Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

कोविड-19 के कारण दुनियाभर में गरीब बच्चों की संख्या बढ़ने की आशंका : सयुंक्त राष्ट्र

हाल के वर्षों में की गई प्रगति की गति ‘मंद’ है जो कि असमान वितरण वाली अर्थव्यवस्था और महामारी की वजह से पड़ने वाले असर की वजह से खतरे में है।

03:23 PM Oct 21, 2020 IST | Desk Team

हाल के वर्षों में की गई प्रगति की गति ‘मंद’ है जो कि असमान वितरण वाली अर्थव्यवस्था और महामारी की वजह से पड़ने वाले असर की वजह से खतरे में है।

कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले दुनिया का हर छठा बच्चा- करीब 35.6 करोड़- घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहा था लेकिन अब स्थिति और अधिक खराब होने की आशंका है। आपको बता दें कि यह आकलन विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की नवीनतम विश्लेषण रिपोर्ट में किया गया है। ‘ग्लोबल एस्टीमेट ऑफ चिल्ड्रेन इन मॉनिटरी पॉवर्टी : ऐन अपडेट’ नाम से जारी रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि उप सहारा क्षेत्र जहां पर सीमित समाजिक सुरक्षा ढांचा है , वहां लगभग दो तिहाई बच्चे ऐसे परिवारों में रहते हैं जो रोजाना 1.90 डॉलर या इससे कम राशि पर जीवनयापन करते हैं, यह विश्व मानकों के तहत घोर या अत्यधिक गरीबी की श्रेणी में आता है। वहीं दक्षिण एशिया में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों का पांचवां हिस्सा (करीब 20 प्रतिशत) निवास करता है।
Advertisement
रिपोर्ट में किए गए विश्लेषण के मुताबिक वर्ष 2013 से 2017 के बीच घोर गरीबी में जीवनयापन करने वाले बच्चों की संख्या में 2.9 करोड़ की कमी आई। हालांकि, यूनीसेफ और विश्व बैंक समूह ने चेतावनी दी है कि हाल के वर्षों में की गई प्रगति की गति ‘मंद’ है जो कि असमान वितरण वाली अर्थव्यवस्था और महामारी की वजह से पड़ने वाले असर की वजह से खतरे में है।
यूनीसेफ के कार्यक्रम निदेशक संजय विजेसेकरा ने कहा, ‘‘हर छह में से एक बच्चा गंभीर गरीबी में जीवनयापन कर रहा है और हर छह बच्चों में से एक बच्चा जीने के लिए संघर्ष कर रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह आंकड़े किसी को भी हिला सकते है और महामारी की वजह से जो वित्तीय संकट आया है उससे यह संख्या और विभिषीका और विकराल रूप धारण कर लेगी। सरकारों को तुरंत बच्चों को इस संकट से उबारने की योजना बनाने की जरूरत है ताकि असंख्य बच्चों और उनके परिवारों को घोर गरीबी में जाने से रोका जा सके ।’’
विजेसेकरा ने कहा कि दुनिया की कुल आबादी में बच्चों की हिस्सेदारी एक तिहाई है लेकिन दुनिया में घोर गरीबी में जीवनयापन करने वालों में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी बच्चों की है। इसके साथ ही वयस्क के मुकाबले उनके घोर गरीबी में जाने की आशंका दोगुनी है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे कम उम्र के बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हैं और विकासशील देशों में पांच साल से कम उम्र के करीब 20 प्रतिशत बच्चे घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं।
विश्व बैंक में वैश्विक गरीबी और समानता मामलों की निदेशक कैरोलिना सैनचेज परामो ने कहा, ‘‘यह तथ्य है कि छह में से एक बच्चा घोर गरीबी में रह रहा है और दुनिया में अत्यधिक गरीबों में बच्चों की संख्या 50 प्रतिशत है। कोविड-19 महामारी शुरू होने से पहले भी यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय रहा है।’’
यहाँ उल्लेखनीय है कि उप सहारा क्षेत्र को छोड़कर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में वर्ष 2013 से 2017 के बीच बच्चों में अत्यधिक गरीबी में कमी देखने को मिली थी। उप सहारा क्षेत्र में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या में 6.4 करोड़ की वृद्धि हुई और यह वर्ष 2013 के 17 करोड़ के मुकाबले वर्ष 2017 में 23.4 करोड़ हो गया। अस्थिर और संघर्षरत देशों में घोर गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है जहां 40 प्रतिशत से अधिक बच्चे घोर गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं जबकि अन्य देशों में यह संख्या 15 प्रतिशत के करीब है।
Advertisement
Next Article