जैसलमेर में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ वित्त मंत्री की प्री-बजट बैठक
निर्मला सीतारमण ने प्री-बजट बैठक में राज्यों के वित्त मंत्रियों से की मुलाकात
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को जैसलमेर में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ प्री-बजट बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक आगामी बजट तैयार करने के संदर्भ में आयोजित की गई थी, जिसमें राज्यों के वित्तीय मामलों पर चर्चा की गई। केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री पंकज चौधरी के साथ इस बैठक में गोवा, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, मेघालय और ओडिशा के मुख्यमंत्री और अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री भी शामिल हुए। इसके अलावा, वित्त मंत्री के साथ राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री भी इस बैठक का हिस्सा बने। बैठक में आर्थिक मामलों और व्यय विभागों के सचिव तथा वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक भी जैसलमेर में निर्धारित थी, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री एकत्र हुए थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले कुछ समय में विभिन्न हितधारकों के साथ कई प्री-बजट परामर्श बैठकें की हैं। इन बैठकों में प्रमुख रूप से MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम), किसान संघ और अर्थशास्त्रियों के साथ विचार-विमर्श हुआ। इन सभी चर्चाओं का उद्देश्य आगामी बजट को अधिक प्रभावी और सर्वांगीण बनाना था, ताकि विभिन्न क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जा सके। वित्त मंत्रालय हर साल इस प्रकार की बैठकें आयोजित करता है, जिनमें विशेषज्ञ, उद्योग जगत के नेता, अर्थशास्त्री और राज्य सरकारों के अधिकारी शामिल होते हैं।
प्रति वर्ष बजट तैयार करने की औपचारिक प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो चुकी है। यह प्रक्रिया व्यापक रूप से राज्यों के साथ विचार-विमर्श के माध्यम से, विभिन्न आर्थिक दृष्टिकोणों को एकत्र करके चलती है। 2025-26 का बजट 1 फरवरी 2025 को पेश किया जाएगा, जो कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आठवां बजट होगा। यह बजट सरकार के आगामी कार्यकाल की दिशा और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
2025-26 के बजट में संभावित घोषणाओं पर सभी की निगाहें टिकी होंगी, खासकर मोदी 3.0 सरकार के शेष कार्यकाल में क्या महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। इस बजट से जुड़े निर्णयों और योजनाओं के जरिए सरकार देश की आर्थिक प्रगति को गति देने के लिए नए दिशा-निर्देश तय कर सकती है। इसके साथ ही, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ इस प्रकार की बैठकों का आयोजन यह संकेत देता है कि सरकार राज्यों की आवश्यकताओं और सुझावों को गंभीरता से लेकर अपने बजट में उन पर विचार करेगी।