Bangladesh में एक साल बाद फिर फैली हिंसा, पूर्व आर्मी चीफ हारुन की हुई मौत
Bangladesh में एक बार फिर हिंसा के बादल छा गए हैं. पूर्व पीएम शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के एक साल बीत जाने के बाद हाल ही में पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) एम. हारुन-अर-रशीद की रहस्यमयी मौत ने सभी को चौंका दिया है। उनका शव चटगांव क्लब के एक कमरे से बरामद हुआ, जिससे मामले ने और भी सनसनीखेज रूप ले लिया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कोतवाली थाना के प्रभारी अधिकारी अब्दुल करीम ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब 10 बजे पुलिस को घटना की जानकारी मिली। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (PBI) और क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) के अधिकारी भी वहां पहुंचे।
किसने की मौत की पुष्टि ?
रिपोर्ट के अनुसार, 77 वर्षीय पूर्व सेना प्रमुख एम. हारुन-अर-रशीद रविवार को एक अदालती सुनवाई के लिए Bangladesh की राजधानी ढाका से चटगांव पहुंचे थे। जब वे तय समय पर कोर्ट नहीं पहुंचे और न ही किसी का फोन उठाया, तो क्लब के कर्मचारियों ने उनके कमरे की जांच की। वहां उन्हें मृत अवस्था में पाया गया। फिलहाल, उनकी मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। हालांकि, पुलिस और परिवार को शक है कि यह मौत ब्रेन हैमरेज (मस्तिष्क में रक्तस्राव) के कारण हुई हो सकती है।
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कौन थे एम. हारुन-अर-रशीद?
रिपोर्ट के अनुसार, हारुन-अर-रशीद ने साल 2000 से 16 जून 2002 तक Bangladesh सेना के प्रमुख के रूप में कार्य किया था। उनका जन्म 1948 में हुआ था और वे चटगांव के हथजारी क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे। बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए उन्हें "बीर प्रतिक" सम्मान से नवाजा गया था।
किस केस के लिए आए थे चटगांव?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हारुन-अर-रशीद 'डेस्टिनी ग्रुप' नामक कंपनी से जुड़े एक घोटाले के मामले में अदालत में पेशी के लिए चटगांव आए थे। वह इस कंपनी के चेयरमैन भी थे। इसी केस की सुनवाई में शामिल होने के लिए वे चटगांव पहुंचे थे।
शव को भेजा गया सेना अस्पताल
उनका शव पोस्टमॉर्टम के लिए कंबाइंड मिलिट्री हॉस्पिटल (CMH) भेजा गया है, जहां डॉक्टरों की टीम मौत के सही कारणों की जांच करेगी।
Bangladesh: बांग्लादेश में मॉब लिंचिंग में मारे गए 635 से अधिक लोग, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा ढाका, 3 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच मॉब लिंचिंग की घटनाओं में कम से कम 637 लोग मारे गए, जिनमें 41 पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। यह देश के हालिया इतिहास में सबसे घातक घटनाओं की सीरीज में से एक है।
Bangladesh: तख्तापलट के बाद बढ़ी हिंसा
अगस्त 2024 में हुए विद्रोह के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के कारण राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी, और तभी से बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हिंसा में वृद्धि देखी गई है। कनाडा की एक प्रमुख एजेंसी ‘ग्लोबल सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक गवर्नेंस’ की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में शेख हसीना सरकार के दौरान 51 लिंचिंग की घटनाएं हुई थीं, लेकिन 2024-25 में यह संख्या 12 गुना से अधिक बढ़ गई। 4 अगस्त 2024 को जशोर स्थित ‘द जबीर जशोर होटल’ में 24 लोगों को जलाकर मार दिया गया था। 25 अगस्त 2024 को नारायणगंज के रूपगंज में गाजी टायर्स में 182 लोगों को जलाकर मार दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ितों के नाम और विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए।
Bangladesh: कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब
ग्लोबल सेंटर फॉर डेमोक्रेटिक गवर्नेंस ने रिपोर्ट में कहा कि मीडिया पर कड़ी सेंसरशिप के कारण वे मॉब लिंचिंग से हुई सभी मौतों की पूरी जानकारी एकत्र नहीं कर सके और इस सूची को अपूर्ण माना जाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया कि राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर सरकारी नियंत्रण के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हुई।