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किसान नेता डल्लेवाल ने 130 दिन बाद अनशन तोड़ा, पंजाब सरकार ने मानी सभी मांगें

यह महत्वपूर्ण फैसला सरहिंद महापंचायत के दौरान लिया गया

01:49 AM Apr 07, 2025 IST | IANS

यह महत्वपूर्ण फैसला सरहिंद महापंचायत के दौरान लिया गया

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 130 दिन के आमरण अनशन को समाप्त कर दिया है। पंजाब सरकार ने उनकी सभी मांगें मान ली हैं। सरहिंद महापंचायत में यह निर्णय लिया गया, जहां बड़ी संख्या में किसान और संगठन उपस्थित थे। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों की कोई मांग लंबित नहीं रखी है।

लंबे संघर्ष के बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आखिरकार 130 दिन से जारी आमरण अनशन खत्म करने का निर्णय लिया। यह महत्वपूर्ण फैसला उन्होंने सरहिंद महापंचायत के दौरान लिया, जहां किसानों और संगठनों की काफी संख्या में उपस्थिति थी। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा है कि राज्य सरकार ने किसानों की कोई मांग लंबित नहीं रखी है। चीमा ने डल्लेवाल के अनशन समाप्त किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमने पहले ही किसान नेताओं से आमरण अनशन खत्म करने की अपील की थी। लड़ाई लंबी है और हमें इसे संगठित रूप से केंद्र सरकार के खिलाफ जारी रखना है।”

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चीमा ने यह भी स्पष्ट किया कि किसानों की जो भी मांगें पंजाब सरकार से संबंधित थीं, उन्हें पहले ही मान लिया गया है। उन्होंने कहा, “संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे धरनों और आंदोलनों में जो भी मांगें सामने आ रही हैं, वे सभी केंद्र सरकार के अधीन आती हैं। पंजाब सरकार ने अपनी ओर से कोई भी मांग अधूरी नहीं छोड़ी है। उन्होंने केंद्र सरकार से किसानों की बातों पर गंभीरता से विचार करने और समाधान निकालने की अपील की।

डल्लेवाल के आमरण अनशन का उद्देश्य किसानों की लंबित मांगों को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना था। हालांकि, पंजाब सरकार की ओर से पहले ही कई बार अपील की गई थी कि डल्लेवाल अपना अनशन समाप्त करें। राज्य सरकार ने कहा था कि यह संघर्ष लंबा है और इसे सभी को मिलकर रणनीतिक रूप से लड़ना होगा। किसानों ने बताया कि सरहिंद महापंचायत में लिए गए इस निर्णय से किसान आंदोलन को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है। पंजाब सरकार और किसान संगठनों के बीच संवाद की स्थिति को देखते हुए, अब निगाहें केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में खनौरी और शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को हटा दिया गया था। बताया गया था कि किसानों ने रास्ता रोक रखा है, जिससे व्यापारियों को नुकसान पहुंच रहा था।

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