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वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में तीखी बहस: अमित शाह और दिग्विजय सिंह में टकराव

लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में भी पक्ष और विपक्ष…

08:27 AM Apr 03, 2025 IST | Shera Rajput

लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में भी पक्ष और विपक्ष…

राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान अमित शाह और दिग्विजय सिंह के बीच टकराव हुआ। भाजपा सांसद त्रिवेदी ने मुस्लिम समाज के प्रतिनिधित्व पर बयान दिया, जिसे विपक्ष ने निंदनीय बताया। विधेयक पहले ही लोकसभा में पारित हो चुका है।

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लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में भी पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान देखने को मिला।

राज्यसभा में चर्चा के दौरान बोले भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी

राज्यसभा में चर्चा के दौरान भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि पहले मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, जाकिर हुसैन, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी और कैफी आजमी जैसे प्रतिष्ठित लोग करते थे। लेकिन वर्तमान में मुस्लिम नेतृत्व को मुख्तार अंसारी, इशरत जहां, याकूब मेनन और अतीक अहमद जैसे लोगों से जोड़ा जा रहा है।

त्रिवेदी के बयान पर विपक्षी सांसदों ने जताई आपत्ति

त्रिवेदी के इस बयान पर विपक्षी सांसदों ने आपत्ति जताई। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसे निंदनीय करार देते हुए कहा कि गुजरात दंगों के लिए कौन जिम्मेदार था? उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात में जो दंगे हुए थे, उनके जिम्मेदार कौन से लोग थे? गुजरात में जब दंगे हुए, तब अमित शाह वहां पर गृहमंत्री थे, उन्हें बताना चाहिए कि उनकी वहां पर क्या भूमिका थी?

अमित शाह का पलटवार

दिग्विजय सिंह के बयान पर गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा,

“दिग्विजय सिंह को मेरे नाम का ऐसा हौवा हो गया है कि हर जगह उन्हें मैं ही दिखाई देता हूं। सच्चाई यह है कि जब गुजरात में दंगे हुए थे, तब मैं गृह मंत्री नहीं था। दंगे शुरू होने के 18 महीने बाद मैं इस पद पर आया था।”

विधेयक का लोकसभा में पारित होना

गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था। लंबी बहस के बाद करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद देर रात मतविभाजन के जरिए इसे पारित कर दिया गया। विधेयक के पक्ष में 288 सांसदों ने मतदान किया, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया।

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