Firaq Gorakhpuri Poetry: “ये हुस्न ओ इश्क़…” फिराक गोरखपुरी के पिटारे से 8 खूबसूरत शेर
फिराक गोरखपुरी के अनमोल शेरों का खजाना
फ़ितरत मेरी इश्क़-ओ-मोहब्बत क़िस्मत मेरी तंहाई
कहने की नौबत ही न आई हम भी किसू के हो लें हैं
आई है कुछ न पूछ क़यामत कहाँ कहाँ
उफ़ ले गई है मुझ को मोहब्बत कहाँ कहाँ
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
ये हुस्न ओ इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी
Hindi Poetry: “वो आए घर में…” शायरों की कलम से 8 खूबसूरत शेर
बात निकले बात से जैसे वो था तेरा बयाँ
नाम तेरा दास्ताँ-दर-दास्ताँ बनता गया
दीदार में इक-तरफ़ा दीदार नज़र आया
हर बार छुपा कोई हर बार नज़र आया
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है
बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में
वहशतें बढ़ गईं हद से तिरे दीवानों में
बहसें छिड़ी हुई हैं हयात-ओ-ममात की
सौ बात बन गई है ‘फ़िराक़’ एक बात की
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