धरती हिलने से कांप उठा उत्तर भारत, जानें क्यों आता है भूकंप और इससे जुड़े सभी सवाल
गुरुवार को दिल्ली एनसीआर और पंजाब से लेकर जम्मू-कश्मीर तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। इन झटकों के साथ ही धरती एक बार फिर से कांप उठी और लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई। लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकले। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदूकुश प्रांत के जोर्म में था। यहां आए पहले भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.1 मापी गई, जबकि दूसरा भूकंप इससे भी ज्यादा तीव्र था, जिसकी तीव्रता 6.1 रही है।
भारतीय समयानुसार दो बजकर 50 मिनट पर आए भूकंप का केंद्र काबुल से 241 किलोमीटर उत्तर उत्तरपूर्व में था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के कई शहरों में भी झटके महसूस हुए हैं। पाकिस्तान के लाहौर, इस्लामाबाद और खैबर पख्तूनख्वा में भी भूकंप से धरती हिल गई। इन झटकों को महसूस करते ही लोग अपने घरों और ऑफिस से बाहर आ गए।
मालूम हो, इससे पहले 3 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में कई बार झटके लगे थे। पहले इसकी तीव्रता 4.6 मापी गई। उसी दिन फिर सेआए भूकंप की तीव्रता 6.2 मापी गई। आइए जानते है कि भूकंप क्यों आता है, भूकंप की तीव्रता घटने और बढ़ने से कितना नुकसान होता है।
क्यों आता है भूकंप?
बता दें, पृथ्वी की चार प्रमुख परतें हैं, जिसे इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और क्रस्ट कहते हैं। जानकारी के अनुसार, पृथ्वी के नीचे मौजूद प्लेट्स घूमती रहती हैं, जिसके आपस में टकराने पर पृथ्वी की सतह के नीचे कंपन शुरू होता है। जब ये प्लेट्स अपनी जगह से खिसकती हैं तो भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। इस जगह पर सबसे ज्यादा भूकंप का असर रहता है। हालांकि, भूकंप की तीव्रता अगर ज्यादा होती है तो इसके झटके काफी दूर तक महसूस किए जाते हैं।
भूकंप का केंद्र
धरती की सतह के नीचे मौजूद प्लेटें जहां आपस में टकराती है या टूटती है, उस जगह को ही भूकंप का केंद्र कहा जाता है। विज्ञान की भाषा में इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं। इस सेंटर से ही भूकंप की एनर्जी तरंगों के रूप में कंपन फैलाने हुए आगे बढ़ती हैं। यह बिल्कुल वैसी ही हैं जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंगे फैलती हुई आगे बढ़ती हैं। मालूम हो, रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है।
कैसे होती है भूकंप की जांच?
भूकंप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के अंदर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है। भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है।
कितनी तीव्रता पर होती है कितनी तबाही?
0 से 1.9- आमतौर पर रिक्टर स्केल पर इतनी मैग्नीट्यूड का भूकंप इंसान को महसूस नहीं होता। इनकी जानकारी सिर्फ भूकंप केंद्र के पास ही होती है।
2 से 3.9- इतनी तीव्रता में हल्का कम्पन्न महसूस होता है। अगर इस तीव्रता का भूकंप अधिक गहराई से आता है तो झटके महसूस हो सकते हैं। हालांकि, इससे जानमान को नुकसान पहुंचने का खतरा नहीं होता।
4से 5.9- इस तीव्रता का भूकंप आने पर झटका महसूस होने लगता है और नुकसान होने की शुरुआत हो जाती है, खिड़की टूट जाती है, पंखा हिलने लगता है व बोतल में रखा पानी हिलते हुए नजर आता है
6 से 6.9- यह तीव्रता नुकसान पहुंचाती है। इमारतों की नींव दरक सकती है और ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है
7 से 7.9- रिक्टर स्केल पर इतनी तीव्रता का भूकंप तबाही लाने लगता है. इमारतें गिर जाती है और जमीन का पाइप फट जाता है। हाल में जापान में आए 7.6 तीव्रता के भूकंप ने तबाही मचाई थी।
8 से 8.9- रिक्टर स्केल पर इतनी तीव्रता का भूकंप ऐसी तबाही लाता है कि समुद्र में सुनामी की लहरें उठने लगती हैं, इनका असर किलोमीटर तक नजर आता है, साफ कहा जाए तो इससे जानमाल को नुकसान पहुंचता है।
9- रिक्टर स्केल पर 9 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आने पर सड़कें धंसने लगती है, इमारतें जमींदोज होने लगती हैं, पुल धराशायी होने लगते हैं और मौतों का आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगता है।
ऐसे में भूकंप के झटके महसूस होने पर आपकों कई बातों का ध्यान रखना चाहिए, आइए इन्हें जानते हैं।
* भूकंप आने पर तुरंत मजबूत फर्नीचर, टेबल के नीचे जाएं व सिर पर हाथों को रख लें।
* आपका घर किसी ऊंची इमारत में है तो भूकंप के झटके महसूस होने तक घर में रहें, भूकंप के रूक जाने के बाद खुले स्थान पर जाएं।
* खुले स्थान पर आने के बाद बिजली के खंभे, पेड़, तार, फ्लाईओवर, पुल व भारी वाहन के पास न खड़े हों।
* अगर ड्राइविंग के समय भूकंप आएं तो किसी खुली जगह पर वाहन पार्क कर उसमें ही बैठे रहें।
* जरूरी है कि भूकंप के समय बिजली स्विच, गैस कनेक्शन को बंद कर दें क्योंकि ये मुसिबत को बढ़ा सकते हैं।