AIIMS रायपुर में पहली सफल स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट: दो मरीजों को मिली नई जिंदगी
दो मरीजों को AIIMS रायपुर में नई जिंदगी मिली
छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां पहली बार दो मरीजों की सफल स्वैप (Swap) किडनी ट्रांसप्लांट की गई, जिससे दोनों को जीवनदान मिला। 39 और 41 वर्ष के दो एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) पीड़ित मरीज, जो पिछले तीन वर्षों से डायलिसिस पर थे, उनकी पत्नियों ने किडनी डोनेट करने की इच्छा जताई थी। लेकिन ब्लड ग्रुप की असंगतता के चलते सीधे ट्रांसप्लांट संभव नहीं था। ऐसे में AIIMS रायपुर की टीम ने ‘स्वैप ट्रांसप्लांट’ का रास्ता अपनाया, जिसमें एक जोड़े का डोनर दूसरे जोड़े को किडनी देता है और दोनों को संगत अंग मिल जाते हैं। यह प्रक्रिया 15 मार्च को पूरी की गई और सभी चारों व्यक्ति—दो डोनर और दो मरीज—अभी स्वस्थ होकर ICU में निगरानी में हैं।
क्या है स्वैप किडनी ट्रांसप्लांट?
स्वैप ट्रांसप्लांट उस स्थिति में किया जाता है जब मरीज का ब्लड ग्रुप डोनर से मेल नहीं खाता, लेकिन कोई अन्य जोड़ा भी इसी स्थिति में हो। दोनों जोड़े आपस में अंगों की अदला-बदली करते हैं ताकि दोनों को मेल खाने वाली किडनी मिल सके।
रायपुर AIIMS की मेडिकल टीम की उपलब्धि
इस ऐतिहासिक ट्रांसप्लांट में डॉ. विनय राठौर (ट्रांसप्लांट फिजीशियन), डॉ. अमित आर शर्मा, डॉ. दीपक बिस्वाल और डॉ. सत्यदेव शर्मा (ट्रांसप्लांट सर्जन) समेत ऐनेस्थीसिया और नर्सिंग स्टाफ की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। AIIMS रायपुर अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ का अग्रणी केंद्र बनता जा रहा है। यह नया AIIMS संस्थानों में पहला है जिसने ड ceased डोनर अंग दान और बच्चों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट शुरू किया।
आंकड़े और उपलब्धियाँ
AIIMS रायपुर अब तक 54 किडनी ट्रांसप्लांट कर चुका है। इन मामलों में 95% ग्राफ्ट सर्वाइवल और 97% मरीजों की सर्वाइवल दर रही है, जो संस्थान की गुणवत्ता को दर्शाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय और NOTTO (National Organ and Tissue Transplant Organization) ने अब “एक राष्ट्र, एक स्वैप ट्रांसप्लांट योजना” की शुरुआत की है ताकि देशभर में ऐसे मामलों में एकरूपता और गति लाई जा सके।