बॉलीवुड में Fawad Khan की एंट्री से मचा हंगामा, MNS ने दी खुली धमकी!
फवाद खान की एंट्री पर बॉलीवुड में बवाल
फवाद खान की आठ साल बाद बॉलीवुड में वापसी से विवाद गरमा गया है। उनकी नई फिल्म अबीर गुलाल का टीज़र रिलीज़ होते ही दर्शकों में उत्साह बढ़ा, लेकिन MNS ने धमकी दी है।
पाकिस्तानी एक्टर फवाद खान की बॉलीवुड में वापसी को लेकर विवाद फिर से गरमा गया है। आठ साल के लंबे अंतराल के बाद फवाद खान फिल्म अबीर गुलाल से हिंदी सिनेमा में वापसी कर रहे हैं। जैसे ही फिल्म का टीज़र रिलीज़ हुआ, दर्शकों के बीच उत्साह देखने को मिला, लेकिन साथ ही इस पर विवाद भी खड़ा हो गया।
फवाद खान की वापसी को लेकर मचा बवाल
दरअसल, भारत में लंबे समय से पाकिस्तानी कलाकारों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। ऐसे में फवाद खान की वापसी को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने नाराजगी जताई है। एमएनएस ने साफ शब्दों में धमकी दी है कि यह फिल्म महाराष्ट्र में रिलीज नहीं होने दी जाएगी। पार्टी का कहना है कि जब तक सीमा पार से दुश्मनी खत्म नहीं होती, तब तक पाकिस्तानी कलाकारों का भारत में स्वागत नहीं होना चाहिए।
बॉलीवुड से मिल रहा समर्थन
हालांकि, फवाद खान की इस वापसी को लेकर बॉलीवुड से समर्थन की आवाजें भी तेज हो रही हैं। सबसे पहले इस लिस्ट में नाम आया सनी देओल का। अपने देशभक्ति और एक्शन किरदारों के लिए मशहूर सनी देओल ने कहा, “मैं पॉलिटिक्स में नहीं जाता, वहीं से चीजें गड़बड़ होने लगती हैं। हम एक्टर हैं, हम पूरी दुनिया के लोगों के लिए काम करते हैं। आज की दुनिया ग्लोबल हो गई है और हमें देशों को जोड़ना चाहिए, यही सही तरीका है।”
अमीषा पटेल का भी समर्थन
इसके बाद बॉलीवुड एक्ट्रेस अमीषा पटेल ने भी फवाद खान का समर्थन किया और कहा कि कला और कलाकार की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने कहा कि फवाद खान एक शानदार अभिनेता हैं और उन्हें वापसी का पूरा हक है।
तीन फिल्मों की टक्कर: ‘गुड बैड अग्ली’ की चमक, ‘जाट’ की ठहराव, ‘सिकंदर’ का दबदबा
सुष्मिता सेन ने कही ये बात
अब इस कड़ी में शामिल हो गई हैं सुष्मिता सेन। हाल ही में एक इवेंट में पहुंचीं सुष्मिता से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “मुझे इतनी जानकारी नहीं है, लेकिन मैं इतना जरूर मानती हूं कि हुनर और क्रिएटिविटी की कोई सरहद नहीं होती। कला एक आज़ाद दुनिया से आती है, जिसमें बाउंड्री नहीं होनी चाहिए।”
फवाद खान को लेकर यह बहस केवल एक अभिनेता की वापसी का मामला नहीं, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या कला को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर रखा जाना चाहिए? क्या हमें क्रिएटिव फील्ड में कलाकारों को मौका नहीं देना चाहिए, चाहे वे किसी भी देश से हों? फिलहाल फिल्म अबीर गुलाल के टीज़र ने चर्चा तो जरूर बटोरी है, लेकिन आगे देखना होगा कि क्या यह फिल्म वास्तव में भारत में रिलीज हो पाएगी या विरोध इसके रास्ते में रोड़ा बनेगा।