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दीवान का कार्यभार चलाने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का किया गठन

सिखों की 115 साल पुरानी धार्मिक और सामाजिक संस्था चीफ खालसा दीवान का जनरल इजलास हंगामेदार रहा। अदालत द्वारा दीवान के प्रधान डॉ संतोख सिंह को सजा

07:36 PM Sep 23, 2018 IST | Desk Team

सिखों की 115 साल पुरानी धार्मिक और सामाजिक संस्था चीफ खालसा दीवान का जनरल इजलास हंगामेदार रहा। अदालत द्वारा दीवान के प्रधान डॉ संतोख सिंह को सजा

लुधियाना-अमृतसर : सिखों की 115 साल पुरानी धार्मिक और सामाजिक संस्था चीफ खालसा दीवान का जनरल इजलास हंगामेदार रहा। अदालत द्वारा दीवान के प्रधान डॉ संतोख सिंह को सजा सुनाए जाने के बाद दिए गए इस्तीफे को परवान करते हुए अगले दो महीनों में दीवान का जनरल चुनाव करवाने की घोषणा की गई। इसी प्रकार उन तीन सदस्यों को भी नई सदस्यता देकर बहाल कर दिया गया है। जिन्हें चरणजीत सिंह चडढा के सम्राज्य के दौरा दीवान विरोधी नीतियों का विरोध करने के आरोप में बाहर निकाल दिया गया।

दीवान के ऑनरी सचिव स. नरेंद्र सिंह खुराना ने बताया कि बीते दिनों दीवान डॉ संतोख सिंह को अदालत द्वारा एक केस में 5 साल की सजा सुनाए जाने उपरांत पैदा हुए हालात मुताबिक बीती शाम प्रधान ने अपने पद से इस्तीफा भेज दिया था। जिनको आज जनरल इजलास में परवान कर लिया गया है। आज की बैठक की प्रधानगी वरिष्ठ उपप्रधान स. तनराज सिंह ने की और इजलास के हालात के मुताबिक दीवान का जनरल चुनाव 2 माह में 22 नवंबर या थोड़ा बहुत आगे-पीछे करवाने का फैसला हुआ।

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इस दौरान दीवान का सचारू रूप से कार्यभार चलाने के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। जिनमें वरिष्ठ प्रधान स. धनराज सिंह और सर्वजीत सिंह, स्थानीय प्रधान निर्मल सिंह और ऑनरी सचिव स. सुरिंद्र सिंह रूमालिया समेत स.नरेंद्र सिंह खुराना का नाम शामिल है। कोई भी सजायाफता मुजरूम दीवान के किसी भी पद पर सेवाएं नहीं दे सकता। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि स. संतोख सिंह को चाहिए था कि वह प्रधानगी के बाद अपनी सदस्यता से भी इस्तीफा देते। फिलहाल इस्तीफा ना दिया तो अगली बैठक में उन्हें बरखास्त किया जा सकता है।

स्मरण रहे 51 साल पहले की धोखाधड़ी के मामले में 6 साल चली सुनवाई के बाद सीकेडी प्रधान संतोख सिंह (80) को सीजेएम (चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट) आरएस बाजवा ने पांच साल कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने इंद्रपाल सिंह नाम के आरोपित को पेश नहीं होने पर भगोड़ा घोषित कर दिया है। धोखाधड़ी का यह मामला 51 साल पुराना है। मामले में अदालत में छह साल सुनवाई चली थी।

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