कजरे की बाती से लेकर तेरी मेरी प्रेम कहानी तक: Maya Govind के सदाबहार गीत
सदाबहार गीतों की अद्वितीय रचनाकार
हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध गीतकार माया गोविंद का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों के लिए गीत लिखे और अपनी अद्भुत लेखनी से सिनेमा जगत में विशेष स्थान हासिल किया। उनके गाने आज भी लोगों की जुबां पर रहते हैं।
हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध गीतकार, कवयित्री और लेखिका माया गोविंद का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। माया गोविंद ने अपने करियर में 350 से अधिक फिल्मों के लिए गीत लिखे और सिनेमा की दुनिया में अपनी अद्भुत लेखनी से एक विशेष स्थान हासिल किया। उनके द्वारा लिखे गए गाने आज भी लोगों की जुबां पर रहते हैं और वे भारतीय सिनेमा के सबसे लोकप्रिय गीतकारों में से एक मानी जाती हैं।
नृत्यांगना के रूप में बनाई अपनी पहचान
माया गोविंद का जन्म 17 जनवरी, 1940 को लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन नृत्य से जुड़ा था और उन्होंने कथक नृत्य में महारत हासिल की थी। पहले वे एक नृत्यांगना के रूप में अपनी पहचान बना चुकी थीं, लेकिन बाद में कविता और लेखनी के प्रति उनके झुकाव ने उन्हें गीत लेखन की दिशा में आगे बढ़ाया।
ऐसे बनाई अपनी पहचान
माया गोविंद को फिल्म इंडस्ट्री में पहला बड़ा ब्रेक 1974 में फिल्म “आरोप” से मिला था। हालांकि, उन्हें असली पहचान 1979 में फिल्म “सावन को आने दो” के हिट गीत “कजरे की बाती” से मिली, जो रातोंरात उनकी पहचान बन गया। इसके बाद माया गोविंद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 350 से अधिक फिल्मों के लिए गीत लिखे। उनके कुछ सबसे चर्चित गीतों में “आंखों में बस हो तुम”, “मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी”, “तेरी मेरी प्रेम कहानी”, और “रानी चेहरे वाले” जैसे गीत शामिल हैं, जो आज भी सदाबहार गानों के रूप में गाए जाते हैं।
टीवी धारावाहिकों में बिखेरा अपना जादू
इसके अलावा, माया गोविंद ने फाल्गुनी पाठक के सुपरहिट गीत “मैंने पायल है छनकाई” की रचना भी की, जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ। माया गोविंद ने सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, बल्कि टीवी धारावाहिकों में भी अपनी लेखनी का जादू दिखाया। उन्होंने “महाभारत” जैसे ऐतिहासिक धारावाहिक के लिए गीत, दोहे और छंद लिखे, जो दर्शकों को बेहद पसंद आए। इसके अलावा, “विष्णु पुराण”, “किस्मत” और “द्रौपदी” जैसे धारावाहिकों में भी उनकी लेखनी ने अपने अद्वितीय रंग दिखाए।
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माया गोविंद अपने जीवन के अंतिम वर्षों में बीमार रहीं। उन्हें फेफड़ों में संक्रमण और ब्रेन ब्लड क्लॉटिंग की समस्या थी। जनवरी 2022 में उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था, लेकिन बाद में उनका इलाज घर पर ही चलता रहा। माया गोविंद ने हिंदी सिनेमा में अपनी लेखनी से जो योगदान दिया, वह हमेशा याद रखा जाएगा। उनके गाने और कविताएं आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं।