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गंभीर मामला है बेंगलुरु के कैफे में धमाका

02:17 AM Mar 06, 2024 IST | Sagar Kapoor

कर्नाटक विधानसभा में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ की नारेबाजी का बवाल थमा भी नहीं था कि बीती 1 मार्च की दोपहर धमाके की आवाज से भारत की ‘सिलिकॉन वैली’ बेंगलुरु में प्रसिद्ध ‘रामेश्वरम कैफे’ गूंज उठा। ये धमाके एक ऐसे इलाके में हुए हैं जिसे बेंगलुरु के आईटी हब के रूप में जाना जाता है। आईटी क्षेत्र में काम करने वाले युवा इस जगह पर खाने-पीने के लिए आते हैं। इस विस्फोट से बड़े पैमाने पर आग तो नहीं लगी, लेकिन कैफे के वॉश बेसिन वाले एरिया में काफी धुंआ पैदा हुआ। इसके बाद वहां पर कीलें और नट बोल्ट बिखरे हुए पाए गए, पूर्वी बेंगलुरु में स्थित इस कैफे में हमेशा हलचल रहती है। विस्फोट में 9 लोग घायल हुए। ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक में लौट आया है आतंकवाद? ऐसे धमाकों से विदेश में भारत की छवि कौन धूमिल करना चाहता है। बेंगलुरु पुलिस के साथ-साथ एनआईए और एनएसजी, इन सभी सवालों के साथ जांच में जुट गई हैं। ये सवाल इसलिए क्योंकि नवंबर 2022 से मंगलुरू में हुए एक धमाके के बाद से जांच एजेंसियां और सुरक्षा एजेंसियों ने कई खुलासे किए थे।
शुरुआती जांच के संकेत हैं कि एक अनजान व्यक्ति ने विस्फोट से कुछ मिनट पहले ही उस लोकप्रिय कैफे में बैग रखा था। पुलिस सीसीटीवी फुटेज को खंगाल रही है, ताकि संदिग्ध की पहचान की जा सके। संभवतः आईईडी विस्फोटक उपकरण उसी बैग में रखा गया था। कैफे में हुए धमाके के बाद कर्नाटक में सियासत गर्म है। जांच एजेंसियों ने कई एंगल से जांच शुरू कर दी है।
होटल, रेस्तरां और खान-पान के ऐसे लोकप्रिय स्थलों पर भी सुरक्षा में सुराख देखे गए हैं। वहां पर्याप्त सुरक्षा-व्यवस्था नहीं होती। जबकि ऐसे स्थल ही आतंकी या किसी अन्य हमले के ‘आसान लक्ष्य’ होते हैं। जांच की कुल 8 टीमें काम कर रही हैं। मंगलुरु में, नवंबर 2022 में एक प्रेशर कुकर के अंदर रखी एक आईईडी में उस समय विस्फोट हो गया, जब इसे एक ऑटो रिक्शा से ले जाया जा रहा था। घटना की जांच से पता चला था कि आईईडी को कादरी मंजुनाथ मंदिर में लगाया जाना था।
जांचकर्ताओं ने पाया था कि मंगलुरु में प्रेशर कुकर विस्फोट ‘इस्लामिक स्टेट-प्रायोजित’ था और इसमें लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकवादी की संलिप्तता थी। वहीं पूर्वी बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड में रामेश्वरम कैफे में एक मार्च को हुए विस्फोट में कम से कम 10 लोग घायल हो गए थे। पुलिस 2022 से उन आतंकी हमलों के साथ इस विस्फोट के संपर्क की संभावनाओं को भी खंगाल रही है, जहां ऐसे ही विस्फोटक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था। राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच का आश्वासन दिया है और अपेक्षा की है कि इस घटना का राजनीतिकरण न किया जाए।
विपक्षी भाजपा ने इसे कानून-व्यवस्था की नाकामी करार दिया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने कर्नाटक विधानसभा में पाकिस्तान-समर्थक नारों से इस विस्फोट को जोड़ा है। बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने बेंगलुरु में रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में चौंकाने वाला बयान दिया है। सीटी रवि ने कहा कि यह ब्लास्ट विध्वंसक ताकतों का किया गया रिहर्सल था। उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में ऐसे और ब्लास्ट हो सकते हैं। ऐसे में अहम सवाल है कि क्या यह माना जाए कि बेंगलुरु में भी पाकिस्तान के दहशतगर्द तत्त्व और खुफिया एजेंसी आईएसआई पहुंच गए हैं, जिन्होंने ऐसे विस्फोट को अंजाम दिया? वैसे माहौल को गरम और उग्र बनाने में सत्तारूढ़ कांग्रेस का भी योगदान कम नहीं रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद एनआईए ने कर्नाटक में 21 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। 19 जुलाई 2023 को बेंगलुरु में बम विस्फोट करने की साजिश रचने के आरोप में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 18 दिसंबर 2023 को एक आईईडी विस्फोट के सिलसिले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि इस साल 13 जनवरी को अधिकारियों ने 8 संदिग्ध आत्मघाती हमलावरों को गिरफ्तार किया था। 23 अक्टूबर 2022 को कोयम्बटूर में एक मारुति 800 में धमाका हुआ था। संगमेश्वर मंदिर के पास एलपीजी सिलेंडर में धमाका हुआ था। पुलिस को इस मामले में भी घटनास्थल से विस्फोटक मिले थे।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री ने विस्फोट को 2022 के मंगलूरु विस्फोट से जोड़ दिया, जब राज्य में भाजपा सरकार थी। उपमुख्यमंत्री जैसा जिम्मेदार शख्स यह आरोप किस आधार पर लगा सकता है? उन्होंने इसके विपरीत ही बयान दिया था और राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया था। ऐसा दोगलापन ही आतंकी घटनाओं का राजनीतिकरण करता है। धमाकों की इन तीनों घटनाओं में शारिक नाम के एक व्यक्ति का नाम आया था जो कथित रूप से बम बनाने की प्रक्रिया में शामिल था। शिवमोगा जिले के तीर्थनहल्ली में एक तालाब में बम बनाने की प्रक्रिया में शामिल पाया गया था। शारिक ने कोयमबटूर, मदुरै और तमिलनाडु के कई अलग इलाकों का दौरा किया था। इन तीनों ही मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए कर रही है।
रामेश्वरम कैफे में हुए बम ब्लास्ट के तार आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़ गए हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने 5 मार्च को मामले में 7 राज्यों में 17 ठिकानों पर रेड की है। एनआईए ने मामले में एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान अब्दुल सलीम के रूप में की गई है। बेंगलुरु के रामेश्वरम ब्लास्ट मामले की जांच कर रहे एनआईए अधिकारियों को एक और अहम सुराग मिला है। इस मामले में कहा जा रहा है कि ब्लास्ट मामले में जो सुराग मिले हैं उससे पता चलता है कि इस वारदात को बेल्लारी में सक्रिय आईएसआईएस मॉड्यूल ने अंजाम दिया है।
वास्तव में, ‘रामेश्वरम कैफे’ में यह विस्फोट ज्यादा भयावह इसलिए है, क्योंकि यह वहां स्थित है, जहां आईबीएम, एसएपी सरीखी आईटी कंपनियां और कई स्टार्टअप मौजूद हैं। यह देश का प्रौद्योगिकी केंद्र है। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पेशेवरों के लिए यह कैफे एक लोकप्रिय ठिकाना है। खानपान के पकवानों के लिए यह विख्यात है। जब दोपहर एक बजे के करीब विस्फोट हुआ, तो कई पेशेवर वहां लंच कर रहे थे। घायलों में वेल्डर, मैकेनिक, बिजली वाले, मिस्त्री आदि ‘ब्लू कॉलर’ प्रवासी कामगार भी शामिल थे। अस्पताल भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। ब्लास्ट के बाद बेंगलुरु के होटल मालिकों ने होटलों के प्रवेश द्वार पर मेटल डिटेक्टर लगाने का फैसला किया है, ताकि आतंकवादी बम लेकर होटलों में न घुस सकें। कुछ होटलों में तो उन्होंने ऐसा सिस्टम लगाने का भी निर्णय लिया है जो मेटल डिटेक्टर में बम स्कैन होते ही सायरन बजा दे।
रामेश्वरम कैफे बेंगलुरु का मशहूर कैफे है। अक्सर आपको इंस्टा या फेसबुक पर रामेश्वरम कैफे की रील नजर आ सकती है। युवाओं में रामेश्वरम कैफे को लेकर काफी क्रेज है। सुबह से लेकर देर रात 2 बजे तक कैफे में जबरदस्त भीड़ रहती है। बैठने की बहुत जगह नहीं लिहाजा लोग अलग-अलग जगहों पर खड़े होकर खाना खाते हैं। माना जा रहा है धमाका करके ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने की साजिश थी। धमाकों के बाद ये तो तय है कि स्लीपर सेल अब भी सक्रिय हैं।
इस मामले में राजनीति से सभी राजनीतिक दलों को बचना चाहिए। हमारी जांच एजेंसियां पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। धीरे-धीरे ही सही इस विस्फोट से जुड़े नेटवर्क का पता जांच एजेंसियां लगा रही हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले कुछ दिनों में अपराधी सलाखों के पीछे होंगे। और बेंगलुरू के निवासी पहले की तरह बिना किसी डर के सुख चैन से जीवन बिताएंगे।

 

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