नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु से जुड़े अनसुलझे रहस्य
हर वर्ष 23 जनवरी को नेता सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है। नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में हुआ था। भारत ने बाहरी आक्रांताओं से स्वतंत्रा के लिए एक लम्बा संघर्ष किया। मध्य एशिया से आये मुग़ल और उसके बाद पश्चिम से अंग्रेजो ने देश को काफी समय तक लूटा। ना सिर्फ इन लोगों ने यहां लूट - पाट की बल्कि देश वासियों पर अत्याचार तक किए। ब्रिटिश शासक पहले व्यापार के लिए भारत आए और धीरे - धीरे उन्होंने यहा अपनी जड़ें फैला ली। पहले ईस्ट इंडिया कम्पनी और बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने भारत वासियों पर जमकर सितम किए। इनके जुल्म की हद जब बढ़ने लगी तो देश में जगह - जगह से गोरों के ख़िलाफ़ आवाज उठने लगी। जिसे ब्रिटिश सरकार अपने अत्याचार से दबाने का प्रयास करती रही। लेकिन आज़ादी के मतवालों तो सिर्फ गुलामी की जंजीरो से स्वतंत्रता चाहिए थी। स्वतंत्रता सेनानियों ने किसी भी प्रकार से कोई समझौता नहीं किया। आजादी के लिए हर संभव प्रयास किए गए क्रांति से लेकर अहिंसा मार्ग तक सब अपनाया गया। भारत की आजादी का जब भी जिक्र होगा तो नेता जी सुभास चंद्र बोस का नाम बड़े ही सम्मान पूर्वक लिया जाता है। नेता सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आराम पूर्वक जिंदगी को त्याग कर स्वतंत्रता संग्राम को अपनाया।
18 अगस्त को नेताजी की पुण्यतिथि
देश के बड़े सवतंत्रता सेनानी नेताजी की जिंदगी से जुडी बाते तो आपको हर जगह एक ही मिलेंगी लेकिन उनकी मृत्यु आज भी के रहस्य बनी हुई है। कई लोग आज भी उनको जीवित मानते है। कभी कोई उनका नाम किसी संत साधु के नाम से जोड़ देता है। उनकी मृत्यु के रहस्य से आज तक कोई भी पर्दा नहीं उठा सका। हालंकि 18 अगस्त को उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है।
कैसे हुए नेताजी की मृत्यु
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान दुर्घटना में हुई। जापान जाते समय उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लेकिन नेताजी का शव नहीं मिला। इस वजह से उनकी मृत्यु राज बनी हुई है, जिस कारण लोगों के मन में कई प्रश्न उठते है। नेताजी की मृत्यु हादसा थी , हत्या या फिर कोई चाल ?
नेताजी की मृत्यु से जुड़े रहस्य
विमान क्रेश से नेताजी की मृत्यु होने की सुचना 5 दिन बाद टोक्यो रेडियो द्वारा दी गई। इसमें जानकारी दी गई कि वे जिस विमान से जा रहे थे, वो ताइहोकू हवाई अड्डे के पास दुर्घटना ग्रस्त हो गया। इस दुर्घटना में नेताजी बुरी तरह जल गए और ताइहोकू के सैन्य अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। टोक्यो रेडियो में यह भी बताया गया कि, विमान में मौजूद सभी यात्री मारे गए। नेताजी के मौत का राज आज भी बरक़रार है कि क्या वाकये में विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके लिए तीन समितियां भी बनी थी, जिसमें से दो समिति ने कहा कि, विमान हादसे में ही नेताजी की मौत हुई। वहीं 1999 में बनी तीसरी कमेटी की रिपोर्ट चौंका देने वाली थी। इसके अनुसार 1945 में विमान क्रेश की कोई घटना ही नहीं हुई थी। क्योंकि इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था। लेकिन सरकार द्वारा इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया गया।
गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस
नेताजी की मौत के कई सालों बाद उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में उनके देखे जाने की खबर आई। इसमें कहा गया है कि फैजाबाद में रह रहे गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस हैं। इस तरह से गुमनामी बाबा की खबरें और कहानियां फैलने लगीं। गुमनामी बाबा के सुभाष चंद्र बोस होने की खबर पर लोगों का विश्वास इसलिए भी और बढ़ गया, क्योंकि गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके कमरे से जो सामान बराबद हुए तो लोग कहने लगे कि गुमनामी बाबा और कोई नहीं बल्कि नेताजी ही थे।
गुमानमी बाबा के संदूक से निकली वस्तु
गुमनामी बाबा के संदूक से नेताजी के जन्मदिन की तस्वीरें, लीला रॉय के मौत की शोक सभा की तस्वीरें, गोल फ्रेम वाली कई चश्मे, 555 सिगरेट, विदेशी शराब, नेताजी के परिवार की निजी तस्वीरें, रोलेक्स की जेब घड़ी और आजाद हिंद फौज की यूनिफॉर्म भी थी। इसके अलावा जर्मन, जापानी और अंग्रेजी साहित्य की कई किताबें भी थीं। सरकार ने इस मामले की जांच के लिए भी मुखर्जी आयोग का गठन किया। लेकिन फिर भी यह साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेताजी थे।
सरकार ने 37 फाइलों को किया सार्वजनिक
नेताजी के मौत से जुड़ी 37 फाइलों को सरकार ने सार्वजनिक किया, लेकिन इसमें भी उनके मौत के पुख्ता सबूत नहीं मिले। इसलिए आज भी नेताजी की मौत को लेकर कई सवाल बरकरार है।
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