France Violence: उग्र हुआ प्रदर्शन, सड़कों पर 80,000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात, अब तक 200 गिरफ्तार
France Violence: फ्रांस में बुधवार को शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने देश के कई हिस्सों में उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम किया, आगजनी की घटनाएं कीं और जगह-जगह पर पुलिस से झड़पें हुईं। हालात को काबू में करने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और सख्ती से कार्रवाई की।
France Violence: राष्ट्रपति मैक्रों पर दबाव बनाने की कोशिश
प्रदर्शन का उद्देश्य फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर दबाव बनाना था, ताकि उन्होंने जिनको नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है, उन्हें सख्त राजनीतिक निर्णयों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके। जनता का गुस्सा इस कदर बढ़ा कि पूरे देश में विरोध की लहर दौड़ गई।
Violent protest in France: 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
फ्रांस के गृह मंत्री ने जानकारी दी कि विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत के कुछ ही घंटों में करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी और प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए 80,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था।
Paris Protest: रेनेस में बिजली लाइनों को नुकसान
पश्चिमी फ्रांस के रेनेस शहर में एक बस को आग के हवाले कर दिया गया, जबकि देश के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में प्रदर्शनकारियों ने बिजली की लाइनें क्षतिग्रस्त कर दीं, जिससे रेल सेवाएं बाधित हो गईं। गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी "विद्रोह का माहौल" बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
नया प्रधानमंत्री: सेबेस्टियन लेकोर्नु
इस बीच राष्ट्रपति मैक्रों ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में सेबेस्टियन लेकोर्नु को नियुक्त किया है। वे पूर्व में फ्रांस के रक्षा मंत्री रह चुके हैं और 39 वर्ष की उम्र में यह पद संभालने वाले सबसे युवा मंत्री थे। वे 2030 तक फ्रांस की सैन्य ताकत को बढ़ाने की योजना के प्रमुख रणनीतिकार रहे हैं।
मैक्रों के करीबी और अनुभव से भरपूर नेता
लेकॉर्नु लंबे समय से राष्ट्रपति मैक्रों के भरोसेमंद नेता रहे हैं। वे पहले भी येलो वेस्ट आंदोलन के दौरान जनता से संवाद कर स्थिति को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। उन्होंने ग्वाडेलोप में अशांति के दौरान स्वायत्तता पर बातचीत की पेशकश कर समाधान की कोशिश की थी।
राजनीतिक संकट की नई लहर
इस बदलाव से पहले, फ्रांस की संसद ने विश्वास मत में पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांकोइस बायरू और उनकी सरकार को गिरा दिया था। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब फ्रांस को कई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था एक बार फिर संकट में घिर गई है।
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