Government against Cyber Fraud : सरकार ने क्यों कर दिया 1.86 लाख मोबाइल ब्लॉक
Government against Cyber Fraud : देश में साइबर क्राइम (Government against Cyber Fraud) के लगातार मामले बढ़ते जा रहे है। इस को देखते हुए दूरसंचार विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। जिसमे दूरसंचार विभाग द्वारा साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए 10 हजार 834 संदिग्ध मोबाइल नंबरों को वेरिफिकेशन के लिए चिह्नित किया गया, जिसके बाद 8272 कनेक्शन को काट दिया गया। बता दें कि राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर लगातार साइबर ठगी की बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज हो रही हैं। जिसे देखते हुए ये कदम उठाए गए है।
Highlights
- दूरसंचार विभाग ने उठाया बड़ा कदम
- 1,000 से अधिक स्काइप आईडी ब्लॉक
- 8272 कनेक्शन काटें गए
- साइबर ठगी की बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज
साइबर धोखाधड़ी क्या है?
साइबर धोखाधड़ी इंटरनेट के माध्यम से साइबर हमलावरों द्वारा किए गए अपराधों को कहते है। ये अपराध पैसों के लिए किसी व्यक्ति या व्यवसाय की संवेदनशील जानकारी को अवैध रूप से हासिल करने और उसका लाभ उठाने के इरादे से किए जाते हैं। साइबर धोखाधड़ी कई प्रकार की होती है, जैसे फ़िशिंग, मैलवेयर, रैंसमवेयर, DDoS हमले, सोशल इंजीनियरिंग, रैंसमवेयर आदि साइबर धोखाधड़ी है।
आखिर दूरसंचार विभाग ने क्यों लिया ये फैसला
मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (Government against Cyber Fraud) पर साइबर ठगी की बड़ी संख्या में शिकायतें दर्ज हो रही हैं। हाल ही में कई ऐसे अमले सामने आए जिसमें ठग खुद को पुलिस अधिकारी, CBI, नारकोटिक्स विभाग, रिजर्व बैंक, ईडी और अन्य एजेंसियां से बताकर लोगों को शिकार बना रहे हैं। ये धोखेबाज आमतौर पर किसी पीड़ित को कॉल करते हैं और कहते हैं कि उसने कोई पार्सल भेजा या रिसीव किया है, जिसमें अवैध सामान, ड्रग्स, नकली पासपोर्ट या कोई प्रतिबंधित वस्तु है। इसके बाद केस में समझौता करने के लिए पैसे की मांग करते हैं। कुछ मामलों में पीड़ितों को डिजिटल अरेस्ट का सामना करना पड़ता है। उनकी मांग पूरी न होने तक पीड़ित को स्काइप या अन्य वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफॉर्म पर बने रहने पर मजबूर किया जाता है। ये जालसाज पुलिस स्टेशनों और सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर बनाए गए स्टूडियो का उपयोग करने में माहिर होते हैं। और तो और असली दिखने के लिए ये लोग वर्दी भी पहनते हैं।
इतने संस्थाएं हुई ब्लैकलिस्ट
साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए दूरसंचार विभाग (Government against Cyber Fraud) ने कई कदम उठाए हैं। लोगों को शिकार बनाने के लिए एसएमएस भेजने में शामिल 52 प्रमुख संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। 700 एसएमएस सामग्री टेम्पलेट बंद कर दिए गए हैं। 348 मोबाइल हैंडसेट ब्लैकलिस्ट किए हैं। 10 हजार 834 संदिग्ध मोबाइल नंबरों को वेरिफिकेशन के लिए चिह्नित किया गया, जिसके बाद 8272 कनेक्शन काट दिए गए। बता दें कि साइबर अपराध और ठगी में शामिल होने के मामले में देश में 1.86 लाख मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक किए गए हैं।
इतने स्काइप आईडी हुए ब्लॉक
देशभर में कई पीड़ितों ने ऐसे अपराधियों (Government against Cyber Fraud) के जाल में फंसकर बड़ी मात्रा में धन गंवाया है। यह एक संगठित ऑनलाइन आर्थिक अपराध है। ऐसा माना जाता है कि इसे सीमा पार आपराधिक सिंडिकेट द्वारा संचालित किया जाता है। I4C (भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र) ने माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से ऐसी गतिविधियों में शामिल 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को भी ब्लॉक कर दिया है। यह धोखेबाजों द्वारा उपयोग किए जाने वाले सिम कार्ड, मोबाइल उपकरणों और म्यूल खातों को ब्लॉक करने में भी मदद कर रहा है।
ठगी का नया तरीका पार्सल स्कैम
स्कैमर्स लोगों को ठगने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब स्कैमर्स ने ठगी का नया तरीका निकला है जो एक तरीके का पार्सल स्कैम है। मामला मंगलुरु का था जहां, स्कैमर ने खुद को एक इंटरनेशनल कुरियर सर्विस का कर्मचारी बताते हुए रिटायर्ड इंजीनियर को कॉल किया और बताया की उनके नाम पर एक पार्सल मिला है, जिसमें ड्रग्स और कई डॉक्टूमेंट्स मिले हैं और कॉशन डिपॉजिट की मांग करता है। जिसके बाद स्कैमर्स रिटायर्ड इंजीनियर को कॉशन डिपॉजिट यानी जांच के लिए पैसे जमा करने को कहता है और 1.6 करोड़ रुपये ठग लिए।
फौरन इस नंबर पर कॉल करके सूचित करें
अगर आपको भी किसी अनजान नंबर से फोन आता है और जांच के नाम पर धमकाया जाता है, तो तुरंत आप 1930 पर कॉल करके जानकारी दे सकते है। और फ्रॉड होने से खुद को बचा सकते है।
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