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सोमवार को भूख हड़ताल पर रहेंगे किसान, हरियाणा में टोल वसूली रोकेंगे, शाह ने दिए वार्ता के संकेत

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे तथा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे।

11:31 PM Dec 20, 2020 IST | Shera Rajput

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे तथा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे।

केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे तथा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक या दो दिन में प्रदर्शनकारी समूहों से उनकी मांगों पर बातचीत कर सकते हैं। 
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पंजाब और हरियाणा के किसानों ने आज श्रद्धांजलि दिवस भी मनाया और उन किसानों को श्रद्धांजलि दी जिनकी मौत जारी आंदोलन के दौरान हुई है। 
किसान संगठनों ने दावा किया है कि आंदोलन में शामिल 30 से अधिक किसानों की दिल का दौरा पड़ने और सड़क दुर्घटना जैसे विभिन्न कारणों से मौत हुई है। किसानों ने कुछ स्थानों पर ‘अरदास’ भी की। 
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। 
सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बार-आर नए कृषि कानूनों के लाभों के बारे में समझाने की कोशिश की है। 
इस बीच, मोदी ने आज सुबह गुरुद्वारा रकाबगंज पहुंचकर गुरु तेग बहादुर को श्रद्धांजलि दी जो सिखों के नौवें गुरु हैं। 
प्रधानमंत्री ने इस दौरान श्रद्धालुओं से भी बातचीत की। 
किसानों और केंद्र के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद नौ दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया। 
इस बीच, पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों और सरकार के बीच बातचीत जल्द शुरू होने का संकेत दिया। 
शाह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे समय की सही जानकारी नहीं है, लेकिन तोमर के कल या परसों किसान प्रतिनिधियों से उनकी मांगों पर बातचीत करने की संभावना है।’’ 
किसान संगठन आंदोलन तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं। 
स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सोमवार को किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ सभी प्रदर्शन स्थलों पर एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। इसकी शुरुआत सिंघू बॉर्डर समेत यहां प्रदर्शन स्थलों पर 11 सदस्यों का एक दल करेगा।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘हम देशभर में सभी प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद सभी लोगों से इसमें भाग लेने की अपील करते हैं।’’ 
यादव ने कहा, ‘‘प्रदर्शनकारियों को हरियाणा सरकार द्वारा धमकाया जा रहा है। यह उच्चतम न्यायालय के निर्देश के विरुद्ध है। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि कल से किसानों को परेशान करना बंद किया जाए।’’ 
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा था कि किसान आंदोलन को ‘बिना अवरोध के’ चलने देना चाहिए और यह अदालत इसमें दखल नहीं देगी क्योंकि प्रदर्शन का अधिकार मौलिक अधिकार है। 
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला ने बताया कि किसान 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। 
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी टोल बूथ पर हम टोल वसूली नहीं होने देंगे, हम उन्हें ऐसा करने से रोकेंगे। 27 दिसंबर को हमारे प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ करेंगे और हम लोगों से अपील करना चाहते हैं कि उनके भाषण के दौरान ‘थालियां’ बजाएं।’’ 
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाएंगे। 
उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि इस दिन वे दोपहर का भोजन न पकाएं’’। 
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने अनेक व्यापारी संगठनों को पत्र लिखकर उनसे किसानों के आंदोलन को समर्थन देने का अनुरोध किया है। 
इस बीच, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहां) ने रविवार को कहा कि एक केंद्रीय एजेंसी ने उससे उसकी पंजीकरण की जानकारी जमा करने को कहा है, जो उसे विदेशी धनराशि प्राप्त करने की इजाजत देती है। 
बीकेयू (एकता-उग्राहां) के अध्यक्ष जोगिंदर उग्राहां और इसके महासचिव सुखदेव सिंह ने केंद्र सरकार की मांग के बारे में खुलासा किया और आरोप लगाया कि ‘‘केंद्र सभी रणनीति का उपयोग कर रहा है क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य आंदोलन को विफल करना है।’’ 
विदेशी अंशदान (नियमन) कानून (एफसीआरए) विदेशी निधि प्राप्त करने वाले किसी भी संगठन के लिए पंजीकरण अनिवार्य करता है। 
सुखदेव सिंह ने कहा, ‘‘केंद्र के तहत आने वाले एक विभाग ने एक ई-मेल भेजा है, जो हमें पंजाब में हमारे बैंक की शाखा के माध्यम से प्राप्त हुआ है। ई-मेल में कहा गया है कि हमें विदेशों से मिले दान के संबंध में पंजीकरण विवरण देना चाहिए, अन्यथा इसे वापस भेज दिया जाएगा।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘बैंक प्रबंधक ने मुझे वह ई-मेल दिखाया जो विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा भेजा गया है।’’ 
केंद्र की मांग के समय पर सवाल उठाते हुए, सिंह ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन केंद्र के खिलाफ है और वे वह सभी बाधाएं उत्पन्न करने की कोशिश करेंगे, जो वे कर सकते हैं। वे सभी हथकंडों का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य आंदोलन को विफल करना है।’’ 
यह पूछे जाने पर कि हाल ही में उन्हें विदेश से कितनी राशि मिली है, सिंह ने कहा, ‘‘हम अभी तक सटीक राशि की गणना नहीं कर पाए हैं।’’ 
उन्होंने कहा कि उनका संगठन अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट या किसी वकील से परामर्श करेगा। 
उग्राहां ने कहा ‘‘आयकर विभाग ने सबसे पहले आढ़तियों पर छापे मारे क्योंकि वे किसानों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। अब, चूंकि हमारा संगठन बड़ा है, केंद्र हमें निशाना बना रहा है।’’ 
बीकेयू (एकता-उग्राहां) प्रमुख ने कहा, ‘‘वे एनआरआई राशि का विवरण पूछ रहे हैं। पंजाब के एनआरआई अपनी मेहनत से कमाए गए पैसों से हमें मदद करते हैं। वे हमारे आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, इसमें समस्या क्या है? यहां भी लोग हमारा समर्थन करते हैं।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन केंद्र हमें निशाना बना रहा है क्योंकि उनका एकमात्र उद्देश्य आंदोलन को विफल करना है।’’ 
वहीं, केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने आज कहा कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का प्रदर्शन ‘राजनीतिक अधिक’ है। 
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री ने किसानों के साथ संवाद से पूर्व यहां संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि ‘‘पिछले छह महीने में जो कुछ किया गया है, उनसे वास्तविक किसान बहुत खुश हैं।’’ 
उन्होंने यह कहते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एवं अन्य मुद्दों से जुड़े डर को दूर करने का प्रयास किया कि एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी, साथ ही ठेके पर खेती से किसानों का ही फायदा होगा। 
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक किसान मुद्दे की बात है तो ढेरों गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं। पूरे भारत में ज्यादातर किसान खुश हैं, पिछले छह महीने में जो कुछ किया गया है, उनसे असली किसान बहुत खुश हैं।’’ 
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि फायदा किसानों तक पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान आंदोलन किसानों के बजाय राजनीतिक ज्यादा है।’’ 
बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने यहां किसान सम्मेलन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। 
उन्होंने लिखा, ‘‘यहां लोगों के साथ संवाद के बाद कोई भी अनुभव कर सकता है कि किसान नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाये गये कृषि कानून 2020 से रोमांचित हैं और वे महसूस करते है कि ये ऐतिहासिक सुधार लंबे समये से लंबित थे।’’ 
उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल अपनी ऐतिहासिक अक्षमता को छिपाने के लिए किसानों को गुमराह करने की जिद पर अड़े हैं। 
उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में एक कार्यक्रम में विपक्षी दलों पर हमला बोला और आरोप लगाया कि वे नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। 
वहीं, समाजवादी पार्टी ने कहा कि वह 25 दिसंबर को एक विशेष अभियान चलाएगी और उसके नेता गांव-गांव जाकर ‘‘कृषि विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ जागरूकता फैलाएंगे। 
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कानूनों के वापस होने तक उनकी पार्टी किसानों के लिए लड़ाई जारी रखेगी।
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