पंजाब में छात्रों पर चौथी भाषा का बोझ? अमृतसर के स्कूलों में सिखाई जा रही तेलगू
छात्रों पर चौथी भाषा का दबाव: तेलगू की पढ़ाई
अमृतसर के स्कूलों में तेलगू भाषा की पढ़ाई केंद्र सरकार की ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ योजना के तहत शुरू की गई है। जहां अधिकारियों का मानना है कि यह पहल छात्रों के लिए लाभकारी है, वहीं शिक्षक इसे अतिरिक्त बोझ मानते हैं। पंजाब के छात्रों को तेलगू और दक्षिण के छात्रों को पंजाबी सिखाने का उद्देश्य विविधता को बढ़ावा देना है।
अमृतसर के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों को तेलगू भाषा सिखाई जा रही है। यह पहल केंद्र सरकार की “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” योजना के तहत की जा रही है, जिसमें विभिन्न राज्यों के छात्र एक-दूसरे की भाषाएं सीखते हैं। पंजाब के छात्रों को तेलगू सिखाने के बदले, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के छात्रों को पंजाबी पढ़ाई जा रही है। हालांकि, इस नई पहल को लेकर अध्यापकों के बीच मतभेद भी पैदा हो गया है। एक ओर अधिकारी इसे भविष्य की दृष्टि से सकारात्मक बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिक्षक संगठनों का कहना है कि छात्रों पर पहले से तीन भाषाओं का बोझ है, ऐसे में चौथी भाषा थोपना तर्कसंगत नहीं है।
एक भारत-श्रेष्ठ भारत के तहत भाषाई आदान-प्रदान
यह कार्यक्रम केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा चलाए जा रहे “भारतीय भाषा संभव समर कैंप” के तहत शुरू किया गया है। 26 मई से 5 जून 2025 तक चलने वाले इस कैंप में कक्षा 6वीं से 10वीं तक के विद्यार्थियों को तेलगू भाषा का परिचय दिया जा रहा है। अमृतसर जिले के जिला शिक्षा अधिकारी हरभगवंत सिंह वड़ैच ने जानकारी दी कि यह भाषा छात्रों को ऑनलाइन माध्यम से सिखाई जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि दक्षिण भारत की इस प्रमुख भाषा के ज्ञान से भविष्य में विद्यार्थियों को क्षेत्रीय अवसरों में लाभ मिल सकता है।
छात्रों में उत्साह, लेकिन सीमित प्रयोग के पक्ष में शिक्षक
तेलगू भाषा को लेकर कई छात्रों में उत्साह भी देखने को मिल रहा है। कुछ शिक्षकों ने बताया कि बच्चे नई भाषा को सीखने में रुचि दिखा रहे हैं और खुद से अभ्यास कर रहे हैं। हालांकि, शिक्षकों का यह भी कहना है कि इसे केवल समर कैंप जैसे सीमित प्रयोग तक ही रखा जाए, ताकि यह छात्रों पर अनावश्यक दबाव न बने।
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डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट का विरोध
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) के प्रदेश सचिव अश्विनी अवस्थी ने इस पहल पर आपत्ति जताते हुए कहा कि पहले से ही छात्र पंजाबी, हिंदी और अंग्रेजी तीन भाषाएं पढ़ रहे हैं। अब चौथी भाषा जोड़ना शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा और छात्रों की मानसिक स्थिति पर भी असर डालेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले से स्टाफ की कमी से जूझ रहे स्कूलों पर यह नई जिम्मेदारी अध्यापकों के लिए भी मानसिक बोझ बन रही है।