पहले बुलाता था, फिर हत्या कर शवों को ठिकाने लगाता था, अब फांसी पर चढ़ा 'ट्विटर किलर'
टोक्यो : जापान ने शुक्रवार को कुख्यात 'ट्विटर किलर' के नाम से पहचाने जाने वाले ताकाहिरो शिराइशी को फांसी दे दी। 34 वर्षीय शिराइशी को 2017 में टोक्यो के पास कनागावा प्रान्त के जामा शहर में नौ लोगों की निर्मम हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। यह पिछले तीन वर्षों में जापान में दी गई पहली मृत्युदंड की सजा है। शिराइशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करता था, जिनमें अधिकांश मानसिक रूप से कमजोर और आत्महत्या की प्रवृत्ति रखने वाले लोग थे। वह उन्हें मिलने के बहाने अपने अपार्टमेंट बुलाता और फिर गला घोंटकर उनकी हत्या कर देता था। बाद में वह शवों को काटकर ठिकाने लगाता था। उसके पीड़ितों में आठ महिलाएं और एक पुरुष शामिल थे।
ट्विटर के जरिए किया था संपर्क
पुलिस ने 2017 में शिराइशी के अपार्टमेंट से मानव अवशेषों के साथ कई बॉडी पार्ट्स बरामद किए थे, जिससे पूरे देश में सनसनी फैल गई थी। जांच के दौरान सामने आया कि उसने सभी पीड़ितों से ट्विटर के जरिए संपर्क किया था। सोशल मीडिया पर उसकी गतिविधियों को देखते हुए ही उसे 'ट्विटर किलर' नाम दिया गया।
2020 में सुनाई गई थी सजा
शिराइशी को 2020 में टोक्यो जिला अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने उसकी दलील को खारिज कर दिया जिसमें उसने कहा था कि कुछ पीड़ितों ने कथित रूप से मौत की इच्छा जताई थी। अदालत ने कहा कि यह हत्या पूर्वनियोजित और "अत्यंत स्वार्थी" इरादों से की गई थी। जापान के न्याय मंत्री केसुके सुजुकी ने फांसी पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह फैसला लिया। शुक्रवार को प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा, "यह अपराध समाज के लिए गहरा आघात था और इससे जनता में डर व अशांति फैली। ऐसे गंभीर अपराधों के मद्देनज़र मृत्युदंड की आवश्यकता बनी हुई है।"
तीन साल बाद हुई फांसी
शिराइशी की फांसी देश में तीन साल बाद हुई पहली फांसी है। इससे पहले जुलाई 2022 में एक अपराधी को मृत्युदंड दिया गया था, जिसने 2008 में टोक्यो के व्यस्त अकिहाबारा शॉपिंग जिले में चाकू से हमला किया था। वर्तमान में जापान में 105 कैदी मृत्युदंड की प्रतीक्षा में हैं। देश में मृत्युदंड अब भी कानूनी है और फांसी ही इसका एकमात्र माध्यम है। कैदियों को फांसी से कुछ घंटे पहले ही इसकी सूचना दी जाती है, जिसे लेकर लंबे समय से मानवाधिकार संगठनों द्वारा आलोचना की जाती रही है। उनके अनुसार, इस प्रक्रिया से कैदियों में मानसिक तनाव और असहायता की भावना बढ़ती है।
पिछले वर्ष सितंबर में एक जापानी अदालत ने इवाओ हाकामाडा को बरी कर दिया था, जिसने लगभग 60 साल पहले किए गए अपराध के लिए मृत्युदंड की सजा के तहत दुनिया में सबसे लंबा समय जेल में बिताया था। यह मामला जापान की न्याय प्रणाली और मृत्युदंड के प्रति बढ़ती वैश्विक आलोचना को दर्शाता है।