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पाकिस्तान में क्यों नहीं टिक पाती कोई भी सरकार 5 साल तक

06:28 PM Feb 11, 2024 IST
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पाकिस्तान : गुलामी की जंजीरो को तोड़ने के लिए सभी देश वासियो ने अपने हर स्तर से प्रयास किया। अग्रेजो के हर जुल्म का मुहतोड़ जवाब दिया। लेकिन कहते है ना मजबूत हौसलों और हिम्मत के सामने बड़ा से बड़ा पहाड़ भी ढहा जाता है। साल 1947 महीना अगस्त ये वो तारीख जो इतिहास में अत्याचार पर जीत की स्याही से लिखी गई।कहते है ना कोई भी रोग हो भले ही कितना सही हो जाए लेकिन कुछ तो घाव दे कर ही जाता है। ब्रिटिश हमारे देश से तो गए लेकिन विभाजन का एक बड़ा घाव दे गए। भारत के विभाजन से पाकिस्तान बना दोनों देश लोकतांत्रिक घोषित हुए। दोनों देशो में चुनाव प्रक्रिया से प्रधानमंत्री चुने जाते है लेकिन पाकिस्तान में आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। कुछ लोगो का मानना है पाकिस्तान में शासन सेना के द्वारा चलाया जाता है। इस वजह से वहा किसी का भी सत्ता में पांच साल चल पाना मुश्किल होता है। लेकिन ये आधा सच है आपको आज हम इसके पीछे के और बहुत से कारण बताने जा रहे है। क्यों पाकिस्तान में पांच साल तक को भी सत्ता में नहीं रह पता। चुनाव कही भी सभी राजनीतिक दल अपनी जीत की दावेदारी सिद्ध करते है। पाकिस्तान में पीटीआई और पीएमएल दोनों ही अपने को जीता हुआ बता रही है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लाहौर से सीट जीत गए है। उनकी बेटी मरियम नवाज और भाई शहबाज शरीफ भी अपनी-अपनी सीट पर जीते। पीएमएल - एन की ओर जिस प्रकार के दावे किये जा रहे है उनसे लगता है मानो शरीफ चौथी बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन सकते है।

लियाकत अली खान

देश आजाद होने के पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान बने जो 15 अगस्त 1947 से 16 अक्टूबर 1951 तक 4 साल 2 महीने तक पद पर रहे। लियाकत की हत्या रावलपिंडी में एक रैली के दौरान कर दी गई थी।

ख्वाजा नजीमुद्दीन

लियाकत की मृत्यु के बाद 17 अक्टूबर 1951 से 17 अप्रैल 1953 तक इस पद पर मुस्लिम लीग के नेताओं ने ख्वाजा नजीमुद्दीन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। जिन्हे उनके द्वारा ही नियुक्त किए गए गुलाम मोहम्मद गवर्नर जनरल ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए हटा पद से हटा दिया।

मोहम्मद अली बोगरा

17 अप्रैल 1953 से 11 अगस्त 1955 नजीमुद्दीन की बर्खास्तगी के बाद गुलाम मोहम्मद ने मोहम्मद अली बोगरा को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। दो साल बाद गुलाम मोहम्मद जब विदेश यात्रा पर गए तो उनकी जगह इस्कंदर मिर्जा को कार्यकारी गवर्नर जनरल बनाया गया। तभी इस्कंदर मिर्जा ने गुलाम मोहम्मद और मोहम्मद अली बोगरा को बर्खास्त कर दिया।

चौधरी मोहम्मद अली

11 अगस्त 1955 से 12 सितंबर 1956 मोहम्मद अली के कार्यकाल में ही पाकिस्तान ने अपना संविधान अपनाया। लेकिन मोहम्मद अली को अपनी ही पार्टी मुस्लिम लीग से विरोध का सामना करना पड़ा। उनकी अपनी पार्टी ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। बाद में मोहम्मद अली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

हुसैन शहीद सुहरावर्दी

मोहम्मद अली के पद से हटाने के उपरांत सुहरावर्दी ने मुस्लिम लीग से समर्थन लिया और प्रधानमंत्री पद पर आसीन हो गए। जो 12 सितंबर 1956 से 18 अक्टूबर 1957 तक सत्ता में रहे। इनका भी हाल मोहम्मद अली के तरह हुआ इनकी भी अपनी पार्टी से ज्यादा नहीं बनी और राष्ट्रपति से मतभेद के चलते सुहरावर्दी ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

इब्राहिम इस्माइल चुंदरीगर

इस्माइल चुंदरीगर ने कई पाकिस्तान की कई पार्टियों से समर्थन लेकर प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी सिद्ध की। प्रधानमंत्री तो बन गए लेकिन सदन में चुंदरीगर बहुमत सिद्ध नहीं कर सके जिसके चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। ये 18 अक्टूबर 1957 से 16 दिसंबर 1957 तक पद पर रहे।

फिरोज खान नून

पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा ने फिरोज खान नूं को प्रधानमंत्री पद पर बैठया। लेकिन कुछ समय बाद दोनों के बीच मनमुटाव हो गया। इन बीच वहा के आर्मी प्रमुख अयूब खान ने तख्तापलट कर दिया। पाकिस्तान में सेना की ऐसी कार्यवाही पहली दफा थी जब सेना ने मिर्जा को मिर्जा को हटा मार्शंल लॉ लागू किया। नून सरकार यहां पर बर्खास्त हो गई ये सत्ता में 16 दिसंबर 1957 से 7 अक्टूबर 1958 तक रहे।

नूर-उल-अमीन

7 दिसंबर 1971 से 20 दिसंबर 1971 जब बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन चल रहा था, तभी जुल्फिकार अली भुट्टो की सिफारिश पर राष्ट्रपति जनरल याह्या खान ने बंगाली नेता नूर-उल-अमीन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया. हालांकि, वो सिर्फ 13 दिन तक ही इस पद पर बने रहे. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की हार के साथ ही उन्हें भी अपने पद से हटना पड़ा.

जुल्फिकार अली भुट्टो

14 अगस्त 1973 से 5 जुलाई 1977 हार के बाद याह्या खान ने भी राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और जुल्फिकार अली भुट्टो ने काम संभाला। 1973 में पाकिस्तान का नया संविधान बना। 14 अगस्त को भुट्टो प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपनी सरकार में कई आर्थिक सुधार किए, लेकिन 1977 में एक बार फिर सेना ने तख्तापलट किया। जनरल जिया-उल-हक ने भुट्टो को जेल में डाल दिया और मार्शल लॉ लगा दिया। लाहौर हाईकोर्ट ने भुट्टो को हत्या के केस में फांसी की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा. 4 अप्रैल 1979 को भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

मोहम्मद खान जुनेजो

23 मार्च 1985 से 29 मई 1988 राष्ट्रपति जिया उल-हक ने मोहम्मद खान जुनेजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया। तीन साल बाद ही जिया उल-हक और जुनेजो के रिश्ते बिगड़ने लगे। इसके बाद जिया ने जुनेजो को बर्खास्त कर दिया।

बेनजीर भुट्टो

2 दिसंबर 1988 से 6 अगस्त 1990 बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की सबसे युवा और पहली महिला प्रधानमंत्री हैं। भुट्टो ऐसी भी पहली प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक तरीके से चुना गया था। हालांकि, उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, जिसके बाद राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।

नवाज शरीफ

6 नवंबर 1990 से 18 अप्रैल 1993 बेनजीर भुट्टो की बर्खास्तगी के बाद गुलाम मुस्तफा खान जतोई कार्यकारी प्रधानमंत्री बने। उनके बाद नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए प्राइवेट इन्वेस्टमेंट की हिमाकत की. शरीफ का पहला कार्यकाल तीन साल से भी कम रहा। 18 अप्रैल 1993 को गुलाम इशक खान ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नेशनल असेंबली को बहाल कर दिया, लेकिन जुलाई 1993 में शरीफ और राष्ट्रपति खान ने इस्तीफा दे दिया।

बेनजीर भुट्टो

19 अक्टूबर 1993 से 5 नवंबर 1996 1993 में अप्रैल से अक्टूबर तक राजनीतिक अस्थिरता रही। इस दौरान दो कार्यकारी प्रधानमंत्री भी बने। अक्टूबर में बेनजीर भुट्टो दूसरी बार प्रधानमंत्री चुनी गईं। भुट्टो का दूसरा कार्यकाल भी पहले कार्यकाल की तरह ही खत्म हो गया। दूसरे कार्यकाल में भी उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और राष्ट्रपति फारूक अहमद लेघारी ने बर्खास्त कर दिया।

नवाज शरीफ

17 फरवरी 1997 से 12 अक्टूबर 1999 नवाज शरीफ ने बड़ा बहुमत हासिल किया और दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए। उनकी सरकार में पाकिस्तान ने परमाणु हथियार का परीक्षण किया जो सफल रहा। लेकिन शरीफ की आर्मी चीफ जनरल जहांगीर करामात से ठन गई. शरीफ ने उन्हें हटाकर जनरल परवेज मुशर्रफ को आर्मी चीफ नियुक्त कर दिया. लेकिन मुशर्रफ से भी कुछ समय बाद शरीफ के रिश्ते बिगड़ने लगे। मुशर्रफ जब श्रीलंका में थे तब नवाज शरीफ ने उन्हें बर्खास्त कर दिया. नवाज शरीफ ने उनके विमान को कराची एयरपोर्ट पर उतरने नहीं दिया, लेकिन मुशर्रफ के वफादार अफसरों ने नवाज शरीफ को नजरबंद कर दिया और फिर जेल में डाल दिया।
आखिरकार 12 अक्टूबर 1999 को मुशर्रफ ने तख्तापलट कर दिया।

जफरूल्लाह खान जमाली

23 नवंबर 2002 से 26 जून 2004 राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने जफरूल्लाह खान को प्रधानमंत्री नियुक्त किया. जफरूल्ला मुशर्रफ के पर्सनल सेक्रेटरी थे। जफरूल्ला अक्सर कहा करते थे कि उन्हें मुशर्रफ का पर्सनल सेक्रेटरी होने पर गर्व है। 2004 में जफरूल्लाह ने पद छोड़ दिया।

चौधरी शुजात हुसैन

30 जून 2004 से 26 अगस्त 2004 जफरूल्ला जमाली के बाद चौधरी शुजात हुसैन प्रधानमंत्री बने। उनका कार्यकाल दो महीने से भी कम रहा। उन्होंने शौकत अजीज को सत्ता सौंप दी. हालांकि, वो पाकिस्तान मुस्लिम लीग के अध्यक्ष बने रहे।

शौकत अजीज

28 अगस्त 2004 से 15 नवंबर 2007 शौकत अजीज ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री का पद भी संभाला। नवंबर 2007 में उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा क्योंकि उनका संसदीय कार्यकाल खत्म हो गया. शौकत अजीज पाकिस्तान के दूसरे प्रधानमंत्री हैं, जिनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि, ये प्रस्ताव सदन में गिर गया।

सैयद युसुफ रजा गिलानी

25 मार्च 2008 से 25 अप्रैल 2012 करीब 4 महीने तक पाकिस्तान की बागडोर कार्यकारी प्रधानमंत्री मोहम्मद मिलान सूमरो ने संभाली. 2008 के चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिला. इसके बाद गठबंधन की सरकार बनी और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने सैयद युसुफ रजा गिलानी को प्रधानमंत्री के लिए चुना. उन्हें कोर्ट की अवमानना के मामले में दोषी माना गया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अयोग्य करार दिया.

राजा परवेज अशरफ

22 जून 2012 से 24 मार्च 2013 पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने फिर राजा परवेज अशरफ को प्रधानमंत्री बनाया. अशरफ पर एक पावर प्रोजेक्ट के मामले में रिश्वत लेने का आरोप लगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

नवाज शरीफ

जून 2013 से 28 जुलाई 2017 2013 के आम चुनाव में तीसरी बार नवाज शरीफ प्रधानमंत्री चुने गए. नवाज शरीफ इकलौते ऐसे नेता हैं जो तीन बार प्रधानमंत्री बने. पनामा पेपर लीक में उनका नाम सामने आने के बाद मुश्किलें बढ़ गईं. सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ पर आजीवन किसी भी सरकारी पद पर आने पर रोक लगा दी. जुलाई 2018 में उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी पाया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई.

शाहिद खकान अब्बासी

1 अगस्त 2017 से 31 मई 2018 नवाज शरीफ को सजा होने और अयोग्य ठहराए जाने के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने शाहिद खकान अब्बासी को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया. वो 31 मई 2018 तक पद पर रहे.

इमरान खान

18 अगस्त 2018 से 10 अप्रैल 2022 साल 2018 के आम चुनाव में 155 सीटें जीतकर पीटीआई सत्ता में आई। इमरान खान को अब तक का सबसे लोकप्रिय पीएम माना जाता है, क्योंकि वो 2018 में पांच सीटों से खड़े हुए थे और सभी पर जीत भी गए थे। लेकिन मार्च 2022 में उनकी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिए. इमरान की पार्टी में भी टूट पड़ गई. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 9 अप्रैल 2022 की देर रात अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. इसके पक्ष में 174 वोट पड़े और इमरान की सरकार गिर गई।

शहबाज शरीफ

11 अप्रैल 2022 से 14 अगस्त 2023 इमरान खान की सरकार गिरने के बाद पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ नए प्रधानमंत्री बने। ये गठबंधन सरकार थी। अगस्त 2023 में संसद का कार्यकाल खत्म हो गया। इसके बाद शहबाज शरीफ ने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद एक कार्यवाहक सरकार बनी। इस सरकार में अनवरुल हक कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने।

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