Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

Fedora’s Wrinkles, Meet Mr. Chang — एराम फ़रीदी द्वारा निर्मित लघु फिल्मों का भावनात्मक संग्रह

एराम फ़रीदी की लघु फिल्मों में भावनाओं का अनोखा संगम

04:28 AM May 20, 2025 IST | Anjali Dahiya

एराम फ़रीदी की लघु फिल्मों में भावनाओं का अनोखा संगम

कान्स 2025 के मार्के दु फ़िल्म में भारतीय निर्माता एराम फ़रीदी द्वारा प्रस्तुत तीन लघु फिल्मों का यह संग्रह — Fedora’s Wrinkles, Naina और Meet Mr. Chang — सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज से जुड़ी संवेदनाओं की आवाज़ बनाता है। यह कोई पारंपरिक कथा नहीं, बल्कि एक विषयगत लघु फिल्मों का संग्रह है, जिसमें तीन अलग-अलग कहानियाँ समान मानवीय संवेदना से जुड़ी हैं।

Fedora’s Wrinkles की कहानी

Fedora’s Wrinkles का निर्देशन अश्विन कौशल ने किया है। यह कहानी Fedora Gomes नामक एक वृद्ध महिला की है, जो अपने अतीत और सामाजिक पहचान से जूझती है। सुष्मिता मुखर्जी ने इस भूमिका को बेहद सजीवता से निभाया है, और उनके चेहरे की हर झुर्री मानो एक बीते युग की कहानी कहती है। अली असगर और मनीष वधवा ने सहायक भूमिकाओं में संजीदगी लाई है। फिल्म की गति धीमी है, पर उसकी गहराई स्थायी प्रभाव छोड़ती है।

Naina, सुमन गुहा द्वारा निर्देशित, एक ग्रामीण लड़की की कथा है जो अपनी आंतरिक रोशनी से सामाजिक अंधकार को चुनौती देती है। हीरा सोहल ने इस भूमिका में सहजता और मार्मिकता के साथ जीवन डाला है। विपिन भारद्वाज का काम सराहनीय है। राजस्थान की ग्रामीण पृष्ठभूमि, सादगीपूर्ण चित्रण और भावनात्मक संवाद इस फिल्म को विशेष बनाते हैं।

Advertisement

Meet Mr. Chang, एक बार फिर अश्विन कौशल की ही प्रस्तुति है। यह फिल्म भारत में रह रहे एक चीनी मूल के व्यक्ति की कहानी कहती है, जिसे महामारी के दौरान नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ता है। चिएन हो लियाओ ने मिस्टर चांग की भूमिका को बेहद शांत, गहरे और असरदार तरीके से निभाया है। यह फिल्म बिना शोर किए करुणा और इंसानियत का पैग़ाम देती है।

इन तीनों फिल्मों को एक साथ प्रस्तुत करना एराम फ़रीदी की संवेदनशील दृष्टि और सामाजिक ज़िम्मेदारी का प्रमाण है। उन्होंने उन कहानियों को आवाज़ दी है जो अक्सर उपेक्षित रह जाती हैं। यह संग्रह दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है — नारीवाद, पहचान, भेदभाव और आत्मसम्मान जैसे विषयों पर गहरे संवाद स्थापित करता है।

हालांकि संग्रह की गति कहीं-कहीं थोड़ी धीमी प्रतीत हो सकती है, लेकिन इसकी सच्चाई, सरलता और भावनात्मक ईमानदारी इसे गहराई से अनुभव करने योग्य बनाती है।

Advertisement
Next Article