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पहले एसजीएफआई को भंग करें खेलो इंडिया के कर्णधार!

खेलो इंडिया के रूप में भारतीय खेलों के सामने एक ऐसा प्लेटफार्म उभर कर आया है जिसे लेकर भारतीय खेल आका बड़े-बड़े ख्वाब देखने लगे हैं

11:05 PM Feb 25, 2020 IST | Desk Team

खेलो इंडिया के रूप में भारतीय खेलों के सामने एक ऐसा प्लेटफार्म उभर कर आया है जिसे लेकर भारतीय खेल आका बड़े-बड़े ख्वाब देखने लगे हैं

खेलो इंडिया के रूप में भारतीय खेलों के सामने एक ऐसा प्लेटफार्म उभर कर आया है जिसे लेकर भारतीय खेल आका बड़े-बड़े ख्वाब देखने लगे हैं।
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 उन्हें लगता है कि अब देश के खिलाड़ियों को इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा। अंडर 17, अंडर21 और यूनिवर्सिटी खेल आयोजनों से देश भर के युवा खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा और योग्यता दिखाने का मौका जरूर मिलेगा।
 लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि हमारे बच्चे और उभरते खिलाड़ी विभिन्न खेलों का पहला और सही सबक कहाँ सीखेंगे? अर्थात छोटी उम्र में उन्हें कौन सिखाएगा। शायद खेलो इंडिया की रूपरेखा तैयार करने वाले अधिकारियों और खेल पंडितों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 
अक्सर कहा जाता है कि खिलाड़ी के लिए सीखने की सही उम्र 8-10 साल होती है और 15 साल की उम्र तक वह खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के दर्शन कराने लगता है। चीन, जापान, अमेरिका, रोमानिया, रूस आदि देशों के अधिकांश तैराक, जिम्नास्ट और अन्य खेलों के खिलाड़ी उस उम्र में अपना श्रेष्ठ पा लेते हैं जिस उम्र में भारतीय खेलों के कर्णधार उन्हें खेलो इंडिया के मैदान में उतार रहे हैं। 
देश के ज्यादातर ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियन खिलाड़ी मानते हैं कि यदि उन्हें सही उम्र में सही ज्ञान मिलता तो उनकी सफलता का ग्राफ बहुत ऊंचा हो सकता था। उनमें से ज्यादातर यह भी कहते हैं कि भारत के स्कूली खेलों के लिए उसके रक्षक  ही भक्षक साबित हुए। 
यह सही है कि सरकार ने खेलो इंडिया की शुरुआत कर उन खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है जिन्हें देश  के स्कूली खेल आयोजकों ने कहीं का नहीं छोड़ा। स्कूली आयोजनों में उन्हें स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया के भ्र्ष्टाचार का शिकार होना पड़ा और उन्हें बड़ी उम्र के खिलाड़ियों का मुकाबला करना पड़ा जिस कारण असली प्रतिभाएं उभर कर नही आ सकीं।  
ज्यादातर प्रताड़ित चाहते हैं कि स्कूल गेम्स फेडरेशन (एसजीएफआई) नाम की संस्था का या तो वजूद समाप्त कर दिया जाए या खेलों के नाम पर लूट का खेल खेलने वालों को चुन चुन कर जेलों में ठूंसा जाए। एस जी एफ आई द्वारा अंडर-14, 17 और 19 आयु वर्ग के आयोजन किये जाते हैं, जिनमे जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला खेल वर्षों से  खेला जा रहा है। 
बेहतर होगा खेलो इंडिया थोड़ा नीचे उतरे और कमसे कम दस साल तक के खिलाड़ियों से शुरुआत करे और इसी प्रकार 15-16 साल के वर्ग के मुकाबले आयोजित कर एक बड़ी रिक्तता को समाप्त करे। यदि ऐसा हो पाया तो ही खेलो इंडिया का उद्देश्य सार्थक हो पायेगा।
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