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खाद्य लेबलिंग मानदंडों की होगी समीक्षा

पवन कुमार अग्रवाल ने कहा अधिक वसा, चीनी एवं नमक वाले डिब्बा बंद खाद्य उत्पादों पर लाल ‘लेबल’ लगाने के प्रस्ताव वाले मसौदे को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

11:42 AM Aug 18, 2018 IST | Desk Team

पवन कुमार अग्रवाल ने कहा अधिक वसा, चीनी एवं नमक वाले डिब्बा बंद खाद्य उत्पादों पर लाल ‘लेबल’ लगाने के प्रस्ताव वाले मसौदे को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पवन कुमार अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने अधिक वसा, चीनी एवं नमक वाले डिब्बा बंद खाद्य उत्पादों पर लाल ‘लेबल’ लगाने के प्रस्ताव वाले मसौदे को फिलहाल स्थगित कर दिया है। खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई इस संबंध में खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग एवं डिस्प्ले) नियमन 2018 का मसौदा अप्रैल में लेकर आया। इसमें ऐसे डिब्बा बंद खाद्य उत्पादों पर लाल लेबल लगाना अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया गया है। अग्रवाल ने कहा कि हमारा मसौदा पूर्व की रूपरेखा तैयार है और इसे स्वास्थ्य मंत्रालय के भेजा गया है। चूंकि कुछ पक्षों ने इसको लेकर चिंता जतायी है, अत: हमने इसे कुछ समय के लिये स्थगित रखा है और स्वास्थ्य तथा पोषण से जुड़े विशेषज्ञों का समूह गठित किया गया है जो एक बार फिर लेबल लगाने के मुद्दे पर विचार करेगा।

वह कट्स इंटरनेशनल द्वारा आयोजित मसौदा नियमन पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) के पूर्व निदेशक बी शशिकरण करेंगे। साथ ही संस्थान की मौजूदा निदेशक हेमलता के अलावा डाक्टर निखिल टंडन भी इसमें हैं। खाद्य उद्योग के लिये लेबल नियमन एक जटिल मुद्दा है। इसे बिक्री के रास्ते में अड़चन के रूप में देखा जा रहा है। अग्रवाल ने कहा कि समिति उद्योग की चिंताओं पर गौर करेगी और सिफारिशें देगी।

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लेबल लगाने को लेकर यथाशीघ्र नियमन बनाने की वकालत करते हुए एफएसएसएआई के सीईओ ने कहा कि ग्राहकों से अपनी खाने की आदत बदलने के लिये कहना कठिन कार्य है क्योंकि कुछ लोग बिना सोच-विचार किये खाते हैं वहीं कुछ स्वास्थ्यवर्द्धक और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों के बीच भेद नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि हम अगर कंपनियों से लेबल लगाने के नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिये कहकर आपूर्ति पक्ष के स्तर पर इसका समाधान करते हैं तो कुछ बदलाव ला सकते हैं।

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