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अंतरिक्ष के सफर में नया कीर्तिमान रचने के लिए भारत तैयार
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बुधवार को कहा कि आगामी मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' के लिए ‘पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली’ (ईसीएलएसएस) अन्य देशों से नहीं मिलने के बाद अंतरिक्ष एजेंसी ने इसे खुद विकसित करने का फैसला किया है।गगनयान परियोजना के अंतर्गत इसरो एक मानव चालक दल को 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजेगा और फिर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए समुद्र में उनकी लैंडिंग कराई जाएगी।
- अंतरिक्ष के सफर में नया कीर्तिमान रचने के लिए भारत तैयार
- स्पेस में 400 KM की उड़ान भरेगा अपना गगनयान
- गगनयान को 2025 में प्रेक्षपित किए जाने की उम्मीद
कार्यक्रम गोवा के डोना पाउला में आयोजित किया गया
गगनयान को 2025 में प्रेक्षपित किए जाने की उम्मीद है।सोमनाथ ने कहा, ''हमें पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली को विकसित करने का अनुभव नहीं है। हम सिर्फ और सिर्फ रॉकेट और उपग्रह की रचना करते हैं। हमने सोचा था कि इस तरह की जानकारी को दूसरे देशों से प्राप्त कर लेंगे लेकिन दुर्भाग्यवश ढेर सारी चर्चाओं के बाद भी कोई देश हमें ये देने का इच्छुक नहीं है।''सोमनाथ गोवा के विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम 'मनोहर पर्रिकर विज्ञान महोत्सव 2023' के 5वें संस्करण को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम गोवा के डोना पाउला में आयोजित किया गया।
ECLSS विकसित करने का फैसला किया
सोमनाथ ने कहा कि इसरो ने अब खुद से ईसीएलएसएस विकसित करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ''हम हमारे पास मौजूद ज्ञान और उद्योगों का उपयोग करके इसे भारत में विकसित करने जा रहे हैं।''गगनयान कार्यक्रम के समक्ष चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि भारत पिछले कई वर्षों से निर्माण डिजाइन क्षमता को विकसित करने के लिए ज्ञान अर्जित करने में लगा हुआ है और इसका सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम होने जा रहा है।उन्होंने कहा, ''जब हम अपने गगनयान कार्यक्रम के माध्यम से मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजें तो मुझे लगता है कि हमारे पास कौशल व आत्मविश्वास वर्तमान में मौजूद कौशल व आत्मविश्वास से कहीं अधिक होना चाहिए।''