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Nestle Controversy: बेबी फूड में शुगर की मात्रा ज्यादा होने पर एक्शन में सरकार, CCPA ने दिए जांच के आदेश

04:36 PM Apr 19, 2024 IST
nestle controversy  बेबी फूड में शुगर की मात्रा ज्यादा होने पर एक्शन में सरकार  ccpa ने दिए जांच के आदेश

Nestle Controversy: नेस्ले के ऊपर कई तरह के आरोप लग चुके हैं। पब्लिक आई की कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक नेस्ले गरीब देशों में बेचे जाने वाले शिशु दूध में चीनी की मात्रा ज्यादा रखता है। वहीं यदि बात यूरोप या ब्रिटेन जैसे विकसित देशों की हो तो ऐसा वहां नहीं हैं। नेस्ले के 2 सबसे अधिक पॉपुलर बेबी फूड ब्रांड्स में चीनी ज्यादा मिली है। दूसरी तरफ यही ब्रांड्स ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड जैसे दूसरे विकसित देशों में बिना चीनी मिलाये बिक रहे हैं। इन सभी बातों का पता पब्लिक आई की रिपोर्ट में चला है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, नेस्ले दूध और बच्चों से जुड़ी खाने की चीजों में रूल्स के अगेंस्ट जाकर चीनी और शहद जैसी खतरनाक चीजों को बढाकर ड़ालता है। जिन उत्पादों को खाने से बच्चों में मोटापा और गंभीर बीमारियां बढ़ती हैं। नेस्ले ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका देशों में अपने उत्पादों में चीनी की मात्रा बढ़ाई हुई है।

बेबी फूड्स के पैकेट में शुगर की जानकारी नहीं

इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि, भारत में नेस्ले जो बच्चों के प्रोडक्ट्स बेकता है उसके हर सर्विंग में लगभग 3 ग्राम चीनी ज्यादा पाई जाती है। एक ध्यान देने वाली बात यह है कि, कंपनी ने इस बात की जानकारी पैकेट पर कहीं नहीं दी है। नेस्ले बेबी प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा ज्यादा है इस बात का तब पता चला जब स्विस जांच संगठन पब्लिक आई और IBFAN ने एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में कंपनी की तरफ से बेचे जा रहे बेबी फ़ूड की जांच की। जांच के जो नतीजे निकले उसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े वैज्ञानिक निगेल रोलिंस ने पब्लिक आई और IBFAN को बताया कि, "यह नेस्ले की ओर से अपनाया गया एक दोहरा मानक है जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है।" उन्होंने आगे बताय कि, ''तथ्य बताते हैं कि नेस्ले स्विट्जरलैंड में इन उत्पादों में चीनी नहीं मिलाता है, लेकिन कम संसाधन वाले देशों में वह ऐसा करके खुश है। कंपनी का यह कदम सार्वजनिक स्वास्थ्य और नैतिक दृष्टिकोण दोनों पर सवाल खड़े करता है।''

चीनी मिलाने की इस रिपोर्ट पर FSSAI लेगा संज्ञान

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) को नेस्ले इंडिया के कम विकसित देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचने की रिपोर्ट पर गौर करने को कहा है। स्विस गैर सरकारी संगठन (NGO) पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि नेस्ले ने यूरोप के अपने बाजारों की तुलना में भारत सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचे। उपभोक्ता मामलों की सचिव एवं केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की प्रमुख निधि खरे ने कहा, ‘‘हमने FSSAI को नेस्ले के शिशु उत्पाद पर आई रिपोर्ट का संज्ञान लेने के को कहा है।’’ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी रिपोर्ट पर गौर किया और FSSAI को नोटिस जारी किया है।

नेस्ले इंडिया ने दी सफाई

इस बीच नेस्ले इंडिया दावा कर चुका है कि उसने पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु आहार उत्पादों में चीनी में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी की है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीनी में कमी करना नेस्ले इंडिया की प्राथमिकता है। पिछले पांच वर्षों में हमने उत्पाद के आधार पर चीनी में 30 प्रतिशत तक की कमी की है।’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम नियमित रूप से अपने उत्पादों की समीक्षा करते रहते हैं और पोषण, गुणवत्ता, सुरक्षा तथा स्वाद से समझौता किए बिना चीनी के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार करते रहते हैं।’’

उत्पाद में सबसे अधिक चीनी थाईलैंड में पाई गई

नेस्ले इंडिया ने दावा किया कि उसके शिशु अनाज उत्पादों का निर्माण बच्चों की प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, लौह आदि जैसी पोषण संबंधी आवश्यकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं और न ही करेंगे। हम अपने उत्पादों की पोषण संबंधी उत्पादों को बढ़ाने के लिए अपने व्यापक वैश्विक अनुसंधान व विकास नेटवर्क की लगातार मदद लेते हैं।’’ नेस्ले इंडिया ने कहा कि वह ‘‘अपने उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम पोषण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो हम 100 वर्षों से अधिक समय से कर रहे हैं। हम अपने उत्पादों में पोषण, गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने को प्रतिबद्ध हैं।’’ रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले करीब 150 विभिन्न शिशु उत्पादों का अध्ययन किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने के बच्चों के लिए नेस्ले का गेहूं आधारित उत्पाद ‘सेरेलैक’ ब्रिटेन तथा जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त चीनी के बेचा जाता है, लेकिन भारत से विश्लेषण किए गए 15 सेरेलैक उत्पादों में एक बार के खाने में औसतन 2.7 ग्राम चीनी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में पैकेजिंग पर चीनी की मात्रा बताई गई थी। उत्पाद में सबसे अधिक चीनी थाईलैंड में छह ग्राम पाई गई। फिलीपीन में आठ नमूनों में से पांच में चीनी की मात्रा 7.3 ग्राम पाई गई और इसकी जानकारी पैकेजिंग पर भी घोषित नहीं की गई थी।

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Yogita Tyagi

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