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नेपाल में कोविड टीकाकरण का पहला चरण शुरू, भारत ने तोहफे में दी है 10 लाख वैक्सीन डोज

नेपाल में बुधवार से कोविड-19 टीकाकरण अभियान का पहला चरण शुरू हो गया। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कोरोना वायरस अब तक देश में 2,017 लोगों की जान ले चुका है और पूरे देश में 270,092 लोग इससे संक्रमित हैं।

03:25 PM Jan 27, 2021 IST | Ujjwal Jain

नेपाल में बुधवार से कोविड-19 टीकाकरण अभियान का पहला चरण शुरू हो गया। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, कोरोना वायरस अब तक देश में 2,017 लोगों की जान ले चुका है और पूरे देश में 270,092 लोग इससे संक्रमित हैं।

नेपाल में कोविड टीकाकरण का पहला चरण शुरू  भारत ने तोहफे में दी है 10 लाख वैक्सीन डोज
नेपाल में बुधवार से कोविड-19 टीकाकरण अभियान का पहला चरण शुरू हो गया। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार,  कोरोना वायरस अब तक देश में 2,017 लोगों की जान ले चुका है और पूरे देश में 270,092 लोग इससे संक्रमित हैं। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के संदेश को पढ़ते हुए कार्यक्रम की शुरूआत की। 
कुल 430,000 फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वास्थ्य सुविधाओं में सहायक कर्मचारी, महिला सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवक, सुरक्षा कर्मी, स्वच्छता कार्यकर्ता, देखभाल घरों में रहने वाले बुजुर्ग और कैदियों को देश भर के 65 जिलों में वैक्सीन लगाई जाएगी। 
भारत ने ‘नेबरहुड फस्र्ट पॉलिसी’ के तहत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की 10 लाख खुराक नेपाल को दी है। ये वैक्सीन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित की गई है। स्वास्थ्य मंत्री ह्रदयेश त्रिपाठी ने कहा कि टीकाकरण अभियान का पहला चरण 10 दिनों के भीतर पूरा हो जाएगा। 

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हालांकि, टीकाकरण कार्यक्रम को कुछ जिलों में रोलआउट नहीं किया जा सकता है क्योंकि वहां अभी तक टीके की खेप नहीं पहुंची है। टीकाकरण अभियान को चलाने के लिए 600 से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है। 
टीकाकरण किए जाने वाले लोगों की संख्या कुल आबादी के 1.5 प्रतिशत से कम है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पहले चरण के बाद भी, लगभग 70.5 प्रतिशत आबादी इससे अछूता रह जाएगी। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को लगता है कि पहले दौर में फ्रंटलाइन श्रमिकों को प्राथमिकता देकर टीकाकरण अभियान का रोलआउट एक सकारात्मक कदम है। 
इस बीच, नेपाल सरकार ने कहा है कि वह कुल आबादी के 72 प्रतिशत को टीकाकरण के लिए प्रतिबद्ध है। यह टीका 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जा सकता है, जो देश में 28 प्रतिशत आबादी है। 
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