IndiaWorldDelhi NCRUttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir BiharOther States
Sports | Other GamesCricket
HoroscopeBollywood KesariSocialWorld CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

ईरान - पाकिस्तान : कैसे बिगड़े पाकिस्तान के ईरान से रिश्ते

06:17 PM Jan 17, 2024 IST
Advertisement

ईरान - पाकिस्तान :  कहते है बुरे व्यक्ति को कितना भी सही बना लो या फिर किसी भी प्रकार से सही रखो लेकिन वो अपनी प्रवृति नहीं बदलता। पाकिस्तान देश के भी यही हाल है उसके साथ कितना भी अच्छा लेकिन वो अपनी हरकत दिखा ही देता है। पाकिस्तान के हर अच्छे बुरे कार्य पर अपना समर्थन देना वाला ईरान आज उसका दुशमन हो गया है। भारत - पाकिस्तान की जंग के दौरान 1965 और 71 में इरान ने पाकिस्तान की पूरी मदद की थी। कई अंतरराष्ट्रीय मंचो पर भी ईरान भारत के विरुद्ध होकर पाकिस्तान के साथ रहा । अब प्रश्न यह उठता है आखिर ऐसा क्या हुआ अचानक से ये दोनो एक दूसरे के दुशमन हो गए। पाकिस्तान पर ईरान की एयर स्ट्राइक ने दुनिया को आश्चर्य से भर दिया। इस के पीछे की क्या वजह है इसे जानने के लिए दुनिया भर के देशो की अलग - अलग राय है। आज की इस रिपोर्ट में हम आपको बताएंगे कैसे इनके रिश्तो में खटास आई। इस वजह से ईरान और पाकिस्तान एक दूसरे के दुश्मन बन हो गए।

1979 में ईरान शिया बहुल मुस्लिम देश बना


पकिस्तान और ईरान में पहली बार खटास उस समय आई जब 1979 में ईरान शिया बहुल मुस्लिम देश बन गया। ज्यादातर पाकिस्तान की जनसंख्या सुन्नी मुसलमानो की है। दोनों इस्लामिक धर्म से होने के बाद भी इनकी मान्यताओं और विचारधारा में बहुत अंतर है। सुन्नी कटटरपंथी में आते है जबकि शिया मुस्लिम नरमपंथी कहे जाते है। शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच का असली विवाद सदियों पहले मुस्लिम धर्म के प्रवर्तक पैगम्बर मोहम्मद की शिया मुसलमानों द्वारा हत्या कर दिए जाने के बाद शुरू हुआ। तब से दोनों में दुश्मनी सी रहने लगी।

1947 से पाकिस्तान का पक्का दोस्त था ईरान

ईरान और पाकिस्तान की दोस्ती पाक की आजादी के साथ जुड़ी है। भारत और पाकिस्तान जब 14 अगस्त 1947 को अलग हुए तो पाकिस्तान को मुस्लिम देश के तौर पर मान्यता देने वाला ईरान पहला देश बना था। ईरान और पाकिस्तान के बीच भाई-भाई जैसा रिश्ता था। दोनों देश भौगोलिक रूप से भी आपस में काफी गहराई से जुड़े हैं और 990 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं। वर्ष 1947 के बाद ईरान-पाकिस्तान के बीच कई मैत्रीय संधियां हुई। दोनों में दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गई कि वह भारत के खिलाफ मिलकर एक जुट हो जाया करते थे।

1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग

पाकिस्तान और ईरान की दोस्ती का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब 1965 में भारत-पाकिस्तान के बीच जंग हुई तो ईरान ने पाकिस्तान के कई बमवर्षक विमान और युद्धक सामग्रियां दी थी। इसी तरह 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी ईरान ने पाकिस्तान को पूर्ण राजनयिक और सैन्य समर्थन दिया। इतना ही नहीं, इसके बाद बलूचों ने जब पाकिस्तान के खिलाफ विद्रोह छेड़ा तो भी ईरान ने अपने दोस्त की इस विरोध को दबाने में पूरी मदद की। बदले में पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिकों ने ईरान में परमाणु कार्यक्रमों को विकसित करने में अपना योगदान दिया।

1979 से बदलने लगे रिश्ते

मगर कुछ ही वर्षों बाद एक ऐसा दौर आया, जब ईरान और पाकिस्तान के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। यह वक्त 1979 का था। ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद दोनों देशों के संबंधों में उतार-चढ़ाव आना शुरू हो गया। लाहौर में ईरानी राजनयिक सादिक गंजी की हत्या और फिर वर्ष 1990 के दौरान पाकिस्तान ईरानी वायुसेना के कैडेटों की निर्मम हत्या से दोनों देशों की दुश्मनी और गहरी हो गई। अफगानिस्तान में पाकिस्तान और ईरान की एक दूसरे के विरुद्ध नीतियों ने भी इस विरोध की खाईं को खूब बढ़ाया। पाकिस्तान हमेशा तालिबानी आतंकियों का समर्थक रहा। जबकि ईरान वहां की पूर्व सरकार का पक्ष लेता रहा। 2014 में ईरान के पांच सैनिकों को पाकिस्तान के आतंकी समूह जैश-उल-अदल ने अपहरण कर लिया। इसके बाद ईरान ने सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी थी। बाद में 4 रक्षकों को पाकिस्तान ने वापस कर दिया और 1 को मार दिया। इससे विवाद बढ़ता गया।

भारत-ईरान संबंध

पाकिस्तान और ईरान के साथ संबंध बिगड़ने के बाद भारत और ईरान के रिश्ते नए दौर में बदलने शुरू हो गए। भारत-ईरान के रिश्ते में सबसे बड़ी मजबूती तब से आनी शुरू हुई जब वर्ष 2001 में पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई ने ईरान की यात्रा की और कई अहम समझौते किए। अटल की तर्ज पर चलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वर्ष 2016 में ईरान दौरे पर गए। इस दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में 12 से अधिक अहम समझौते हुए। फिर ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति रूहानी 2018 में भारत आए। इससे दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ होते गए। भारत-ईरान के संबंधों में उस वक्त और मजबूती आनी शुरू हुई जब समरकंद में पीएम मोदी और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की वर्ष 2022 में पहली बार द्विपक्षीय मुलाकात हुई और बहुउद्देश्यीय समझौते हुए।

 

Advertisement
Next Article