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चारा घोटाला : पांचवे मामले में लालू प्रसाद यादव दोषी करार, CBI की स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला

चारा घोटाले के पांचवे मामले में रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को डोरंडा ट्रेजरी से 139.5 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में दोषी करार दिया है

12:25 PM Feb 15, 2022 IST | Desk Team

चारा घोटाले के पांचवे मामले में रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को डोरंडा ट्रेजरी से 139.5 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में दोषी करार दिया है

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के पांचवे मामले में रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को डोरंडा ट्रेजरी से 139.5 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में दोषी करार दिया है। यह चारा घोटाले से जुड़ा पांचवां मुकदमा है, जिसमें अदालत ने उन्हें दोषी माना है। इसके पहले चारा घोटाले के चार मुकदमों में अदालत ने लालू प्रसाद यादव को कुल मिलाकर साढ़े 27 साल की सजा दी है, जबकि एक करोड़ रुपए का जुर्माना भी उन्हें भरना पड़ा। बहुचर्चित चारा घोटाले के इस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में वर्ष 1996 में प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी। बाद में सीबीआई ने यह केस टेकओवर कर लिया। मुकदमा संख्या आरसी-47 ए/96 में शुरूआत में कुल 170 लोग आरोपी थे। इनमें से 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि सात आरोपियों को सीबीआई ने सरकारी गवाह बना लिया। दो आरोपियों ने अदालत का फैसला आने के पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया। छह आरोपी आज तक फरार हैं।
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अभियोजन की ओर से 575 लोगों की दर्ज हुई है गवाही 
इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में अभियोजन की ओर से कुल 575 लोगों की गवाही कराई गई, जबकि बचाव पक्ष की तरफ से 25 गवाह पेश किए गए। इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कुल 15 ट्रंक दस्तावेज अदालत में पेश किए थे। पशुपालन विभाग में हुए इस घोटाले में सांड, भैस, गाय, बछिया, बकरी और भेड़ आदि पशुओं और उनके लिए चारे की फर्जी तरीके से ट्रांसपोटिर्ंग के नाम पर करोड़ों रुपये की अवैध रूप से निकासी की गई। जिन गाड़ियों से पशुओं और उनके चारे की ट्रांसपोटिर्ंग का ब्योरा सरकारी दस्तावेज में दर्ज किया था, जांच के दौरान उन्हें फर्जी पाया गया। जिन गाड़ियों से पशुओं को ढोने की बात कही गयी थी, उन गाड़ियों के नंबर स्कूटर, मोपेड, मोटरसाइकिल के निकले।
सीएम पद पर रहते हुए नहीं की कोई कार्रवाई : सीबीआई 
चारा घोटाले के ये मामले 1990 से 1996 के बीच के हैं। बिहार के सीएजी (मुख्य लेखा परीक्षक) ने इसकी जानकारी राज्य सरकार को समय-समय पर भेजी थी लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। सीबीआई ने अदालत में इस आरोप के पक्ष में दस्तावेज पेश किए कि मुख्यमंत्री पद पर रहे लालू यादव ने पूरे मामले की जानकारी रहते हुए भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। कई साल तक वह खुद ही राज्य के वित्त मंत्री भी थे, और उनकी मंजूरी पर ही फर्जी बिलों के आधार राशि की निकासी की गयी। चारा घोटाले के चार मामलों में सजा होने के चलते राजद सुप्रीमो को आधा दर्जन से भी ज्यादा बार जेल जाना पड़ा। इन सभी मामलों में उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली है।
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