Top NewsIndiaWorld
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabJammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Business
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर पश्चिम से‘अत्यधिक’दबाव: लावरोव

02:43 AM Jul 19, 2024 IST | Shivam Kumar Jha

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मॉस्को के साथ अपने ऊर्जा सहयोग को लेकर भारत पश्चिम की ओर से अत्यधिक दबाव का सामना कर रहै है। आरटी की रिपोर्ट के अनुसार, लावरोव ने भारत को एक 'महान शक्ति' कहा, जो अपने हितों और साझेदारों को निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली पर 'अत्यधिक, दबाव डाला जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय आचरण के संदर्भ में बिल्कुल अस्वीकार्य है।'

यूक्रेन संघर्ष और रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में भारत ने मॉस्को के साथ मजबूत संबंध बनाया हुआ है। नयी दिल्ली ने रूस से रियायती कच्चे तेल के साथ-साथ अन्य वस्तुओं की खरीद बढ़ दी है, जिसमें जोर देकर कहा गया है कि यह अपने नागरिकों के लिए 'व्यावहारिक' हितों के आधार पर काम कर रहा है।

बुधवार को फिलिस्तीन पर सुरक्षा परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए, लावरोव ने आलोचना का जवाब देने के लिए भारत की सराहना की, यह इंगित करते हुए कि उनके भारतीय समकक्ष एस। जयशंकर ने कई अवसर पर रूस के साथ नयी दिल्ली के तेल व्यापार का बचाव किया, यह दर्शाता है कि पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद रूसी ऊर्जा संसाधनों के आयात में वृद्धि हुई है। श्री जयशंकर ने एकतरफा प्रतिबंधों की आलोचना करते हुए दलील दी कि विकासशील देश इन्हें स्वीकार नहीं करते हैं जो बाधित आपूर्ति श्रृंखला का खामियाजा भुगत रहे हैं।

श्री लावरोव ने प्रधानमंत्री नरेन्द, मोदी की हालिया मॉस्को यात्रा पर यूक्रेन की प्रतिक्रिया की भी निंदा की।‘एक्स’पर एक पोस्ट में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने दावा किया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मोदी का गले मिलना शांति प्रयासों के लिए एक झटका था। नयी दिल्ली ने इस सप्ताह की शुरुआत में इस टिप्पणी को लेकर यूक्रेनी राजदूत को तलब किया था।

प्रधानमंत्री मोदी के मॉस्को पहुंचने के बाद वाशिंगटन ने रूस के साथ भारत के संबंधों पर सार्वजनिक रूप से अपनी‘चिंता व्यक्त की थी। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, अमेरिका ने नयी दिल्ली को मोदी की यात्रा को पुनर्निर्धारित करने के लिए मनाने की कोशिश की थी ताकि यह उसी सप्ताह वाशिंगटन में नाटो नेताओं के शिखर सम्मेलन के साथ मेल न खाए। सूत्रों ने अखबार से कहा कि अमेरिकी अधिकारी एक प्रमुख एशियाई शक्ति को रूस के साथ मिलते हुए देखने को लेकर चिंतित थे, जब पश्चिमी देश जोर दे रहे थे कि रूस यूक्रेन संघर्ष में अलग-थलग हो चुका है।

Advertisement
Advertisement
Next Article