खादी : बापू के ‘स्वप्न’ से पीएम मोदी के ‘संकल्प से सिद्धि’ तक
खादी और ग्रामाेद्योग जिसे पूज्य बापू ने स्वदेशी आत्मनिर्भरता का प्राण स्वरूप माना था, आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संकल्पबद्ध नेतृत्व में नवजीवन पा चुकी है। विगत 11 वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआई सी) ने न केवल ऐतिहासिक उपलब्धियां अर्जित की हैं, अपितु ग्रामीण भारत को आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त आधार भी प्रदान किया है। एक ओर जहां करोड़ों ग्रामीणों के लिए रोजगार के नवीन द्वार खुले हैं, वहीं दूसरी ओर स्वदेशी स्वाभिमान की ज्योति सम्पूर्ण राष्ट्र में दैदीप्यमान हुई है। खादी आज केवल वस्त्र नहीं, अपितु 'विकसित भारत' अभियान का प्राणतत्व बन चुकी है, जबकि ग्रामोद्योग ग्रामीण भारत की समृद्धि का मूलमंत्र बनकर उभरा है। 'खादी क्रांति' के पिछले 11 वर्ष, बापू के स्वदेशी 'स्वप्न' को आदरणीय प्रधानमंत्री जी द्वारा साकार करने की गौरवगाथा है। यह 'संकल्प से सिद्धि' तक की एक प्रेरक यात्रा है। श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय रच दिया है। पहली बार खादी और ग्रामोद्योग का कारोबार 1.70 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचा है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जारी अंतिम आंकड़े इस तथ्य को रेखांकित करते हैं कि बीते 11 वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्र ने अभूतपूर्व प्रगति की है। उत्पादन में 347 प्रतिशत और बिक्री में 447 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही, रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी 49.06 प्रतिशत की ऐतिहासिक बढ़ाैतरी दर्ज की गई है। वर्तमान में केवीआईसी के प्रयासों से देशभर में 1.94 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है, जो अपने आप में किसी कीर्तिमान से कम नहीं। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का कुल उत्पादन 26,109.07 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 1,16,599.75 करोड़ रुपये हो गया है। इसी प्रकार, बिक्री 31,154.19 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,70,551.37 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
खादी ग्रामोद्योग भवन, नई दिल्ली का कारोबार भी ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचा है। वर्ष 2013-14 में जहां इसका सालाना कारोबार सिर्फ 51.07 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 110.01 करोड़ रुपये हो गया है। केवीआईसी द्वारा सशस्त्र केंद्रीय पुलिस बलों के साथ हर वर्ष औसतन 12 से 13 करोड़ रुपये का व्यापार किया जा रहा है। इस व्यापार में सरसों का तेल, बेडशीट, दरी, पिलो कवर, नेवार टेप, कंबल और यूनिफॉर्म जैसे विभिन्न उपयोगी उत्पाद शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के शब्दों में, जो उन्होंने 26 अप्रैल 2025 को रोजगार मेले के दौरान कहे- "पहली बार खादी और ग्रामोद्योग, इनके प्रोडक्ट्स ने 1.70 लाख करोड़ रुपये का टर्नओवर पार किया है, करीब-करीब पौने दो लाख करोड़। इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में लाखों रोजगार पैदा हुए हैं।" यह केवल एक आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के गांवों में फैले नए आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है। यह कोई पहला अवसर नहीं था जब प्रधानमंत्री जी ने खादी की प्रशंसा किसी बड़े मंच से की हो। 3 अक्तूबर 2014 को 'मन की बात' के पहले प्रसारण में ही उन्होंने खादी को गरीब बुनकरों की आशा बताते हुए इसकी खरीदारी को सेवा का माध्यम कहा। 15 अगस्त 2018 को लाल किले से उन्होंने गर्व से बताया कि खादी की बिक्री दोगुनी हो गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केवीआईसी ने केवल उत्पादन और बिक्री में वृद्धि नहीं की है, अपितु 'विकसित भारत @2047' के संकल्प को मूर्त रूप देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खादी की यह यात्रा पूज्य बापू के स्वप्न से पीएम मोदी के संकल्प से सिद्धि' तक की यात्रा है। ये यात्रा है- स्वदेशी से स्वावलंबन की, आत्मनिर्भरता से आत्मगौरव की। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के इस अद्भुत नवोत्थान ने भारत के ग्राम्य जीवन में नूतन चेतना का संचार किया है। श्री मोदी के नेतृत्व में खादी अब राष्ट्र के नवनिर्माण का संवाहक बन चुकी है। यह केवल एक उत्पाद नहीं, अपितु भारतीय आत्मा का जीवंत प्रतीक है। 'युगांतरकारी खादी क्रांति' ने नये भारत को 'नई शक्ति' दी है।