'घंटी वाले मंदिर' इस अनूठे मंदिर में एक अर्जी लिखने से दूर हो जाती हैं सभी परेशानियां
मान्यता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं और ये सभी अपने-अपने चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। वहीं सभी भक्त भी समय-समय पर इनके दर्शन करते हैं
05:35 AM Jun 09, 2019 IST | Ujjwal Jain
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मान्यता है कि भारत में 33 करोड़ देवी देवता हैं और ये सभी अपने-अपने चमत्कार के लिए जाने जाते हैं। वहीं सभी भक्त भी समय-समय पर इनके दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना को पूरा होने के लिए पूजा-पाठ भी करते हैं। बहुत बार तो भक्त अपने जीवन में आ रही समस्याओं से निजात पाने के लिए पूजा-पाठ भी करवाते हैं और कई मंदिरों में भी जाया करते हैं।

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आज हम आपको एक ऐसे ही चमत्कारी मंदिर के बारे में बताएंगे जहां सिर्फ और सिर्फ एक बार जाने के बाद ही आपको हर तरह की परेशानी से छुटकारा मिल सकेगा और आपको अपने जीवन में आपार सफलता मिल सकेगी।

ऐसा है गोलू देवता का मंदिर
इस नेक काम के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड जाना होगा। उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पास चित्तई में ही एक बेहद चमत्कारी मंदिर स्थित है जोकि गोली देवता के नाम से मशहूर है। इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। गोलू देवता को इंसाफ का देवता माना जाता है। बताया जाता है कि उनके द्वारा से कभी कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है।
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वह सबकी झोलियां भरते हैं। यहां पर आने वाले भक्तों को अपनी बात या किसी भी तरह की परेशानी पर्ची पर लिखकर गोलू देवता के सामने चढ़ानी होती है। वहीं इस मंदिर में अपनी मनोकामना पूरी कराने के लिए यहां पर घांटियां बांधने का रिवाज भी है। यहां पर भक्त अपनी आवाज देवता तक पहुंचाने के लिए अपनी अर्जी के साथ ये घंटी भी बांध जाते हैं।
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यही वजह है कि मंदिर में हजारों की संख्या में घंटिया बंधी दिखाई देती हैं। इस मंदिर में जो भक्त घंटियां चढ़ाते हैं उन्हें बेचा नहीं जाता और ना ही उनका उपयोग कहीं और किया जाता है। इस मंदिर में घंटियों का खूब सारा ढेर लगा हुआ है ।

बता दें कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित गोलू देवता को घंटी वाला मंदिर भी कहा जाता है। गोलू देवता का दर्शन करने के लिए कई सारे भक्त मंदिर के प्रांगण में घंटी भी बांधते हैं। यहां पर घंटियां मंदिर परिसन में ही बांधी जाती है। वैसे कई सारे श्रद्घालु इस मंदिर को इंसाफ वाला मंदिर भी कहते हैं। ऐसा कहा जता है कि जिनकी इस मंदिर में आने के बाद मनोकामना पूरी हो जाती है। वह भक्त दोबारा से धन्यवाद देने के लिए भी यहां पर आते हैं।

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