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'भारत के बड़े एयरपोर्ट्स पर GPS स्पूफिंग में हुई छेड़छाड़...', संसद में बोली केंद्र सरकार

04:59 PM Dec 01, 2025 IST | Amit Kumar
Flights GPS Data Tampering (CREDIT S-M)

Flights GPS Data Tampering: केंद्र सरकार ने हाल ही में संसद में एक अहम जानकारी दी है। दरअसल केंद्र ने बताया कि देश के कई प्रमुख हवाई अड्डों, जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, अमृतसर, बेंगलुरु और चेन्नई के आसपास GPS स्पूफिंग और GNSS इंटरफेरेंस की घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह वही समस्या है जो सेटेलाइट आधारित नेविगेशन को बाधित कर उड़ान सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है।

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Flights GPS Data Tampering: DGCA के निर्देश और सरकारी रुख

नवंबर 2023 में DGCA ने सभी एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स से ऐसे मामलों की अनिवार्य रिपोर्टिंग करने को कहा था। निर्देशों के बाद देशभर से लगातार ऐसी घटनाओं की सूचना मिल रही है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने बताया कि जब भी सैटेलाइट नेविगेशन में दिक्कत आती है, तब भारत का ग्राउंड-आधारित बैकअप नेटवर्क उड़ानों को सुरक्षित तरीके से चलाने में सक्षम है।

हालांकि सरकार मानती है कि इस तरह की दखलअंदाजी उड़ान सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है, इसलिए निगरानी और जांच और भी मजबूत की जा रही है। संसद को यह भी भरोसा दिलाया गया कि सभी बड़े एयरपोर्ट्स ऐसे मामलों को लगातार मॉनिटर कर रहे हैं ताकि किसी भी संभावित जोखिम पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

Flights GPS Data Tampering (CREDIT S-M)

Airport GPS Interference India: GPS स्पूफिंग क्या होती है?

GPS स्पूफिंग एक प्रकार का साइबर हमला है। इसमें हमलावर नकली उपग्रह सिग्नल भेजते हैं, जिससे विमान या कोई भी GPS-आधारित डिवाइस गलत लोकेशन या गलत डेटा दिखा सकता है। ऐसी गड़बड़ी के कारण विमान को गलत दिशा, गलत ऊंचाई या गलत अलर्ट मिल सकते हैं, जिससे उड़ान जोखिम में पड़ सकती है।

Delhi Mumbai Airport GPS Issue: दिल्ली एयरपोर्ट के पास गड़बड़ी

दिल्ली एयरपोर्ट के नज़दीक हाल में कई विमानों को 60 नॉटिकल मील तक गलत लोकेशन डेटा मिलता रहा। स्थिति बिगड़ने पर कई उड़ानों को एहतियातन जयपुर या लखनऊ जैसे दूसरे एयरपोर्ट्स की ओर मोड़ना पड़ा।

Flights GPS Data Tampering (CREDIT S-M)

एयरपोर्ट के आसपास GPS स्पूफिंग के खतरे

1. नेविगेशन और फ्लाइट सेफ्टी पर असर

आधुनिक विमान GPS और GNSS पर काफी निर्भर होते हैं। अगर ये सिग्नल प्रभावित हों, तो विमान की असली पोजिशन, ऊंचाई और स्पीड का सही अंदाजा नहीं लग पाता। इससे विमान तय रूट से भटक सकता है या गलती से संवेदनशील इलाके में प्रवेश कर सकता है, जो बड़ी सुरक्षा चुनौती है।

2. महत्वपूर्ण सिस्टम्स पर खतरा

रनवे अवेयरनेस, टेरेन वार्निंग और ऑटोपायलट जैसे कई अहम सिस्टम GPS पर काम करते हैं। स्पूफिंग की स्थिति में ये सिस्टम गलत चेतावनियां दे सकते हैं या काम करना बंद भी कर सकते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।

Flights GPS Data Tampering (CREDIT S-M)

3. लैंडिंग के समय बढ़ता जोखिम

एयरपोर्ट के आसपास उड़ानें जमीन के बेहद करीब होती हैं और अक्सर विज़िबिलिटी भी कम रहती है। ऐसे में गलत लोकेशन डेटा मिलने पर

4. ATC और पायलट पर वर्कलोड बढ़ना

अगर एक ही क्षेत्र में कई विमानों को गलत GPS संकेत मिलें, तो ATC के लिए उनकी लोकेशन सही तरीके से ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। इससे विमानों के बीच दूरी कम हो सकती है और पायलट व ATC दोनों पर काम का दबाव बढ़ जाता है।

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