'1 करोड़ 51 लाख रुपये के नोटों से श्रृंगार...', 'उदयपुर चा राजा' को देखने के लिए उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
Ganesh Chaturthi 2025: राजस्थान की लेकसिटी उदयपुर में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी बापू बाजार स्थित श्री स्वास्तिक विनायक गणपति मंडल ने भव्य आयोजन किया है। यहां स्थापित 'उदयपुर चा राजा' की प्रतिमा पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
Ganesh Chaturthi 2025: नोटों से हुआ बप्पा का अनोखा श्रृंगार
इस साल गणपति बप्पा को खास अंदाज में सजाया गया है। मंगलवार रात को भगवान गणेश को 1 करोड़ 51 लाख रुपये के असली करेंसी नोटों की आंगी पहनाई गई। इस अनोखे श्रृंगार में 50, 100, 200 और 500 रुपये के नोटों का उपयोग किया गया। बप्पा की 17 फीट ऊंची प्रतिमा इस श्रृंगार के साथ बेहद आकर्षक नजर आई।
Udaipur Ganpati Mahotsav: मुंबई से आई टीम ने किया विशेष श्रृंगार
गणपति जी के भव्य श्रृंगार की तैयारी कई दिनों से चल रही थी। इसे तैयार करने के लिए मुंबई से आई 8 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम ने लगातार 5 दिन तक मेहनत की। बप्पा का दरबार इतनी सुंदरता से सजाया गया कि हर भक्त मंत्रमुग्ध हो गया।
30 कार्यकर्ताओं ने मिलकर जुटाई राशि
मंडल पिछले 24 वर्षों से गणेश महोत्सव का आयोजन कर रहा है। पिछले 8 सालों से नोटों की आंगी की यह खास परंपरा निभाई जा रही है। शुरुआत 5 लाख 55 हजार से हुई थी और हर साल बढ़ते-बढ़ते इस बार 1.51 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह पूरी राशि 30 कार्यकर्ताओं द्वारा आपसी सहयोग से जुटाई जाती है और उत्सव के बाद उन्हें लौटा दी जाती है।
Udaipur News Today: दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
मंगलवार रात 9:30 बजे जैसे ही बप्पा के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए खोले गए, भारी संख्या में लोग मंदिर पहुंचे। थोड़ी देर के लिए धक्का-मुक्की की स्थिति भी बनी, लेकिन मंडल के कार्यकर्ताओं और पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में ले लिया। भीड़ को देखते हुए दर्शन रात 2 बजे तक जारी रखे गए।
Ganesh Mahotsav: महाप्रसादी और सुरक्षा व्यवस्था
दर्शन के बाद सभी भक्तों को महाप्रसादी भी वितरित की गई। आयोजन के दौरान उदयपुर के एसपी योगेश गोयल भी पहुंचे और उन्होंने बप्पा की आरती की। सुरक्षा के लिहाज से मंडल ने 10 बाउंसर तैनात किए थे और पुलिस बल भी सतर्क रहा।
'उदयपुर चा राजा' बने आस्था के प्रतीक
इस आयोजन की भव्यता पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। श्रद्धालुओं का मानना है कि जैसे मुंबई का ‘लालबाग का राजा’ प्रसिद्ध है, वैसे ही 'उदयपुर चा राजा' भी अब लोगों की आस्था और भक्ति का प्रतीक बन गया है। यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकजुटता का भी उदाहरण है।
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