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Fitch Rating : RBI का रिकॉर्ड भुगतान 0.6 प्रतिशत GDP के बराबर

04:48 PM May 27, 2024 IST | Saumya Singh
Fitch Rating

Fitch Rating : फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक की सरकार को रिकॉर्ड लाभांश देने की घोषणा सकल घरेलू उत्पाद के 0.6 प्रतिशत के बराबर है लेकिन इस उच्च प्रतिशत के बरकरार रह पाने की संभावना बहुत कम है। आरबीआई के निदेशक मंडल ने पिछले सप्ताह वित्त वर्ष 2023-24 में अर्जित मुनाफे में से सरकार को रिकॉर्ड 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश हस्तांतरित करने का निर्णय लिया था। यह अंतरिम बजट में निर्धारित 1.02 लाख करोड़ रुपये के अनुमान के दोगुने से भी अधिक है।

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Highlight :

फिच का बयान

फिच ने बयान में कहा कि आरबीआई को पिछले वित्त वर्ष में अधिक लाभ होने के पीछे विदेशी परिसंपत्तियों पर उच्च ब्याज राजस्व की भूमिका नजर आती है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने अभी तक इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, आरबीआई ने जीडीपी के 0.6 प्रतिशत के बराबर राशि सरकार को रिकॉर्ड-उच्च लाभांश के रूप में देने की घोषणा की। यह वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में अपेक्षित जीडीपी के 0.3 प्रतिशत से अधिक है। इससे अधिकारियों को अल्पावधि के घाटे में कटौती के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

लाभांश हस्तांतरण विभिन्न कारकों पर निर्भर

फिच ने कहा कि रिजर्व बैंक से सरकार को लाभांश हस्तांतरण विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जिनमें केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट और भारत की विनिमय दर पर मौजूद संपत्तियों का आकार और प्रदर्शन शामिल हैं। इसके साथ ही यह बैलेंस शीट में बफर रखने से संबंधित आरबीआई की राय से भी प्रभावित हो सकता है।
फिच ने कहा, हस्तांतरण की संभावित अस्थिरता का मतलब है कि उनके मध्यम अवधि के मार्ग के बारे में खासी अनिश्चितता है। हम यह अनुमान नहीं लगा पाते हैं कि जीडीपी के हिस्से के रूप में लाभांश इतने उच्चस्तर पर कायम रहेगा।
हालांकि, इस अप्रत्याशित लाभांश हस्तांतरण से चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य करे हासिल किया जा सकेगा और इसका उपयोग मौजूदा लक्ष्य से परे घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है।

फिच ने कहा

चार जून को चुनाव परिणाम जारी होने के बाद नई सरकार का बजट जुलाई में पेश होने की संभावना है। उससे यह तय होगा कि इस लाभांश का इस्तेमाल किस तरह किया जाएगा। फिच ने कहा कि निरंतर घाटे में कमी, खासकर अगर टिकाऊ राजस्व बढ़ाने वाले सुधारों पर आधारित हो, तो मध्यम अवधि में भारत की सॉवरेन रेटिंग के बुनियादी सिद्धांतों के लिए सकारात्मक होगा।

नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है। 

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