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वायुसेना की प्रचंड शक्ति

राष्ट्र की रक्षा के लिए भारतीय सेना के पास आधुनिकतम हथियार होने की जरूरत को पूरा करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार लगातार काम कर रही है।

01:32 AM Oct 05, 2022 IST | Aditya Chopra

राष्ट्र की रक्षा के लिए भारतीय सेना के पास आधुनिकतम हथियार होने की जरूरत को पूरा करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार लगातार काम कर रही है।

वायुसेना की प्रचंड शक्ति
राष्ट्र की रक्षा के लिए भारतीय सेना  के पास आधुनिकतम हथियार होने की जरूरत को पूरा करने के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार लगातार काम कर रही है। इसी के परिणामस्वरूप आज भारतीय सेना दुनिया की ताकतवर सेना बन गई है। मीरी और  पीरी सिख धर्म से जुड़ा हुआ शब्द है। जब सिखों के छठे गुरु साहिब श्री गुरु हरगोविन्द जी ने गुरु गद्दी सम्भाली तो उन्होंने दो तलवारें धारण कीं। इन तलवारों को मीरी और पीरी का नाम दिया गया। मीरी शब्द मीर से बना है जिसका अर्थ होता है, नेता या शासक। अर्थात् मीरी नाम की तलवार भौतिक संसार पर विजय पाने का प्रतीक थी। वहीं पीरी शब्द पीर से बना है जिसका अर्थ  होता है गुरु। अर्थात् पीरी नाम की तलवार आध्यात्मिक ज्ञान पर विजय पाने का प्रतीक थी। इस प्रकार गुरु साहिब ने दो श्रेष्ठ तलवारों को ग्रहण किया था। ऋषि-मुनियों को भी जप-तप में सिद्धियां तभी प्राप्त हुईं, जब श्रीराम धनुषवाण लिए उनकी रक्षा के लिए  तैनात रहते थे। भारत ने कभी भी दूसरे देश की जमीन पर कब्जा करने की इच्छा नहीं रखी क्योंकि वर्तमान दौर में युद्ध का स्वरूप काफी बदल गया है। इसलिए देश की सुरक्षा के लिए रक्षा पंक्ति को मजबूत बनाया जाना जरूरी है।
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1962 के चीन युद्ध के बाद भारत की रक्षा नीतियों में लगातार परिवर्तन किए जाते रहे और सेना को मजबूत बनाने  के लिए निरंतर प्रयास होते रहे। लेकिन सफलता हमें अब जाकर प्राप्त हुई। अब हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में देश में विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकाॅप्टर प्रचंड को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। इन हेलीकाॅप्टरों के बेड़े में शामिल होने के बाद ऊंचे और दुर्गम क्षेत्रों में वायुसेना की क्षमता और ताकत काफी बढ़ गई है। कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के पास ऐसे हेलीकाॅप्टरों की कमी महसूस की गई थी। तब हमारे पास सैनिकों के लिए बर्फ पर चलने वाले जूतों का भी अभाव था। कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ के बाद आनन-फानन में रक्षा सामग्री का आयात किया गया। 2006 में एचएएल ने हल्के हेलीकाप्टर बनाने की योजना की घोषणा की थी। 16 वर्ष बाद भारतीय वायुसेना को प्रचंड मिला। यह बहुउपयोगी हेलीकाप्टर कई मिसाइलें दागने और अन्य हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम है।
इसी वर्ष मार्च में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक में स्वदेश विकसित 15 एलसीएच को 3887 करोड़ रुपए की खरीद को मंजूरी दी गई थी। इस हेलीकाप्टर में रडार से बचने की विशेषता, बख्तर सुरक्षा प्रणाली, रात को हमला करने और आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता, हल्का होने की वजह से यह ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी पूर्ण क्षमता में मिसाइल और अन्य हथियारों के साथ आराम से ऑपरेट कर सकता है। इस हेलीकाॅप्टर का वायुसेना का अंग बनना एक गौरवशाली उपलब्धि है और इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम भी है। इससे पहले हल्के लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण ने भी यही संकेत दिया था। इसी वर्ष अगस्त माह में भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में उपयोग होने वाले 780 वस्तुओं के आयात पर रोक लगा दी थी। दिसम्बर 2023 से दिसम्बर 2028 के बीच इसे चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा। यह उत्पाद अब भारत में ही निर्मित किए जाएंगे। पिछले वर्ष दिसम्बर और इस वर्ष मार्च में दो सूचियां जारी हुई थीं। आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए इस प्रयास के तहत 2500 से ज्यादा चीजों का उत्पादन अब देश में ही हो रहा है। हम हथियारों, लड़ाकू विमानों और जरूरत की रक्षा सामग्री के लिए रूस और अन्य देशों पर निर्भर रहे हैं।
यह गर्व की बात है कि अब देश में 30 युद्धपोतों और पनडुब्बियों का निर्माण भी तेजी से हो रहा है। कई देशों ने भारत निर्मित तेजस खरीदने में रुचि दिखाई है। भारतीय सेना को सुखोई विमान पहले ही मिल चुके हैं। जोधपुर में अब सुखोई के जोड़ीदार के रूप में प्रचंड को भी तैनात किया जाएगा। भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ जाने से हम चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दे पाएंगे। भारत आैर चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर काफी समय से गतिरोध बना हुआ है।
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कोई भी देश वास्तव में महाशक्ति तभी बनता है, जब वह युद्ध सामग्री और उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर होता है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद भारत को रक्षा उत्पादन में शोध एवं अनुसंधान प्रक्रिया की ओर विशेष ध्यान देना होगा। अब युद्ध परम्परागत ढंग से नहीं लड़े जाते। आज के  युद्ध आसमान में लड़े जाते हैं। अभी भी हमें कई क्षेत्रों में काम करना है। एलसीएच प्रचंड की खास बात यह है कि इसके निर्माण में 45 फीसदी सामान स्वदेशी है। जिसके भविष्य में 55 फीसदी पहुंच जाने की उम्मीद है। भारतीय वायुसेना ने मिग-21 का उपयोग पहली बार 1960 के  दशक में किया था। भारतीय सेना को अब इनसे भी मुक्ति लगभग मिल चुकी है। मोदी सरकार ने सेना में सुधारों को अंजाम देने के लिए एक समिति बनाई थी। इस समिति की कई सिफारिशें भी अब तक लागू हो चुुकी हैं। भारत के सामने चीन के साथ सीमा विवाद की ही चुनौती नहीं है, बल्कि चीन का हिन्द महासागर, दक्षिणी चीन सागर से लेकर आर्किटिक तक पांव पसारने की चुनौती भी सामने है। भारत को अपनी रक्षा तैयारियां चुनौतियों के लिहाज से करनी है। फिलहाल एलसीएच प्रचंड के सफल निर्माण से हमारी सामरिक स्थिति मजबूत हुई है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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