध्ययनों में दोहराया जाना चाहिए और विषविज्ञान और पारंपरिक प्रयोगात्मक अध्ययनों के साथ पूरक किया जाना चाहिए, ताकि इन खाद्य योजक इमल्सीफायर और टाइप 2 डायबिटीज की शुरुआत को जोड़ने वाले तंत्र को और अधिक जानकारी दी जा सके। उन्होंने कहा कि हमारे परिणाम उपभोक्ताओं की बेहतर सुरक्षा के लिए खाद्य उद्योग में एडिटिव्स के उपयोग के आसपास के नियमों के पुनर्मूल्यांकन पर बहस को समृद्ध करने के लिए प्रमुख तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ऐसे करें डायबिटीज का खतरा कम

 

डॉक्टर्स के अनुसार लगातार प्रोसेस्ड फ़ूड खाने या ऐसे केक, बिस्कुट, ब्रेड, दही और आइसक्रीम जैसे फ़ूड आइटम्स खाने से जिनमें इमल्सीफायर अधिक होता है डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। डायबिटीज जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए इस तरह के खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करते रहें। ज्यादा सोचने और उल्टा सीधा खाने से भी आपको बचना चाहिए। इससे सेहत में सुधार होगा और न सिर्फ डायबिटीज बल्कि किसी भी तरह की बीमारी के खतरे को कम किया जा सकता है।

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Yogita Tyagi

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