Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

कश्मीर में मारे गए श्रमिक के परिवार के सदस्यों ने कहा : नियमित रूप से मिल रही थी धमकियां

कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को कहा कि रोजगार के लिए कश्मीर गए उनके घर वालों को आतंकवादी संगठन नियमित तौर पर धमकियां देते थे कि वे घाटी से चले जाएं क्योंकि वे ‘गैर कश्मीरी’ हैं।

02:37 PM Oct 30, 2019 IST | Shera Rajput

कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को कहा कि रोजगार के लिए कश्मीर गए उनके घर वालों को आतंकवादी संगठन नियमित तौर पर धमकियां देते थे कि वे घाटी से चले जाएं क्योंकि वे ‘गैर कश्मीरी’ हैं।

बहल नगर (पश्चिम बंगाल) : कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए श्रमिकों के परिवार के सदस्यों ने बुधवार को कहा कि रोजगार के लिए कश्मीर गए उनके घर वालों को आतंकवादी संगठन नियमित तौर पर धमकियां देते थे कि वे घाटी से चले जाएं क्योंकि वे ‘गैर कश्मीरी’ हैं। 
Advertisement
इन परिवारों को अब तक भी विश्वास नहीं हो रहा कि जो लोग वापस आने का वादा करके गए थे, वह अब कभी नहीं आएंगे। 
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के सेब के बगीचे में काम करने वाले नोइमुद्दीन शेख, मुरसलीम शेख, रोफिक शेख, कमरुद्दीन शेख और रोफिकुल शेख की हत्या आतंकवादियों ने मंगलवार रात में कर दी थी। 
वहीं एक अन्य व्यक्ति जहिरूद्दीन को भी गोली लगी थी और उसे घायल स्थिति में अस्पताल पहुंचाया गया है। उसकी शादी दो महीने पहले ही हुई थी। 
ये सभी श्रमिक मुर्शिदाबाद जिले के सागरदीघी क्षेत्र के हैं। 
कोलकाता में एक बंगाली समाचार चैनल ने जहिरूद्दीन को यह कहते हुए दिखाया कि आतंकवादी उनके घर मंगलवार शाम को आए थे और सभी छह को साथ ले गए। 
समाचार चैनल ने घायल श्रमिक को यह कहते दिखाया, ‘‘ वे हमें एक सुनसान क्षेत्र में ले गए और हम पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। मैं किसी तरह गोली लगने के बाद भी भाग निकला।’’ 
हर साल अगस्त में श्रमिक घाटी में काम करने जाते हैं और अक्टूबर के बाद लौट आते हैं। 
नोइमुद्दीन के पिता जरिस शेख खुद भी कश्मीर के सेब बगीचे में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे और अन्य श्रमिकों को रोजाना आतंकवादी घाटी छोड़कर जाने की चेतावनी देते थे। 
जरिस शेख ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मेरा बेटे और अन्य को रोजाना कुछ आतंकी समूहों से धमकी भरे कॉल आते थे। वे हमें घाटी छोड़ने के लिए कह रहे थे क्योंकि हम गैर कश्मीरी हैं और उनकी नौकरियां खा रहे है। मैंने वापस आने का निर्णय लिया और कल वापस आ गया। मेरा बेटा भी बृहस्पतिवार को आने वाला था । उसे मजदूरी नहीं मिली थी।’’ 
जरिस रोते हुए कहते हैं, ‘‘ जब मैं सोमवार को आ रहा था तो मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं अपने बेटे को आखिरी बार देख रहा हूं।’’ 
कमरूद्दीन शेख के बड़े भाई अमिनीरूल ने कहा कि उनके भाई ने कहा था कि वह दिवाली के बाद घर आ रहे हैं और अब गांव में ही रहेंगे। 
गंभीर रूप से घायल जहिरूद्दीन शेख की पत्नी प्रमिता ने उम्मीद जताई है कि उनके पति सुरक्षित घर लौट आएंगे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह उनके पति की सुरक्षा सुनिश्चित करें। 
बहल नगर के स्थानीय लोगों के मुताबिक इस क्षेत्र के कई लोग कश्मीर में सेब के बगीचे में या निर्माण स्थलों में पिछले 20 वर्षों से काम कर रहे हैं। 
अभी भी कुछ ऐसे परिवार हैं जिनका संपर्क कश्मीर में अपने लोगों से नहीं हो पाया है। रोशनी बीबी बताती हैं कि वह अपने पति से पिछले 10 दिनों से बात नहीं कर पाई हैं और वह इस माहौल में काफी चिंतित हैं। 
Advertisement
Next Article