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Famous Nag Temple of Prayagraj: संगम नगरी में कहां है नागवासुकी और तक्षकनाग का मंदिर? दर्शन मात्र से होते हैं सारे कष्ट दूर!

02:22 PM Jul 29, 2025 IST | Shivangi Shandilya
famous nag temple of prayagraj  संगम नगरी में कहां है नागवासुकी और तक्षकनाग का मंदिर  दर्शन मात्र से होते हैं सारे कष्ट दूर
Famous Nag Temple of Prayagraj
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Famous Nag Temple of Prayagraj: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नागपंचमी हिन्दू धर्म में सर्प पूजा का विशेष दिन है। इस दिन देशभर में नाग देवता की पूजा की जाती है, और नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक इस पर्व की धूम रहती है, लेकिन प्रयागराज में इसका विशेष महत्व है। यहां दो प्रमुख नाग मंदिर हैं. नागवासुकी मंदिर और तक्षकेश्वरनाथ मंदिर, जो धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत पावन माने जाते हैं। तो आइए जानते हैं इन मंदिरों की क्या है विशेषता।

नागवासुकी मंदिर में क्या है विशेष?

नागवासुकी मंदिर
नागवासुकी मंदिर

पहला तीर्थ है नागवासुकी मंदिर, जो गंगा किनारे दारागंज मोहल्ले में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय नागवासुकी को रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया गया था। मंथन के दौरान हुए घर्षण से उन्हें चोटें आईं, जिसके बाद वे भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रयागराज में गंगा तट पर विश्राम हेतु आ गए और तभी से यहां विराजमान हैं।

इन परेशानियों से मिलती है छुटकारा

बता दें कि इस मंदिर में भगवान शिव के गले में सुशोभित नागवासुकि की भव्य प्रतिमा स्थापित है। श्रद्धालु मानते हैं कि यहां पूजा करने से न केवल जीवन के संकट दूर होते हैं, बल्कि कुंडली में विद्यमान कालसर्प दोष भी शांत होता है। विशेष रूप से नाग पंचमी के दिन यहां भक्त दूध और गंगाजल से नाग देवता का अभिषेक करते हैं और रुद्राभिषेक व विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से कृपा प्राप्त करते हैं।

यह भी पढ़ें:नाग पंचमी 2025: Nag Panchami kyun Manayi Jaati Hai? जानें पौराणिक कथा और पूजा विधि

तक्षकेश्वरनाथ मंदिर से जुड़ी कहानी

Famous Nag Temple of Prayagraj
Famous Nag Temple of Prayagraj

दूसरा प्रमुख तीर्थ है तक्षकेश्वरनाथ मंदिर, जिसे बड़ा शिवाला भी कहा जाता है। यह मंदिर यमुना तट पर दरियाबाद मोहल्ले में स्थित है और इसे सर्प जाति के स्वामी तक्षक नाग को समर्पित माना जाता है। तक्षकेश्वरनाथ मंदिर का उल्लेख पद्म पुराण के पातालखंड में मिलता है, और यहां स्थापित पांच शिवलिंग अत्यंत प्राचीन माने जाते हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन यहां के तक्षक कुंड में स्नान करने से जीवन की विषबाधाएं समाप्त होती हैं। यहां न केवल नाग पंचमी पर बल्कि हर पक्ष की पंचमी तिथि को भी विशेष पूजा-अर्चना होती है। कालसर्प दोष से मुक्ति की कामना लेकर देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं।

आध्यात्मिक और ज्योतिषीय रूप से खास

इस प्रकार, नाग पंचमी पर प्रयागराज के ये दोनों तीर्थस्थल आध्यात्मिक और ज्योतिषीय रूप से अद्वितीय महत्व रखते हैं और हजारों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र बने हुए हैं.

Disclaimer: ये सलाह सामान्य जानकारी के लिए दी गई है। पंजाब केसरी.कॉम किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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Shivangi Shandilya

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