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जानिए वित्तीय क्षेत्र में सुधार और इसकी आवश्यकता

वित्तीय सुधार: आर्थिक विकास के लिए जरूरी कदम

12:34 PM Jan 04, 2025 IST | Himanshu Negi

वित्तीय सुधार: आर्थिक विकास के लिए जरूरी कदम

वित्तीय क्षेत्रों जैसै वाणिज्यिक बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, निवेश कोष, मुद्रा बाजार में सुधार करने के लिए कड़े कदम उठाना, उसे वित्तीय क्षेत्रों में सुधार कहते है। भारत देश में बैंकिंग क्षेत्रों की कमियों को दूर करने के लिए बैंकों में वित्तीय सुधार शुरू किए गए। बैंकों की वित्तीय सुदृढ़ता को ठीक करने के लिए औऱ बैंकिंग परिचालन की क्षमता में सुधार लाने के लिए भारत में विभिन्न बैंकिंग सुधार और अधिनियम लागू किए गए। जिससे विश्व स्तर पर प्रदर्शन मानकों को भारतीय बैंक पूरा कर सकें। 

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वित्तीय क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता क्यों हुई ?

भारत देश के आजाद होने के बाद भारत को औपनिवेशिक विरासत मिली थी, लेकिन इस विरासत में सामाजिक और आर्थिक का अभाव था। सरकार ने स्वत्रंता के बाद आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए रियायती दरों पर उधार बढ़ा दिया था। जिससे भारत में वित्तीय बाजार विकसित होने के बदले कमजोर हो गए। बैकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिससे सरकारी नियंत्रण बढ़ने लगा और वित्तीय क्षेत्र में बाजार की क्षमता कम हो गई। वित्तीय क्षेत्र के लगातार कमजोर होने के कारण, इस क्षेत्र में सुधार करने पर जोर दिया गया। सुधार करने के लिए ‘नरसिम्हा समिति’ का गठन किया गया था औऱ 1991 और 1998 में 2 रिपोर्ट तैयार की गई थी। यह रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणाली से जुड़ी समस्याओं का अध्ययन करने के लिए स्थापित की गई थी।

वित्तीय क्षेत्रों में कैसे सुधार किया गया

1 वित्तीय क्षेत्रों में सुधार करने लिए बैंकिंग क्षेत्र पर जोर दिया गया, CRR और SLR में कटौती की गई। भारत में अधिक बैंक की शाखाएं खोलने के लिए, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के बैंकों को अनुमति दी गई।

2 ऋण बाजारों में सुधार करने के लिए, राजकोषीय घाटे का स्वत: मुद्रीकरण को सरकार की नीति से हटा दिया गया। साथ ही सरकार को राजकोषीय घाटे पर सतर्क होना पड़ा

3 विदेशी मुद्रा बाजार में सुधार करने के लिए सरकार ने अहम कदम उठाया था सरकार ने वाणिज्यिक बैंकों को विदेशी मुद्रा में परिचालन करने की अनुमति दे दी थी। 1973 की विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम को हटाकर 1999 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम को लागू किया गया।

वित्तीय क्षेत्रों में सुधार के बाद आया बदलाव

वित्तीय क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण क्षेत्र है, इन क्षेत्रों में सुधार लाना बहुत ही आवश्यक था। वित्तीय क्षेत्र में सुधार लाने के लिए अहम कदम उठाये गए जिससे वित्तीय क्षेत्र में बजट प्रबंधन और राजकोषिय घाटे में सुधार आया। अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के बैंकों के उदय से बैंको की क्षमता में सुधार हुआ। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास दर लगभग 3.5 प्रतिशत से अधिक हुई और प्रतिवर्ष 6 प्रतिशत से अधिक दर्ज की गई।

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