Flood In Punjab: पंजाब में बाढ़ से हाहाकार, 10 जिलों के बिगड़े हालात, बांधों पर झमता से अधिक पानी हुआ जमा
Flood In Punjab: पंजाब में इस समय बाढ़ ने भारी तबाही मचा रखी है। प्रदेश के 10 जिले बुरी तरह प्रभावित हैं। लगातार पहाड़ी क्षेत्रों से आने वाले पानी की वजह से पंजाब की नदियों और बांधों पर दबाव काफी बढ़ गया है। जलस्तर बढ़ने के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं।
Flood In Punjab: बांधों की क्षमता पर बढ़ता दबाव
- भाखड़ा, पौंग और रणजीत सागर जैसे बड़े बांधों की जलधारण क्षमता इस बार कम पड़ गई है।
- भाखड़ा बांध (सतलुज पर): इसकी अधिकतम सीमा 1680 फीट है, जबकि पानी 1672 फीट तक पहुंच गया है।
- पौंग बांध (ब्यास पर): इसका खतरे का निशान 1390 फीट है और जलस्तर 1393 फीट तक पहुंच गया।
- रणजीत सागर बांध (रावी पर): इसकी सीमा 1370 फीट है, लेकिन इस बार पानी 1729 फीट तक पहुंच गया।
- इन बांधों से जब अधिक पानी छोड़ा गया, तो उससे नदी किनारे के कई इलाके जलमग्न हो गए।

Punjab Flood Updates: सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
जिन जिलों में बाढ़ का सबसे ज्यादा प्रभाव देखा गया है, वे हैं: पठानकोट, गुरदासपुर, होशियारपुर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर, तरनतारन और मोगा। इन जिलों में गांवों में पानी भर गया है और फसलें नष्ट हो गई हैं। सेना और एनडीआरएफ की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
गाद और अतिक्रमण भी एक बड़ा कारण
पिछले कुछ वर्षों से नदियों और नालों की सफाई नहीं की गई। नदियों में जमी गाद की वजह से जलधारा अवरुद्ध हो रही है और नाले ओवरफ्लो कर जाते हैं। इसके अलावा, नदी किनारे बढ़ता अतिक्रमण भी बाढ़ का प्रमुख कारण बन रहा है। नदी के बहाव में जब रुकावट आती है, तो पानी बस्तियों की ओर मुड़ जाता है।

Punjab Weather Today: क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
पंजाब विश्वविद्यालय के प्रो. एएन सिंह का कहना है कि जलवायु परिवर्तन, घटता वन क्षेत्र और पहाड़ी राज्यों में बादल फटने की घटनाएं बाढ़ की तीव्रता बढ़ा रही हैं। पूर्व विशेष मुख्य सचिव केबीएस सिद्धू का मानना है कि मानसून से पहले और बाद में नदी व नालों का निरीक्षण जरूरी है। साथ ही, बांधों की नियमित मरम्मत और मज़बूती पर जोर दिया जाना चाहिए।

समाधान की दिशा में जरूरी कदम
- पंजाब की तीनों नदियों का व्यापक सर्वे होना चाहिए।
- बाढ़ संभावित क्षेत्रों में अग्रिम तैयारी और अलर्ट सिस्टम बनाया जाए।
- नई नहरों का निर्माण करके बांधों से निकले पानी का उपयोग किया जाए।
- नदी में होने वाले खनन कार्यों पर सख्ती से निगरानी हो, ताकि बांधों को नुकसान न पहुंचे।

1988 से भी खराब हालात
इस बार की बाढ़ ने 1988 के रिकॉर्ड को भी पार कर लिया है। खड्डों और नालों से आई बाढ़ के पानी ने जब नदियों में मिलना शुरू किया, तो पानी का बहाव नियंत्रण से बाहर हो गया। हालांकि, सरकार की ओर से राहत कार्य लगातार चल रहे हैं और प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद दी जा रही है।
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