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हर महीने Salary से कटते हैं पैसे, EPF के जरिए मिलेगा रिटर्न

04:49 PM Apr 19, 2024 IST
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EPF: अक्सर कई कर्मचारियों के वेतन में से कुछ पैसा कटता है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं होती है। वे इस गलत फेहमी में रहते हैं कि उनका वेतन या छुट्टी करने या फिर किसी प्रकार का टैक्स कटा है। लेकिन हम आपको बता दें कि जो आपका वेतन कटता है वो आप ही को वापिस मिलता है। जानें कब मिलेगा ये पैसा?

Highlights

EPFO का कार्य

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन(EPFO) भारत सरकार द्वार स्थापित एक वैधानिक निकाय है। देश का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन होने के नाते, यह मुख्य रूपसे लोगों को सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। EPFO श्रम और रोजगार मंत्रालय के दायरे में आता है और इसकी स्थापना 1951 में हुई थी। हाल ही में सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए EPF ब्याज दर बढ़ाकर 8.15फीसदी कर दी है।

Employees’ Provident Fund 1951 में कर्मचारी भविष्य निधि अध्यादेश के अधिनियमन के साथ अस्तित्व में आया था। EPF अध्यादेश को बाद में EPF F unds Act, 1952 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। कारखानों या प्राइवेट संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों को Provident Funds प्रदान करने के लिए EPF विधेयक 1952 में संसद में पेश किया गया था।

कर्मचारियों के भविष्य निधि

कर्मचारियों के भविष्य निधि (Provident Funds) को नियंत्रित करने वाले कानून को अब कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 कहा जाता है। यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू है। EPF एक्ट 1952 के तहत कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी हिस्सा PF के रूप में कटता है। इतना ही पैसा जहां आप काम करते हैं वह कंपनी भी आपके PF अकाउंट में जमा करती है। अगर आप फ्यूचर में कंपनी बदलते हैं तो पिछली कंपनी के PF अकाउंड तो नई कंपनी के PF अकाउंट के साथ आप मर्ज कर सकते हैं। ऐसे करने पर कोई Tax नहीं लगता है।

EPFO की संरचना

अधिनियम और इसकी सभी योजनाओं को एक Tri-Partite Board द्वारा प्रशासित किया जाता है, जिसे केंद्रीय न्यासी बोर्ड (Central Board of Trustees (EPF) कहा जाता है। बोर्ड में केंद्र और राज्य दोनों सरकार, नियोक्ता और कर्माचारी के प्रतिनिधि शामिल हैं। बोर्ड की अध्यक्षता भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा की जाती है। केंद्रीय न्यासी बोर्ड (EPF) 3 योजनाएं संचालित करता है।

EPFO एक संगठन है जो सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ (EPF) की सहायता के लिए स्थापित किया गया है और यह भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

EPFO के कार्य (Functions of EPFO)

EPFO भारत में पंजीकृत संस्थानों के लिए भविष्य निधि योजना, पेंशन योजना और बीमा योजना में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ की मदद करता है।

EPFO का सभी निर्णय लेने वाला निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ (EPF) है। हाल के दिनों में EPFO ने कई डिजिटल पहल की हैं ताकि नियोक्ताओं और कर्माचारियों दोनों को EPF खाते के संचालन को सरल बनाने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं।

EPF स्कीम के लाभ क्या हैं?

भविष्य के लिए बचत: EPF योजना व्यक्तियों को लंबी अवधि के लिए पैसा बचाने में सक्षम बनाती है।

सुविधाजनक कटौती: एक बड़ी रकम निवेश करने के बजाय, कर्मचारी के मासिक वेतन से कटौती की जाती है। यह एक्सटेंडेड पीरियड में महत्वपूर्ण बचत की अनुमति देता है।

आपात स्थिति में वित्तीय सहायता: EPF योजना अप्रत्याशित परिस्थितियों के दौरान कर्मचारियों को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है।

सेवानिवृत्ति बचत: EPF योजना में भाग लेकर, व्यक्ति अपने रिटायरमेंट के लिए धन जमा कर सकता है, जिससे बाद में वह आरामदायक जीवन व्यापन कर सकता है।

बेरोजगारी: ऐसे मामले में, जहां कर्मचारी किसी भी कारण से अपनी वर्तमान नौकरी खो देता है, तो इन फंडों का उपयोग खर्चों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

इस्तीफा/नौकरी छोड़ना: इस्तीफा देने के बाद कर्मचारी नौकरी छोड़ने की तारीख के एक महीने के बाद ईपीएफ फंड का अपना 75% और बेरोजगारी के 2 महीने बाद शेष 25% निकालने के लिए आजाद है।

मृत्यु: कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, ब्याज सहित एकत्रित राशि कर्मचारी के नामांकित व्यक्ति को दे दी जाती है, जिससे परिवार को कठिन समय से निपटने में मदद मिलती है।

कर्मचारी की विकलांगता: यदि कर्मचारी अब काम करने की स्थिति में नहीं है तो वह इन फंडों का उपयोग कठिन समय से उबरने में मदद के लिए कर सकता है।

ले-ऑफ़: नौकरी से अचानक छँटनी के मामलों में, इस फंड का उपयोग कर्मचारी द्वारा तब तक किया जा सकता है जब तक कि उसे कोई अन्य उपयुक्त नौकरी नहीं मिल जाती है।

EPF ब्याज दर

प्रोविजन फंड पर मौजूदा ब्याज दर 8.15 फीसदी है। एक वित्तीय वर्ष के अंत में EPF खाते में Accumulated Interest को कैलकुलेट करना सरल है। अकाउंट में टोटल बैलेंस निर्धारित करने के लिए इस Interest Amount को नियोक्ता (Employer) और कर्मचारी ( Employee) दोनों द्वारा किए गए कॉन्ट्रीब्यूशन में जोड़ा जाता है।

नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है। 

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