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आजादी से लेकर पहलगाम तक, पाकिस्तान और भारत के बीच हुए इतने संघर्ष

भारत-पाक संघर्ष: आजादी से पहलगाम तक की कहानी

10:03 AM May 07, 2025 IST | Shweta Rajput

भारत-पाक संघर्ष: आजादी से पहलगाम तक की कहानी

आजादी से लेकर पहलगाम तक  पाकिस्तान और भारत के बीच हुए इतने संघर्ष

सन् 1947 में हिंदू भारत और मुस्लिम बहुल पाकिस्तान का जब विभाजन हो गया तो इसके कुछ महीनों बाद, कश्मीर की रियासत अपने नाम करने के लिए दोनों देशों के बीच पहला युद्ध हुआ। यह युद्ध 1948 में समाप्त हुआ जिसमें हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई

इसके बाद सन् 1949 में कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच संयुक्त राष्ट्र द्वारा मध्यस्थता की गई युद्ध विराम रेखा की वजह से विभाजित कर दिया गया। इसके साथ ही इस मामले को लेकर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित जनमत संग्रह का वादा किया गया। इस वादे के अनुसार क्षेत्र के लोगों को यह तय करने का मौका मिलेगा कि वे पाकिस्तान या भारत में शामिल होना चाहते हैं या नहीं। यह मतदान कभी नहीं हुआ

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इसके बाद सन् 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर की रियासत के लेकर दूसरा युद्ध हुआ। इस युद्ध में सोवियत संघ और संयुक्त राष्ट्र द्वारा लड़े जा रहे युद्ध पर विराम लगने से पहले ही इस युद्ध में भी हजारों लोगों ने अपनी जान गवांई। इसके बाद दोनों पक्षों ने युद्ध के दौरान जब्त किए गए क्षेत्रों को वापस कर दिया और अपनी सेनाएँ वापस ले लीं

इसके बाद सन् 1971 भारत ने पूर्वी पाकिस्तान को उसकी स्वतंत्रता दिलाने के लिए युद्ध में भाग लिया और इस क्षेत्र के अलग करके इसे बांग्लादेश का नाम दिया। इस संघर्ष में अनुमानित 3 मिलियन लोग मारे गए।

सन् 1972 में भारत और पाकिस्तान एक बार फिर से आमने-सामने आकर एक शांति प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के अनुसार कश्मीर में युद्ध विराम रेखा का नाम बदलकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) LOC कर दिया गया। एलओसी सैनिकों की भारी मात्रा से सुसज्जित एक किलेबंद सीमांत क्षेत्र को कहा जाता है। इस क्षेत्र में दोनों देशों ने अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की। जिसके बाद यह क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्रों में से एक बन गया

इसके बाद सन् 1989 में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले कश्मीरी नागरिकों ने इस फैसले से नाखुश होकर भारतीय शासन के खिलाफ खूनी विद्रोह शुरू कर दिया। इसके खिलाफ एक्शन लेते हुए भारतीय सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की, जिससे नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच कूटनीतिक और सैन्य तनाव बढ़ गया

सन् 1999 पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों ने समझौते के बाद बनी बारत-पाक की सीमा रेखा को पार कर भारतीय हिस्से में कई हिमालयी चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया। इसके जवाब में भारतीय सेना ने हिमालयी चोटियों पर हवाई बमबारी और तोपखाने से कार्रवाई की। दोनों देशों के बीच यह संघर्ष लगभग 10 सप्ताह तक चला। इस युद्ध में 1,000 से ज़्यादा सैनिक मारे गए। इसके बाद परमाणु हमले की आशंकाएं भी बढ़ गईं।

इसके बाद साल 2019 में एक कश्मीरी आतंकी द्वारा की गई साजिश के बाद भारतीय सैनिकों को ले जा रही बस को विस्फोटकों से लदी गाड़ी टक्कर मारी गई। इस हमले में 40 से अधिक सैनिक मारे गए। जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई हवाई हमले करके इसका जवाब दिया। पाकिस्तान ने एक भारतीय युद्धक विमान को मार गिराया और पायलट को पकड़ लिया, जिसे बाद में रिहा कर दिया गया

इस साल 2025 में एक बार फिर से पाकिस्तान के आतंकवादियों ने पहलगाम के रिसॉर्ट शहर में भारतीय पर्यटकों पर हमला किया। इस हमले में करीब 26 मासूम लोगों के आतंकवादियों ने उनका नाम और धर्म पूछकर उन्हें उनके परिवार के सामने गोलियों ने छलनी कर दिया, जिनमें से ज़्यादातर हिंदू थे। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया, लेकिन इस्लामाबाद ने भारक द्वारा किए गए इस दावे को खारिज कर दिया

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Shweta Rajput

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